नई दिल्ली: अमेरिकी सेना का विमान सी-17 जल्द ही 205 अवैध भारतीय अप्रवासियों को लेकर भारत पहुंचेगा. इस कदम को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा बिना कानूनी अनुमति के अमेरिका में रह रहे प्रवासियों पर सख्त कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है.
भारत में अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता क्रिस्टोफर एल्म्स ने मंगलवार को कहा, "अमेरिका अपनी सीमाओं पर सख्ती से निगरानी कर रहा है, अप्रवासन कानूनों को सख्त कर रहा है और अवैध अप्रवासियों को हटा रहा है. इस तरह की कार्रवाइयां स्पष्ट संदेश देती हैं: अवैध प्रवास का जोखिम नहीं उठाया जा सकता है."
टेक्सास से सी-17 विमान मंगलवार को भारतीय समयानुसार सुबह रवाना हुआ और कथित तौर पर यह भारत के अमृतसर में उतरेगा क्योंकि इनमें से अधिकांश अवैध अप्रवासी पंजाब से हैं. हालांकि मीडिया में अवैध अप्रवासियों के इस समूह के निर्वासन को लेकर काफी चर्चा हो रही है, लेकिन सच्चाई यह है कि यह ऐसा पहला मामला नहीं है.
पिछले साल अक्टूबर में, पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन के यूएस डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) ने यूएस इमिग्रेशन एंड कस्टम्स इंफोर्समेंट (ICE) के माध्यम से भारतीय नागरिकों को वापस भेजने के लिए एक बड़ी चार्टर रिमूवल फ्लाइट का संचालन किया. इन भारतीय नागरिकों के पास अमेरिका में रहने के लिए कोई कानूनी आधार नहीं था.
तब DHS द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, इस उड़ान ने अमेरिकी प्रशासन की अवैध अप्रवास को रोकने तथा मानव तस्करी का मुकाबला करने के लिए संयुक्त रूप से काम करने के लिए भारत सरकार और अन्य अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के साथ सहयोग करने की निरंतर प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया.
बयान में तत्कालीन वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहा गया था, "अमेरिका में बिना वैध दस्तावेज के साथ रह रहे भारतीय नागरिकों को तुरंत हटाया जा सकता है और इच्छुक प्रवासियों को तस्करों के झूठ में नहीं फंसना चाहिए. होमलैंड सिक्योरिटी विभाग देश के कानूनों को लागू करना जारी रखेगा."
जून 2024 से, जब सीमा सुरक्षा राष्ट्रपति उद्घोषणा और उसके साथ अंतरिम नियम लागू हुए, अमेरिका की दक्षिण-पश्चिमी सीमा पर प्रवेश के बंदरगाहों पर घुसपैठ में 55 प्रतिशत की कमी आई है. उस महीने से, डीएचएस ने 1,60,000 से अधिक व्यक्तियों को भगाया या वापस लौटाया. साथ ही अवैध अप्रवासियों को भेजने के लिए भारत सहित 145 से अधिक देशों के लिए 495 से अधिक अंतरराष्ट्रीय उड़ानों का संचालन किया है.
इस साल 20 जनवरी को पदभार ग्रहण करने के बाद से, राष्ट्रपति ट्रंप ने अवैध अप्रवास के खिलाफ कई कार्यकारी आदेश जारी किए हैं, जिससे पूरे अमेरिका में अवैध प्रवासियों पर व्यापक कार्रवाई की तैयारी हो गई है. प्यू रिसर्च सेंटर का अनुमान है कि 2024 तक, लगभग 7,25,000 भारतीय नागरिक बिना किसी कानूनी दस्तावेज के अमेरिका में रह रहे हैं.
भारत ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वह अवैध अप्रवास का दृढ़ता से विरोध करता है, विशेषकर जब यह संगठित अपराध के अन्य रूपों से जुड़ा हो.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने पिछले सप्ताह नई दिल्ली में मीडिया ब्रीफिंग में कहा, "भारत-अमेरिका प्रवास और गतिशीलता सहयोग के हिस्से के रूप में, दोनों पक्ष अवैध प्रवास को रोकने की प्रक्रिया में लगे हुए हैं. साथ ही भारत से अमेरिका में वैध प्रवास के लिए और अधिक रास्ते भी बना रहे हैं. हम इस सहयोग को जारी रखने के इच्छुक हैं. भारत सरकार को संबंधित व्यक्तियों को भारत में निर्वासित करने से पहले उनकी राष्ट्रीयता सहित जरूरी सत्यापन करने की आवश्यकता होगी."
205 अवैध अप्रवासियों का यह बैच उन 18,000 भारतीयों में शामिल है, जिन्हें अमेरिका से निर्वासित किया जाना है.
नई दिल्ली स्थित इमेजइंडिया थिंक टैंक के अध्यक्ष रोबिंदर सचदेव ने ईटीवी भारत को बताया कि "इन 18,000 अवैध भारतीय प्रवासियों ने सभी कानूनी कार्यवाही पूरी कर ली है."
सचदेव के अनुसार, जब सी-17 विमान भारतीय धरती पर उतरेगा तो उसमें सवार लोगों को हिरासत केंद्र में रखा जाएगा. उन्होंने कहा, "उनके कागजात की जांच की जाएगी. उनमें से कुछ ने अपराध किए होंगे और अमेरिका भाग गए होंगे. हो सकता है कि उनमें से कुछ आपराधिक गिरोहों के सदस्य हों. ऐसे व्यक्ति भी हो सकते हैं जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हों."
सचदेव ने आगे कहा कि भारतीय अधिकारी उन एजेंटों के बारे में जानकारी हासिल करने का प्रयास करेंगे जिन्होंने इन लोगों को अमेरिका भेजा था. उन्होंने कहा, "हालांकि पूर्व राष्ट्रपति बाइडेन के कार्यकाल से अमेरिकी प्रशासन अवैध प्रवासियों पर नकेल कस रहा है, लेकिन ट्रंप मीडिया में प्रसिद्धि पाने के लिए संख्या में भारी वृद्धि करने की कोशिश कर रहे हैं."
अमेरिका में अवैध अप्रवास के मामले में मैक्सिको और अल साल्वाडोर के बाद भारत तीसरे स्थान पर है.
राष्ट्रपति ट्रंप ने कार्यभार संभालने के कुछ घंटों बाद ही ऑपरेशन सेफगार्ड की शुरुआत की, जो एक कानून प्रवर्तन योजना है, जिसका उद्देश्य पूरे अमेरिका में शहरी क्षेत्रों में रहने वाले अवैध प्रवासियों को तेजी से हिरासत में लेना और निष्कासित करना है. यह ऑपरेशन 23 जनवरी, 2025 को शुरू हुआ, जिसमें अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (ICE) ने शहरों में छापे मारे, जिसके बाद सैकड़ों अवैध प्रवासियों को हिरासत में लिया गया और निर्वासित किया गया.
मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि अवैध अप्रवास के 35 प्रतिशत मामलों में, प्रतिवादी पेश नहीं हुए, भले ही उनके निर्वासन का आदेश हो. 2024 के अंत तक अप्रवास के लगभग 35 लाख मामले लंबित थे.
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