नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच चर्चा 4टी - ट्रेड, टैरिफ, टेरर और टफ टॉक पर केंद्रित रही. दी की यात्रा का मुख्य उद्देश्य ट्रंप को यह भरोसा दिलाना था कि भारत टैरिफ देश नहीं है और यह व्यापार युद्ध से बचने के लिए व्यापार मुद्दों को हल करने के लिए मिलकर काम करने के लिए तैयार है.
भारत का अमेरिका के साथ ट्रेड सरप्लस है जो ट्रंप को पसंद नहीं है. उन्होंने लंबे समय से भारत पर व्यापार का बड़ा दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है. उन्होंने गुरुवार को भी यही दावा दोहराया और कहा कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर सबसे ज्यादा टैरिफ लगाता है. ट्रंप ने कहा है कि भारत के साथ लंबित व्यापार मुद्दों को भारत को अधिक अमेरिकी ऊर्जा और रक्षा उत्पाद बेचकर सुलझाया जा सकता है.
भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ का रास्ता
कुछ दिन पहले ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा की थी, जिसका मतलब होगा कि अमेरिका किसी देश के उत्पादों पर वही टैरिफ लगाएगा जो वह देश अमेरिकी उत्पादों पर लगाता है.
उनकी बैठक से पहले, यह बताया गया था कि भारत कम से कम एक दर्जन क्षेत्रों में टैरिफ कम करने पर विचार कर रहा था, जैसे कि इलेक्ट्रॉनिक, चिकित्सा और कुछ रसायन, ताकि ट्रंप की चिंताओं को दूर करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका से आयात बढ़ाया जा सके.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने टैरिफ का बचाव किया और कहा कि जब व्यापार की बात आती है तो मोदी एक कठोर वार्ताकार हैं. अपनी ओर से मोदी ने रणनीतिक रूप से इस मुद्दे पर बोलने से परहेज किया.
भारत और अमेरिका 2030 तक ट्रेड दोगुना
पिछले साल अमेरिका का भारत के साथ व्यापार अधिशेष करीब 45 बिलियन डॉलर था. हालांकि ट्रंप ने दावा किया कि घाटा करीब 100 बिलियन डॉलर था. घाटे को कम करने के लिए ट्रंप ने कहा कि अमेरिका भारत को अमेरिकी तेल, गैस और एफ-35 लड़ाकू विमान जैसे रक्षा सामान बेचेगा. मोदी ने कहा कि भारत 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने की दिशा में काम करेगा.
टफ टॉक
दोनों नेताओं ने एक-दूसरे की प्रशंसा की ट्रंप ने मोदी को कठोर वार्ताकार कहा, लेकिन दोनों के बीच 'कठोर बातचीत' भी खूब हुई.
टेरर पर चिंता
ट्रंप ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की घोषणा की, जिस पर 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों की योजना बनाने का आरोप है. वह पाकिस्तानी-अमेरिकी डेविड कोलमैन हेडली से जुड़ा हुआ है, जिसने मुंबई हमलों की योजना बनाने में मदद की थी. इस बात के भी संकेत हैं कि भारत द्वारा वांछित अन्य लोग, संभवतः खालिस्तान आंदोलन से जुड़े आतंकवादी, निकट भविष्य में एक्सट्रेडिटेड किए जा सकते हैं.