Pausha Putrada Ekadashi 2025 : हिंदू धर्म में प्रत्येक महीने में दो एकादशी आती है. एक एकादशी शुक्ल पक्ष में आती है और एक एकादशी कृष्ण पक्ष में आती है. इनका अपना अलग-अलग महत्व होता है. एकादशी के दिन व्रत रखा जाता है और भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है. इस समय पौष महीना चल रहा है. पौष महीने की शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. इस एकादशी के दिन घर में सुख समृद्धि के लिए भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है और पुत्र प्राप्ति के लिए पुत्रदा एकादशी का व्रत किया जाता है. आईए जानते हैं कि पुत्रदा एकादशी कब है और इसका महत्व, व्रत का विधि विधान क्या है.
कब है पौष पुत्रदा एकादशी ? : पंडित रामराज कौशिक ने बताया कि पौष महीने की शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. पुत्रदा एकादशी का आरंभ 9 जनवरी को दोपहर बाद 12.22 से होगा, जबकि इसका समापन 10 जनवरी को सुबह 10.19 पर होगा. हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत और त्यौहार को उदयातिथि के साथ मनाया जाता है, इसलिए पुत्रदा एकादशी का व्रत 10 जनवरी के दिन रखा जाएगा. पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 5.27 से लेकर 6.21 मिनट तक है. अमृत काल मुहूर्त 11.29 से शुरू होकर 1.00 तक रहेगा. एकादशी के व्रत का पारण का समय 11 जनवरी को सुबह 7.15 से शुरू होकर 8.21 मिनट तक रहेगा.
पुत्रदा एकादशी के दिन होगा भद्राकाल : पंडित ने बताया कि इस बार पुत्रदा एकादशी के दिन भद्राकाल लग रहा है और इसके साथ-साथ राहुकाल भी लगेगा जो पूजा अर्चना, धर्म-कर्म के काम करने के लिए अच्छा नहीं माना जाता. अगर कोई भी इस दौरान मांगलिक कार्य करता है तो वो अधूरा माना जाता है. एकादशी के दिन राहुकाल सुबह 11.10 से शुरू होकर 12.29 तक रहेगा और भद्राकाल का समय सुबह 7.15 से शुरू होकर सुबह 10.21 तक रहेगा. इसलिए इस बताए गए समय के दौरान पूजा अर्चना करने से बचें.
व्रत और पूजा का विधि विधान : पंडित ने बताया कि पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें उसके बाद साफ कपड़े पहनकर घर के मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें. उनके आगे देसी घी का दीपक जलाकर उनको पीले रंग के फल ,फूल, वस्त्र, मिठाई, धूप ,दीप, अक्षत और तुलसी दल अर्पित करें. इसके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को पंचामृत का भोग लगाकर व्रत रखने का प्रण लें और पौष पुत्रदा एकादशी के व्रत का पाठ करें. दिन में विष्णु पुराण पढ़ें और शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करने के बाद उनको प्रसाद का भोग लगाएं. शाम के समय गरीब जरूरतमंद ब्राह्मण और गाय को भोजन दें. ब्राह्मण और गरीब को अपनी इच्छा अनुसार दक्षिणा दें और समय पर व्रत का पारण करें.
पुत्रदा एकादशी का महत्व : पंडित ने बताया कि पुत्रदा एकादशी का व्रत विशेष तौर पर पुत्र प्राप्ति के लिए रखा जाता है और इसके साथ-साथ संतान की खुशहाली और दीर्घायु के लिए भी रखा जाता है. अगर किसी को संतान की प्राप्ति नहीं हुई है तो उसे संतान की प्राप्ति के लिए पुत्रदा एकादशी का व्रत करना चाहिए. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से सभी प्रकार के दुख दोष दूर होते हैं और मृत्यु के बाद इंसान को मोक्ष की प्राप्ति होती है. ऐसा माना जाता है कि जो भी इंसान इस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करते हैं, भगवान विष्णु उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. शास्त्रों के अनुसार दंपति और नव विवाहित को पुत्रदा एकादशी का व्रत करना चाहिए जो बहुत ही लाभकारी होता है. पुत्र प्राप्ति के लिए विशेष तौर पर एकादशी के दिन भगवान विष्णु के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल को पंचामृत से स्नान करवाना चाहिए. उसके बाद प्रसाद का भोग लगाएं और फिर मंत्र का जाप करें. इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और मनोकामना पूरी करते हैं.
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