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हरियाणा में तीन 'लाल' परिवार हुए 'भगवा', कांग्रेस को झटका देकर बंसीलाल की बहू किरण चौधरी भी BJP में शामिल - Kiran Chaudhary Joins BJP

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jun 19, 2024, 8:04 PM IST

Kiran Chaudhary Joins BJP: हरियाणा की सियासत में विधानसभा चुनाव से पहले फिर से उलटफेर शुरू हो गया है. बुधवार को हरियाणा कांग्रेस की बड़ी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल की बहू किरण चौधरी अपनी बेटी, पूर्व सांसद श्रुति चौधरी के साथ बीजेपी में शामिल हो गईं है. किरण चौधरी के बीजेपी में जाते ही हरियाणा के तीनों लालों का परिवार बीजेपी का सदस्य हो गया है. इसका आने वाले विधासभा चुनाव में फर्क पड़ने की संभावना जताई जा रही है.

Kiran Chaudhary Joins BJP
कुलदीप बिश्नोई (सबसे बाएं), किरणा चौधरी (मध्य) रणजीत सिंह (दाएं) (Etv Bharat)

चंडीगढ़: हरियाणा की सियासत के लिए बुधवार का दिन अहम रहा. कभी एक दूसरे के धुर विरोधी रहे हरियाणा के तीन लाल (देवी लाल, बंसी लाल और भजन लाल) के परिवार को सदस्यों को बीजेपी अपने पाले में ले आई है. हम बात कर रहे हैं बंसी लाल की सियासी विरासत को संभाल रही किरण चौधरी और उनकी बेटी श्रुति चौधरी की. किरण चौधरी ने श्रुति चौधरी के साथ बुधवार को बीजेपी का दामन थाम लिया.

अगस्त 2022 में पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के छोटे बेटे और पूर्व विधायक कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे. कुलदीप बिश्नोई की आदमपुर सीट से अब उनके बेटे बीजेपी के विधायक हैं. वहीं इसी साल हुए लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मार्च 2024 में देवीलाल के बेटे रणजीत चौटाला भी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. वो हिसार लोकसभा सीट से चुनाव लड़े लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार जय प्रकाश से हार गये.

हरियाणा की सियासत में कभी तीनों लालों की तूती बोलती थी. खास बात ये है कि तीनों पुराने कांग्रेसी रहे. सबसे आखिर तक भजनलाल और बंसी लाल कांग्रेस में रहे. जबकि देवीलाल जेपी आंदोलन के समय ही कांग्रेस छोड़ चुके थे. हरियाणा के गठन से लेकर 2014 तक प्रदेश की सियासत इन्हीं तीनों लालों के इर्द-गिर्द घूमती थी. 2014 से पहले हरियाणा में बीजेपी की खास जमीन नहीं थी. लेकिन अब बदले समय में भजन लाल, देवीलाल और बंसीलाल परिवार बीजेपी का हिस्सा बन चुका है.

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की राजनीतिक विरासत संभालने का दावा कर रहीं रहीं किरण चौधरी और श्रुति चौधरी ने भी बुधवार को दिल्ली में जेपी नड्डा की मौजूदगी में बीजेपी का दामन थाम लिया. किरण चौधरी का बीजेपी में शामिल होना हरियाणा की सियासत में नया दौर है. किरण चौधरी 2024 लोकसभा चुनाव में अपनी बेटी श्रुति चौधरी का टिकट कटने से बेहद नाराज थीं. इस नाराजगी को उन्होंने सरेआम जाहिर भी किया था. श्रुति चौधरी 2009 में कांग्रेस से भिवानी-महेंद्रगढ़ की सांसद बनीं थीं. इस बार कांग्रेस ने महेंद्रगढ़ विधायक राव दान सिंह को टिकट दिया. राव दान सिंह कड़े मुकाबले में बीजेपी के धर्मबीर सिंह से चुनाव हार गये.

अब सवाल यह है कि जिस बीजेपी ने तीनों लालों के कुनबे को अपने पाले में खींच लिया है, उससे आने वाले समय में हरियाणा की राजनीति में क्या असर पड़ेगा. क्या इससे बीजेपी की आने वाले विधानसभा चुनावों में राह आसान होगी? यह सवाल इसलिए भी खड़े हो रहे हैं क्योंकि इन सबका एक साथ एक पार्टी में चलना चुनौती पूर्ण दिखाई देता है.

इस मामले में राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि बीजेपी को इसका आने वाले विधानसभा चुनाव में कितना फायदा होगा, यह कह पाना अभी मुश्किल है. वे कहते हैं कि किरण चौधरी, श्रुति चौधरी और रणजीत चौटाला बीजेपी के पाले में जाट वोट बैंक को डायवर्ट कर पायेंगे या नहीं, ये देखने वाली बात होगी. वो भी तब, जब हरियाणा में जाट समाज में बीजेपी को लेकर कोई पॉजिटिव वेव नहीं है. ये बात लोकसभा चुनाव के नतीजों से भी साफ हो गई है. वहीं कुलदीप बिश्नोई भी अपने समाज के वोट को बीजेपी के पाले में लाने में कामयाब नहीं हो पाए, और हिसार सीट भी बीजेपी हार गई.

धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि तीन लालों के परिवार के सदस्यों को साथ लेकर चलने की बीजेपी के सामने चुनौती है. क्योंकि तीनों की जो राजनीतिक इच्छाएं हैं उनको पूरा करना पार्टी के लिए पूरा करना आसान नहीं होगा. वो कहते हैं कि कुलदीप बिश्नोई गाहे बगाहे बीजेपी के सामने उनके तेवरों से परेशानी खड़ी करते रहते हैं. अब किरण और श्रुति के आने के बाद इन सभी को एक साथ लेकर चलना बीजेपी के लिए आसान दिखाई नहीं देता है.

वहीं वरिष्ठ पत्रकार राजेश मोदगिल कहते हैं कि बीजेपी ने जिस तरह से तीनों लाल के लाल को एक साथ इकट्ठा किया है, उससे बीजेपी हरियाणा की जनता को एक पॉलिटिकल संदेश देने में तो कामयाब हुई है. इसका जमीनी स्तर पर आने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी जरूर फायदा उठाना चाहेगी. वे कहते हैं कि किरण चौधरी और श्रुति चौधरी के बीजेपी में जाने से भिवानी और इसके आस-पास के इलाकों में तो बीजेपी को जरूर फायदा होगा। हालांकि कितना असर होगा इसका आंकलन विधानसभा चुनाव के नतीजे बताएंगे.

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