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डॉक्टरों की खराब लिखाई पर गंभीर हरियाणा हाईकोर्ट, कहा- प्रिस्क्रिप्शन को समझना मरीज का अधिकार, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग से मांगा सहयोग - HEARING ON DOCTORS HANDWRITING

डॉक्टरों की लिखाई से आम लोंगों के साथ कोर्ट भी परेशान है. अस्पष्ट लिखावट वाले मेडिकल-लीगल रिपोर्ट मिलने पर कोर्ट ने समाधान खोजने को कहा.

The matter of doctors' writing reached the Punjab and Haryana High Court
डॉक्टरों की लिखाई का मामला पहुंचा पंजाब एण्ड हरियाणा हाईकोर्ट (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Feb 7, 2025, 6:31 PM IST

पंचकूला: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने डॉक्टरों की खराब लिखाई को चिंताजनक बताया है. हाईकोर्ट ने डॉक्टरों की लिखाई में सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने डॉक्टरों की लिखावट को 'आश्चर्यजनक और भयावह' करार देते हुए कहा कि कंप्यूटर युग में ऐसी स्थिति होना चिंताजनक है. दरअसल, कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान ये निर्देश उस समय दिए, जब एक मेडिकल-लीगल रिपोर्ट में लिखी गई जानकारी अत्यंत अस्पष्ट और अपठनीय थी, जिसे पढ़ पाना संभव नहीं था.

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग करेगा सहयोग: जस्टिस जसगुरप्रीत सिंह पुरी ने इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए पंजाब और हरियाणा के महाधिवक्ताओं, चंडीगढ़ के वरिष्ठ स्थायी वकील और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग से सहायता/सहयोग मांगा है. इसके अलावा कोर्ट ने अधिवक्ता तनु बेदी को मामले में न्याय मित्र (एमिकस क्यूरी) नियुक्त किया है.

हाथ से लिखने पर कोर्ट की टिप्पणी: कोर्ट ने कहा कि काफी चौंकाने वाली बात है कि तकनीकी युग में भी सरकारी डॉक्टर मेडिकल हिस्ट्री और प्रिस्क्रिप्शन हाथ से लिखते हैं. वह भी इतनी खराब लिखावट में कि शायद ही उसे कोई समझ सके. जस्टिस जसगुरप्रीत सिंह पुरी ने कहा कि कई मामलों में देखा गया है कि मेडिकल पर्ची पर लिखावट ऐसी होती है कि उसे केवल कुछ ही डॉक्टर या कुछ केमिस्ट ही समझ पाते हैं.

राज्य सरकार के खिलाफ याचिका: दरअसल, इस मामले में अधिवक्ता आदित्य सांघी के माध्यम से राज्य सरकार के खिलाफ याचिका दायर की गई थी. कोर्ट ने पाया कि यह पंजाब और हरियाणा के अलावा संभवतः चंडीगढ़ में भी एक व्यापक समस्या है. नतीजतन कोर्ट ने पंजाब और चंडीगढ़ को भी मामले में सहायता के लिए कहा.

जीवन के अधिकार से जुड़ा मामला: जस्टिस पुरी ने कहा कि किसी व्यक्ति को अपनी चिकित्सा स्थिति की जानकारी हासिल करने का अधिकार उसके मौलिक अधिकारों में आता है और इसे संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत जीवन के आधार से जोड़ा जा सकता है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और उपचार जीवन का अभिन्न हिस्सा है, इसलिए यह भी जीवन के अधिकार के अंतर्गत आता है. कोर्ट ने इस मुद्दे पर असंतोष व्यक्त करते हुए संबंधित अधिकारियों से ठोस समाधान प्रस्तुत करने को कहा.

पंजाब-हरियाणा चंडीगढ़ के डॉक्टर करें सुधार: कोर्ट ने कहा कि वर्तमान तकनीकी दुनिया में मरीजों और उनके परिजनों को स्वास्थ्य सुझाव और मेडिकल हिस्ट्री समझने का अधिकार होना चाहिए, ताकि वे उचित फैसला ले सकें. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह सुधार सरकारी डॉक्टरों के साथ निजी डॉक्टरों पर भी लागू होगा. पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में सभी डॉक्टरों के लिए इसे अनिवार्य किया जाएगा, ताकि वे ऐसी लिखावट में प्रिस्क्रिप्शन और मेडिकल नोट्स लिखें, जिसे आसानी से पढ़ा और समझा जा सके.

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पंचकूला: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने डॉक्टरों की खराब लिखाई को चिंताजनक बताया है. हाईकोर्ट ने डॉक्टरों की लिखाई में सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने डॉक्टरों की लिखावट को 'आश्चर्यजनक और भयावह' करार देते हुए कहा कि कंप्यूटर युग में ऐसी स्थिति होना चिंताजनक है. दरअसल, कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान ये निर्देश उस समय दिए, जब एक मेडिकल-लीगल रिपोर्ट में लिखी गई जानकारी अत्यंत अस्पष्ट और अपठनीय थी, जिसे पढ़ पाना संभव नहीं था.

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग करेगा सहयोग: जस्टिस जसगुरप्रीत सिंह पुरी ने इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए पंजाब और हरियाणा के महाधिवक्ताओं, चंडीगढ़ के वरिष्ठ स्थायी वकील और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग से सहायता/सहयोग मांगा है. इसके अलावा कोर्ट ने अधिवक्ता तनु बेदी को मामले में न्याय मित्र (एमिकस क्यूरी) नियुक्त किया है.

हाथ से लिखने पर कोर्ट की टिप्पणी: कोर्ट ने कहा कि काफी चौंकाने वाली बात है कि तकनीकी युग में भी सरकारी डॉक्टर मेडिकल हिस्ट्री और प्रिस्क्रिप्शन हाथ से लिखते हैं. वह भी इतनी खराब लिखावट में कि शायद ही उसे कोई समझ सके. जस्टिस जसगुरप्रीत सिंह पुरी ने कहा कि कई मामलों में देखा गया है कि मेडिकल पर्ची पर लिखावट ऐसी होती है कि उसे केवल कुछ ही डॉक्टर या कुछ केमिस्ट ही समझ पाते हैं.

राज्य सरकार के खिलाफ याचिका: दरअसल, इस मामले में अधिवक्ता आदित्य सांघी के माध्यम से राज्य सरकार के खिलाफ याचिका दायर की गई थी. कोर्ट ने पाया कि यह पंजाब और हरियाणा के अलावा संभवतः चंडीगढ़ में भी एक व्यापक समस्या है. नतीजतन कोर्ट ने पंजाब और चंडीगढ़ को भी मामले में सहायता के लिए कहा.

जीवन के अधिकार से जुड़ा मामला: जस्टिस पुरी ने कहा कि किसी व्यक्ति को अपनी चिकित्सा स्थिति की जानकारी हासिल करने का अधिकार उसके मौलिक अधिकारों में आता है और इसे संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत जीवन के आधार से जोड़ा जा सकता है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और उपचार जीवन का अभिन्न हिस्सा है, इसलिए यह भी जीवन के अधिकार के अंतर्गत आता है. कोर्ट ने इस मुद्दे पर असंतोष व्यक्त करते हुए संबंधित अधिकारियों से ठोस समाधान प्रस्तुत करने को कहा.

पंजाब-हरियाणा चंडीगढ़ के डॉक्टर करें सुधार: कोर्ट ने कहा कि वर्तमान तकनीकी दुनिया में मरीजों और उनके परिजनों को स्वास्थ्य सुझाव और मेडिकल हिस्ट्री समझने का अधिकार होना चाहिए, ताकि वे उचित फैसला ले सकें. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह सुधार सरकारी डॉक्टरों के साथ निजी डॉक्टरों पर भी लागू होगा. पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में सभी डॉक्टरों के लिए इसे अनिवार्य किया जाएगा, ताकि वे ऐसी लिखावट में प्रिस्क्रिप्शन और मेडिकल नोट्स लिखें, जिसे आसानी से पढ़ा और समझा जा सके.

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