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मरने के बाद भी हरिप्रिया की आंखें देखती रहेंगी दुनिया, बेटियों ने परंपरा को तोड़ मां को दी मुखाग्नि - EYE DONATION IN CHAMPAWAT

मृत्यु उपरांत हरिप्रिया गहतोड़ी की बेटियों ने उनका नेत्रदान कराया. साथ ही बेटियों ने परंपरा को तोड़ते हुए मां को मुखाग्नि दी.

Haripriya Gahtori
हरिप्रिया गहतोड़ी (फाइल फोटो) (Photo-ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 8, 2024, 7:48 AM IST

Updated : Nov 8, 2024, 8:18 AM IST

चंपावत:उत्तराखंड के चंपावत जिले के लोहाघाट निवासी 75 वर्षीय हरिप्रिया मरणोपरांत नेत्रदान कर समाज को संदेश दे गई. उनकी तीनों बेटियों ने आई बैंक को उनकी आंखें दान कर अंतिम इच्छा को पूरा किया. रुद्रपुर महाराजा अग्रसेन ग्लोबल चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित मित्तल नेत्रदान केंद्र से आये चिकित्सकों की टीम ने मरणोपरांत हरिप्रिया की आंखों से कार्नियां निकाल हरिप्रिया की इच्छा को पूरा किया. वहीं मरने के बाद भी हरिप्रिया की आंखें दुनिया देखती रहेंगी.

चंपावत जिले निवासी राज्य आंदोलनकारी स्वर्गीय हीरा बल्लभ गहतोड़ी की पत्नी हरिप्रिया का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया. संसार से विदा होते समय वह अपनी दोनों आंखें उन लोगों के लिए दान कर गई, जिनके लिए ईश्वर की सृष्टि कल्पना मात्र थी. हरिप्रिया जिले की पहली महिला थी, जिनके शवदाह से पहले उनकी इच्छा अनुसार दोनों आंखें, उपजिला चिकित्सालय के नेत्र सर्जन विराज राठी ने कार्नियां (आंखें) निकाली. जिसके बाद रुद्रपुर से विशेष रूप से आए महाराजा अग्रसेन ग्लोबल चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा संचालित मित्तल नेत्रदान केंद्र को दी गई.

हरिप्रिया मृत्यु उपरांत अपने पीछे तीन बेटियों को छोड़ गई हैं. जिनमें से प्रमुख समाजसेवी एवं तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित रीता, अंजू ने माता पिता की सेवा के लिए विवाह नहीं किया. जबकि सबसे छोटी बेटी करुणा शिक्षिका हैं, जिन्होंने भी तीनों बहनों की तरह अंतिम समय तक मां की सेवा की. मां की मृत्यु के बाद एक बार तीनों बहनों ने परंपरा को तोड़ते हुए मां के शव को कंधा देकर चिता को मुखाग्नि दी. तीनों बहनों ने पूर्व में अपने पिता का भी ऐसे ही अंतिम संस्कार व क्रियाकर्म किया था. साथ ही पिता का श्राद्ध भी करती आ रही हैं. हरिप्रिया की अंतिम शव यात्रा में बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लेकर उन्हें श्रद्धांजलि दी.
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Last Updated : Nov 8, 2024, 8:18 AM IST

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