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भारत-म्यांमार सीमा पर जनसांख्यिकी डेटा की मैपिंग की जरूरत, घुसपैठ पर बोले अमित शाह - AMIT SHAH

त्रिपुरा के अगरतला में एनईसैक सोसाइटी की बैठक को संबोधित करते हुए अमित शाह ने सीमावर्ती क्षेत्रों में व्यापक सर्वेक्षण की जरूरत बताई.

Amit Shah stresses on need to map demographic data on Indo-Myanmar border in NE states
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 21, 2024, 10:45 PM IST

Updated : Dec 21, 2024, 10:57 PM IST

गुवाहाटी: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि भारत-म्यांमार सीमा पर, विशेष रूप से नगालैंड, मिजोरम और मणिपुर में लोगों के जनसांख्यिकी डेटा की मैपिंग की जानी चाहिए ताकि सीमा पर बाड़ लगाने में मदद मिल सके और घुसपैठ को रोका जा सके. उन्होंने कहा कि इसके लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में व्यापक सर्वेक्षण करने की जरूरत है.

गृह मंत्री ने त्रिपुरा के अगरतला में नॉर्थ ईस्टर्न स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (NESAC- एनईसैक) सोसाइटी की 12वीं बैठक को संबोधित करते हुए यह बात कही. उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब नगालैंड और मिजोरम सहित पूर्वोत्तर के राज्य सीमा बाड़ लगाने की योजना का विरोध कर रहे हैं. मिजोरम विधानसभा ने इस साल की शुरुआत में सीमा पर बाड़ लगाने का विरोध करने के लिए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था और केंद्र से इस फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था.

नगालैंड विधानसभा ने भी भारत और म्यांमार के बीच सीमा पर बाड़ लगाने का विरोध करने के लिए प्रस्ताव पारित किया था. नगालैंड और मिजोरम दोनों ने केंद्र सरकार से सीमा पर बाड़ लगाने और दोनों देशों के बीच फ्री मूवमेंट रेजीम (एफएमआर) को खत्म करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है.

सीमा पर बाड़ लगाने और एफएमआर को खत्म करने का विरोध इसलिए किया जा रहा है क्योंकि मिजोरम के मिजो और मणिपुर के कुकी-जोमिस, म्यांमार के चिन और बांग्लादेश के कुकी-चिन ज़ो जातीय समूह से संबंधित हैं.

भारत-म्यांमार सीमा की लंबाई 1643 किलोमीटर है, जो चार पूर्वोत्तर राज्यों - अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम और नगालैंड से लगती है.

शाह ने कहा कि एनईसैक सोसायटी को अंतरिक्ष विज्ञान का उपयोग करके वन क्षेत्र विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसके लिए पुराने मानचित्रों की तुलना नवीनतम मानचित्रों से करके जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए और जहां संभावनाएं हैं, वहां राज्य सरकारों के साथ मिलकर पेड़ लगाने का प्रयास किया जाना चाहिए.

इसी तरह, गृह मंत्री ने एनईसैक सोसायटी से पूर्वोत्तर राज्यों में बाढ़ की स्थिति का मानचित्रण करने को भी कहा. केंद्रीय गृह मंत्री ने प्रशासन में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उचित और सकारात्मक उपयोग के लिए एनईसैक सोसायटी के प्रयासों की सराहना की और आने वाले समय में पूर्वोत्तर जैसे कठिन भौगोलिक क्षेत्र के विकास में इसके व्यापक उपयोग पर जोर दिया. शाह ने यह भी कहा कि एनईसैक सोसायटी को अपना राजस्व मॉडल विकसित करने पर भी ध्यान देना चाहिए.

पूर्वोत्तर के लिए अलग वित्तीय दिशानिर्देश बनाएं बैंक

वहीं, अगरतला में ही 'बैंकर्स कॉन्क्लेव' को संबोधित करते हुए गृह मंत्री शाह ने सभी बैंकों से पूर्वोत्तर के लोगों और वहां की जमीनी हकीकत को ध्यान में रखते हुए अलग वित्तीय दिशानिर्देश तैयार करने को कहा, जिससे इस क्षेत्र का सर्वांगीण विकास हो सके. उन्होंने बैंकों से पूर्वोत्तर के विकास की जिम्मेदारी निभाने को भी कहा.

शाह ने कहा, "क्या रिजर्व बैंक, नाबार्ड और अन्य बैंकों द्वारा एमएसएमई, व्यवसाय, ऋण, व्यक्तिगत ऋण के संबंध में तैयार किए गए दिशानिर्देश देश के बाकी हिस्सों और पूर्वोत्तर के लिए भी एक जैसे होने चाहिए? यह कैसे संभव है. पूर्वोत्तर के लिए बैंकिंग दिशानिर्देश एक जैसे नहीं हो सकते."

उन्होंने कहा, "पूर्वोत्तर के लिए नए मापदंडों के साथ अलग वित्तीय दिशानिर्देश तैयार करना जरूरी है. बैंकिंग सचिव, नाबार्ड के चेयरमैन और एसबीआई को पूर्वोत्तर के लोगों और इसकी जमीनी हकीकत को ध्यान में रखते हुए विशेष वित्तीय दिशानिर्देश बनाने चाहिए."

उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर अब निवेश और विनिर्माण के लिए सबसे आकर्षक स्थान है. उन्होंने कहा कि भविष्य के कारोबार के लिए बैंकों को कहीं न कहीं निवेश करना होगा. भविष्य के कारोबार के लिए पूर्वोत्तर सबसे अच्छी जगह है. पूर्वोत्तर अगले 10 वर्षों में 20 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर से विकास करेगा.

यह भी पढ़ें- महाराष्ट्र: मंत्रियों को विभागों का बंटवारा, CM फडणवीस के पास गृह विभाग और पवार को वित्त, देखें पूरी लिस्ट

गुवाहाटी: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि भारत-म्यांमार सीमा पर, विशेष रूप से नगालैंड, मिजोरम और मणिपुर में लोगों के जनसांख्यिकी डेटा की मैपिंग की जानी चाहिए ताकि सीमा पर बाड़ लगाने में मदद मिल सके और घुसपैठ को रोका जा सके. उन्होंने कहा कि इसके लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में व्यापक सर्वेक्षण करने की जरूरत है.

गृह मंत्री ने त्रिपुरा के अगरतला में नॉर्थ ईस्टर्न स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (NESAC- एनईसैक) सोसाइटी की 12वीं बैठक को संबोधित करते हुए यह बात कही. उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब नगालैंड और मिजोरम सहित पूर्वोत्तर के राज्य सीमा बाड़ लगाने की योजना का विरोध कर रहे हैं. मिजोरम विधानसभा ने इस साल की शुरुआत में सीमा पर बाड़ लगाने का विरोध करने के लिए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था और केंद्र से इस फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था.

नगालैंड विधानसभा ने भी भारत और म्यांमार के बीच सीमा पर बाड़ लगाने का विरोध करने के लिए प्रस्ताव पारित किया था. नगालैंड और मिजोरम दोनों ने केंद्र सरकार से सीमा पर बाड़ लगाने और दोनों देशों के बीच फ्री मूवमेंट रेजीम (एफएमआर) को खत्म करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है.

सीमा पर बाड़ लगाने और एफएमआर को खत्म करने का विरोध इसलिए किया जा रहा है क्योंकि मिजोरम के मिजो और मणिपुर के कुकी-जोमिस, म्यांमार के चिन और बांग्लादेश के कुकी-चिन ज़ो जातीय समूह से संबंधित हैं.

भारत-म्यांमार सीमा की लंबाई 1643 किलोमीटर है, जो चार पूर्वोत्तर राज्यों - अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम और नगालैंड से लगती है.

शाह ने कहा कि एनईसैक सोसायटी को अंतरिक्ष विज्ञान का उपयोग करके वन क्षेत्र विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसके लिए पुराने मानचित्रों की तुलना नवीनतम मानचित्रों से करके जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए और जहां संभावनाएं हैं, वहां राज्य सरकारों के साथ मिलकर पेड़ लगाने का प्रयास किया जाना चाहिए.

इसी तरह, गृह मंत्री ने एनईसैक सोसायटी से पूर्वोत्तर राज्यों में बाढ़ की स्थिति का मानचित्रण करने को भी कहा. केंद्रीय गृह मंत्री ने प्रशासन में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उचित और सकारात्मक उपयोग के लिए एनईसैक सोसायटी के प्रयासों की सराहना की और आने वाले समय में पूर्वोत्तर जैसे कठिन भौगोलिक क्षेत्र के विकास में इसके व्यापक उपयोग पर जोर दिया. शाह ने यह भी कहा कि एनईसैक सोसायटी को अपना राजस्व मॉडल विकसित करने पर भी ध्यान देना चाहिए.

पूर्वोत्तर के लिए अलग वित्तीय दिशानिर्देश बनाएं बैंक

वहीं, अगरतला में ही 'बैंकर्स कॉन्क्लेव' को संबोधित करते हुए गृह मंत्री शाह ने सभी बैंकों से पूर्वोत्तर के लोगों और वहां की जमीनी हकीकत को ध्यान में रखते हुए अलग वित्तीय दिशानिर्देश तैयार करने को कहा, जिससे इस क्षेत्र का सर्वांगीण विकास हो सके. उन्होंने बैंकों से पूर्वोत्तर के विकास की जिम्मेदारी निभाने को भी कहा.

शाह ने कहा, "क्या रिजर्व बैंक, नाबार्ड और अन्य बैंकों द्वारा एमएसएमई, व्यवसाय, ऋण, व्यक्तिगत ऋण के संबंध में तैयार किए गए दिशानिर्देश देश के बाकी हिस्सों और पूर्वोत्तर के लिए भी एक जैसे होने चाहिए? यह कैसे संभव है. पूर्वोत्तर के लिए बैंकिंग दिशानिर्देश एक जैसे नहीं हो सकते."

उन्होंने कहा, "पूर्वोत्तर के लिए नए मापदंडों के साथ अलग वित्तीय दिशानिर्देश तैयार करना जरूरी है. बैंकिंग सचिव, नाबार्ड के चेयरमैन और एसबीआई को पूर्वोत्तर के लोगों और इसकी जमीनी हकीकत को ध्यान में रखते हुए विशेष वित्तीय दिशानिर्देश बनाने चाहिए."

उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर अब निवेश और विनिर्माण के लिए सबसे आकर्षक स्थान है. उन्होंने कहा कि भविष्य के कारोबार के लिए बैंकों को कहीं न कहीं निवेश करना होगा. भविष्य के कारोबार के लिए पूर्वोत्तर सबसे अच्छी जगह है. पूर्वोत्तर अगले 10 वर्षों में 20 प्रतिशत की औसत वृद्धि दर से विकास करेगा.

यह भी पढ़ें- महाराष्ट्र: मंत्रियों को विभागों का बंटवारा, CM फडणवीस के पास गृह विभाग और पवार को वित्त, देखें पूरी लिस्ट

Last Updated : Dec 21, 2024, 10:57 PM IST
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