चंडीगढ़: हरियाणा चुनाव के एग्जिट पोल में कांग्रेस को बहुमत मिलने के दावे के बीच मुख्यमंत्री पद के दावेदारों को लेकर कयासों का दौर शुरू हो गया है. हरियाणा कांग्रेस के कई नेता सीएम पद की रेस में बताये जा रहे हैं. कई नेताओं ने मीडिया के सामने खुले तौर पर सीएम बनने की इच्छा की स्वीकार भी किया और कहा कि हर किसी का सपना होता है मुख्यमंत्री बनने का. चर्चा ये भी है कि कांग्रेस 19 साल पहले की तरह इस बार भी सरप्राइज दे सकती है.
मुख्यमंत्री पद की रेस में कौन-कौन
हरियाणा कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के लिए इस समय कई नामों पर कयासबाजी चल रही है. इनमें पहले नंबर पर पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा, दूसरा नाम सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा, भूपेंद्र हुड्डा के बेटे और रोहतक सांसद दीपेंद्र हुड्डा और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला का नाम सामने आ रहा है. इनमें से दीपेंद्र हुड्डा को छोड़कर सभी नेताओं ने सार्वजनिक मंच पर सीएम बनने को लेकर दावे ठोंके हैं. वहीं हुड्डा गुट के विरोधी कहे जाने वाले रणदीप सुरजेवाला और कुमारी सैलजा ने भी अपनी दावेदारी जताई है.
19 साल पहले हुड्डा बने थे सरप्राइज मुख्यमंत्री
2005 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 67 सीटें जीती थी. उस समय के सबसे कद्दावर नेता भजनलाल भी आदमपुर से विधायक थे और मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार भी. भजनलाल हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष भी थे. लेकिन जब मुख्यमंत्री बनने की बारी आई तो अचानक आलाकमान ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नाम का ऐलान कर दिया. जब हुड्डा मुख्यमंत्री बने तब तक वो विधायक नहीं थे और रोहतक से लोकसभा सांसद थे. सीएम बनने के बाद वो किलोई से पहली बार विधायक बने. हलांकि सीएम पद के सबसे प्रबल दावेदारों में पहला नाम आज भी भूपेंद्र हुड्डा का ही है. लेकिन आलाकमान इस बार भी कोई सरप्राइज दे सकता है, इससे भी इनकार नहीं.
क्या हरियाणा को मिलेगा पहला दलित और महिला मुख्यमंत्री?
भूपेंद्र हुड्डा के अलावा मुख्यमंत्री पद को लेकर सबसे प्रबल दावेदारों में कुमारी सैलजा का नाम सामने आ रहा है. चर्चा है कि सीएम पद को लेकर कुमारी सैलजा दिल्ली में लॉबिंग भी शुरू कर दी है. कुमारी सैलजा के साथ सबसे अच्छी बात ये है कि सभी फैक्टर सटीक बैठ रहे हैं. जैसे- वो महिला हैं और दलित भी. अगर वो हरियाणा की मुख्यमंत्री बनती हैं तो पहली महिला और दलित सीएम होंगी. हरियाणा में जाट और दलित वोटर बराबर संख्या में है. लेकिन आज तक कोई महिला और दलित मुख्यमंत्री नहीं बना. हलांकि सैलजा के साथ एक कमजोर कड़ी ये है कि वो विधानसभा चुनाव नहीं लड़ पाईं. लेकिन इससे पहले भूपेंद्र हुड्डा जब 2005 में सीएम बने थे तब वो भी विधानसभा सदस्य नहीं बल्कि लोकसभा सांसद थे. इसलिए ये बात भी सैलजा के पक्ष में जाती है.
छुपा रुस्तम साबित हो सकते हैं उदयभान