पटना: राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह की 10 किताबों का विमोचन पटना के पुस्तक मेला में शनिवार को किया गया. 'समय के सवाल' नाम की पुस्तक के 10 खण्डों का प्रकाशन हुआ है. इन पुस्तकों के नाम- बिहार सपना और सच, भविष्य का भारत, राष्ट्रीय चरित्र का आईना, झारखंड संपन्न धरती, उदास बसंत, झारखंड चुनौतियां भी अवसर भी, पतन की होड़, अतीत के पन्ने, सरोकार और संवाद, ऊर्जा के उत्स और सफर शेष है. हरिवंश नारायण सिंह भी इस मौके पर मौजूद रहे.
40 वर्षों के अनुभवों का संकलन है: हरिवंश नारायण सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते उन्होंने बताया कि किस तरीके से उन्होंने एक सफर तय किया है. उसी सफर को अपनी किताब में पिरोया है. जो भी उन्होंने यात्राएं की हैं, उसको इन किताब में उतारा है. जहां-जहां उन्होंने काम किया है उसके अनुभवों को लिखा है. हरिवंश ने कहा- मैं पहले पत्रकार हूं. 1977 में मैंने पत्रकारिता शुरू किया. धर्मयुग से काम शुरू किया फिर रविवार, कोलकाता आनंद बाजार समूह में आया. टाइम्स ऑफ़ इंडिया और आनंद बाजार पत्रिका उस समय दोनों स्थापित न्यूज पेपर और पत्रिका थे. वहां के बाद संयुक्त बिहार के रांची से प्रभात खबर से जुड़ा, लंबे समय तक वहां रहा.
"40 वर्ष के लेखन का यह संकलन है. 40 वर्ष की यात्रा में जिन-जिन विषयों पर लिखा, बिहार हो या बिहार से अलग हटकर झारखंड हुआ, मुल्क के बारे में, दुनिया के बारे में, पत्रकारिता के बारे में, दर्शन के बारे में, अध्यात्म के बारे में, उन सारे लेखों का यह संकलन है. यह 5000 पन्नों में है. इसका 10 वॉल्यूम है."- हरिवंश नारायण, उपसभापति, राज्यसभा
समाज कैसे समृद्ध बने: किस किताब को लिखने में ज्यादा कठिनाई हुई, इस सवाल पर हरिवंश नारायण ने कहा कि मैंने जितने लेख लिखे हैं खास तौर पर विदेश में जाकर लेख लिखे हैं. मैं चीन पर लिखा है. बदलते दुनिया पर लिखा है, अपने देश के संदर्भ में लिखा है, जिस देश के बारे में हम लोगों का सपना है कि विवेकानंद ने कहा था विकसित मुल्क बने, हमारे ध्यान में हमेशा यह रहा कि यह देश कैसे विकसित मुल्क बने, हमारा बिहार कैसे अव्वल राज्य बने, हमारे हिंदी राज्य कैसे समृद्धि बने, चाहे मैं दक्षिण में काम करता रहा, मैं हैदराबाद में भी रहा, मेरे सोचने और करने के केंद्र बिंदु में हमेशा यह चीजें रहीं है.