मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर :एमसीबी जिले के जनकपुर में एक बैगा परिवार रहता है.पहले से ही पिछड़ापन का दंश झेल रहा ये परिवार इन दिनों नई मुसीबत का सामना कर रहा है. बैगा परिवार के घर में एक बच्ची ने जन्म लिया.जिसे जन्म से ही बीमारी थी.जैसे-जैसे बच्ची बड़ी हुई,बीमारी भी साथ बढ़ी.पहले तो इसे सामान्य मानकर परिवार ने पास के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बच्ची का इलाज कराया,लेकिन अब हालात बद से बदतर हो चुके हैं.जब इस बच्ची की जानकारी ईटीवी भारत को लगी तो हमारी टीम बैगा परिवार के पास पहुंची.
गरीबी के आगे परिवार लाचार :जनकपुर के गांव में जन्मी इस बच्ची को सामने देखकर आप इसके हालात पर एक बार जरुर सोचेंगे.नन्ही सी बच्ची को जिंदा रखने के लिए उचित इलाज की जरुरत है.लेकिन इलाज हो कैसे ये एक बड़ा सवाल है.क्योंकि परिवार के पास इतना पैसा नहीं है कि किसी बड़े अस्पताल में ले जाकर बच्ची को भर्ती करा सके.हमारी टीम को जब परिवार ने देखा तो ऐसा कोई ना था जिसकी आंखों में उम्मीद आंसू बनकर ना निकला हो.परिवार के पास जो कुछ भी था उसे गिरवी रखकर पैसे इकट्ठा किए और बच्ची का जहां तक हो सका वहां तक इलाज कराया.लेकिन अब तो पैसे भी खत्म हो चुके हैं,परिवार के पास यदि कुछ बचा है तो सिर्फ उम्मीद.
बच्ची झेल रही शारीरिक कष्ट :बच्ची जब पैदा हुई तभी से उसके दिमाग के नस में सूजन थी.ये सूजन वक्त के साथ बढ़ने लगी.आज बच्ची के माथे का एक हिस्सा पूरी तरह से सूज चुका है.इस वजह से बच्ची को दूध पिलाने से लेकर अन्न का पानी पिलाने तक बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है.बच्ची के मां ने बताया कि उन्होंने जनकपुर हॉस्पिटल से लेकर रायपुर एम्स हॉस्पिटल तक बच्ची का इलाज कराया.लेकिन डॉक्टरों ने बच्ची के कमजोर होने का हवाला देकर वापस गांव भेज दिया.बच्ची का परिवार इतना गरीब है कि उन्हें खुद के खाने के लिए पैसे नहीं होते,ऐसे में बच्ची के लिए इलाज और फिर अच्छा खाना कहां से लाएं.
''आज तक कोई भी जनप्रतिनिधि सामने नहीं आया. गांव के सरपंच से भी मदद मांगी तो उनका भी कहना था कि वो अपने जनप्रतिनिधि से बात करके बताएंगे लेकिन ये बात हो ना सकी.''- गणेशिया,बच्ची की मां