पटना: हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के संस्थापक और गया से हम सांसद जीतनराम मांझी को मोदी कैबिनेट में जगह मिली है. मांझी ने इस सीट से तीन बार 1991, 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन तीनों बार उनकी हार हुई थी. यह उनका चौथा लोकसभा चुनाव था, जिसमें उन्होंने आरजेडी के कुमार सर्वजीत को हराकर पहली बार जीत दर्ज की. बिहार की राजनीति में अपनी दखल रखने वाले जीतनराम मांझी पहली बार लोकसभा में बैठेंगे. इसके साथ ही अब केंद्रीय मंत्रिमंडल में बैठकर देश के लिए नीति बनाएंगे.
जीतनराम मांझी की पारिवारिक पृष्ठभूमि:जीतनराम मांझी का जन्म बिहार राज्य के गया जिले के खिजरसराय के महकार गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम रामजीत राम मांझी है, जो एक खेतिहर मजदूर थे. उन्होंने 1966 में गया कॉलेज से स्नातक किया. वह महादलित मुसहर समुदाय से आते हैं. 1966 में उन्होंने पोस्टल डिपार्टमेंट में क्लर्क के रूप में काम करना शुरू किया. राजनीति में दिलचस्पी के कारण उन्होंने 1980 में नौकरी छोड़ दी. मांझी की शादी शांति देवी के साथ हुई. उनको दो बेटे और पांच बेटियां हैं.
जीतनराम मांझी का राजनीतिक सफर: जीतनराम मांझी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 1980 में की थी. साल 1980 में जगन्नाथ मिश्रा ने ही उनके नाम की सिफारिश की. जिसके बाद उनको फतेहपुर सीट से कांग्रेस का टिकट मिला और चुनाव में जीत हासिल की. 1983 में चंद्रशेखर सिंह की कांग्रेस सरकार में वह राज्यमंत्री बने. 90 के दशक में कांग्रेस ने बिन्देश्वरी दुबे, सत्येंद्र नारायण सिन्हा और जगन्नाथ मिश्रा को मुख्यमंत्री बनाया था. उन सरकारों में मांझी को भी मंत्री बनाया गया.
कई दलों में रह चुके हैं मांझी: कांग्रेस छोड़ने के बाद जीतनराम मांझी 1990 में जनता दल में शामिल हो गए. 1996 में उन्होंने एक बार फिर से पाला बदला और लालू यादव का दामन थाम लिया. वहीं साल 2005 में मांझी पाला बदलकर नीतीश कुमार के साथ चले गए. बाद में वह जेडीयू विधायक के तौर पर नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में मंत्री भी बने. जेडीयू नेता के तौर पर 23वें मुख्यमंत्री बने थे. जीतन राम मांझी बिहार राज्य में दलित समुदाय के तीसरे मुख्यमंत्री रहे. हालांकि बाद में नीतीश कुमार से मतभेद के कारण 20 फरवरी 2015 को उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.