गोपालगंज :बिहार के गोपालगंज में चोरी की एक अनोखी घटना देखने को मिली, जिसमें चोरों ने थाने के अंदर खड़े ट्रक से इंजन, चक्का और सीट चोरी कर लिए. ट्रक को ढूंढने में पुलिस को चार साल लगे, लेकिन जब ट्रक मिला तो उसमें न इंजन था, न चक्का और न ही सीट. सिर्फ ट्रक की बॉडी मिली. सीजेएम की अदालत में फरियादी जब सबूत लेकर पहुंचा तो कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए पूछा कि बगैर इंजन, सीट और चक्का के ट्रक बिहार कैसे पहुंचा?. अब मामले की अगली सुनवाई 23 मार्च को होगी.
बिना इंजन और चक्का के बिहार कैसे पहुंचा ट्रक? : मामले में सीजेएम मानवेंद्र मिश्रा की अदालत ने कहा कि ''बरामद सामान की सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस की थी, ऐसे में इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हुई. इसके लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों का वेतन क्यों ना काटा जाय और उससे गाड़ी के मालिक को मुआवजा दिया जाय?."
साल 2020 में पशुओं के साथ पकड़ा गया था ट्रक :बचाव पक्ष के वकील अजय ओझा ने कोर्ट को बताया कि, 2 अक्टूबर 2020 को आवेदक लाल बहादुर यादव की यूपी नंबर (UP 50CT 0726) ) के ट्रक को गोपालगंज नगर थाना पुलिस ने सात मवेशियों के साथ बरामद किया था. तत्कालीन जमादार सुरेश प्रसाद सिंह के लिखित आवेदन पर पशु क्रूरता अधिनियम के अंतर्गत यह मामला दर्ज किया गया था. कोर्ट ने आरोपित को व्यक्तिगत बंध पत्र पर मुक्त कर दिया था.
1 जून 2023 को ट्रक मुक्ति का आदेश :20 जनवरी 2023 को आरोपित के ट्रक मुक्ति के आवेदन पर नगर थाना से रिपोर्ट की मांग की गई. नगर थाना की ओर से कोई प्रतिवेदन नहीं दिए जाने पर अदालत ने दोबारा 20 मई 2023 को नगर थाना प्रभारी को नोटिस भेजा. इसके बाद नगर थाना प्रभारी से वाहन मुक्ति के संबंध में अनापत्ति रिपोर्ट प्राप्त होने पर 1 जून 2023 को ट्रक की मुक्ति का आदेश अदालत ने दिया.
नौ महीने बाद कबाड़ की हालत में मिला ट्रक :इसके बाद आवेदक जब मुक्ति आदेश लेकर नगर थाना पहुंचा तो उसका जब्त ट्रक थाने में नहीं था. काफी खोजबीन के नौ महीने बाद पता चला कि उसके ट्रक को नगर थाने में जगह के अभाव के बाद जादोपुर रोड में नवनिर्मित महिला थाने परिसर में रखा गया है. आवेदक जब वहां अपना ट्रक लेने पहुंचा तो उसने देखा कि इंजन सहित ट्रक का चक्का, सीट गायब हैं. केवल ट्रक का ढांचा बचा हुआ है.
''आवेदक ने ट्रक को 21 जून 2018 को 29 लाख 30 हजार रुपये में खरीदा था. ऐसे में आवेदक ने अदालत से मुआवजा देनें और पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कर दोषी पुलिस कर्मी पर कार्रवाई करने की मांग की.''- अजय ओझा, बचाव पक्ष के वकील
'जांच कराकर एक महीने के अंदर रिपोर्ट दें' : वही दर्ज मामले और सबूतों के आधार पर सीजेएम मानवेंद्र मिश्रा की अदालत ने पुलिस अधीक्षक को आदेश दिया कि ''वह अपने स्तर से पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कराकर एक महीने के अंदर रिपोर्ट समर्पित करें. इस मामले में अब अगली सुनवाई 23 मार्च को होगी.''