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500 साल पहले कौन थे आपके पूर्वज? बिहार के पाल पंडों के पास है पूरा लेखा-जोखा - pitru paksha 2024

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 16, 2024, 7:45 PM IST

Updated : Sep 16, 2024, 8:23 PM IST

History Of Ancestors: बिहार के गया में गया पाल पंडों के पास 400-500 सालों का बही खाता आज भी मौजूद है. सैकड़ों साल पहले पिंडदान करने वाले का यहां आपको नाम मिल जाएगा. सबसे बड़ी बात ये कि कोर्ट कचहरी भी इस बही खाते को मान्यता देता है. पढ़ें पूरी खबर.

history of ancestors
पूर्वजों का बही खाता (ETV Bharat)

पाल पंडों के पास पूर्वजों का लेखा-जोखा (ETV Bharat)

गया: बिहार के गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला 17 सितंबर से शुरू होने जा रहा है. पितृपक्ष मेला 2 अक्टूबर तक चलेगा. विश्व विख्यात पितृ तीर्थ गया जी में गया पाल पंडों के पास सैकड़ों साल पुरानी बही खाता है. पुराने भोजपत्र और ताम्रपत्र भी हैं. जैसे-जैसे लिखावट का चलन ताम्रपत्र व भोजपत्र से बदला, तो वहीं खातों का चलन कागज के साथ शुरू हुआ.

पिंडदानियों का सैकड़ों साल का बही खाता : अब कागजी रूप में गयापाल पंडों के पास पिंडदानियों का बही खाता है, जो पांच सौ साल तक पुराना है. हालांकि डिजिटल युग आया, किंतु कंप्यूटर के युग में भी बही खाता गयापाल पंडों ने संभालकर रखे हैं. इनका कहना है, कि गया तीर्थ की मर्यादा के रूप में एक बही खाता भी है.

पूर्वजों का दस्तखत देखने को मिलता है (ETV Bharat)

गयापाल पंडा ने क्या कहा?: वहीं, इस संबंध में गयापाल पंडा गजाधर लाल कटरियार बताते हैं, कि बही खाता पुरानी प्रथा और प्रचलन एवं गया तीर्थ की मर्यादा है. हमारे तीर्थयात्री आते हैं, जिनके वंशावली खो जाते हैं, उनके सभी वंश के लोगों के नाम हमारे बही खाते में मिल जाएंगे. जिनके यहां तीर्थ यात्री के पूर्वज आए, तीर्थ यात्री उन्हीं के यहां पिंडदान करते हैं, ऐसी धार्मिक परंपरा है. इसे लेकर भी हम लोग बही खाता सुरक्षित रखते हैं.

"कब और किस समय तीर्थ यात्री के पूर्वज आए बही खाते में लिखा रहता है. पूर्वजों का दस्तखत जिस तीर्थ यात्री ने नहीं देखे, लेकिन हमारे यहां आकर उसे भी देख लेते हैं. तीर्थयात्री हमारे यहां पिंडदान श्राद्ध करने आते हैं, जब वह बही खाते में अपने पूर्वजों का नाम दस्तखत देखते हैं, तो उन्हें हर्ष होता है. उन्हें खुशी उत्पन्न होती है, कि 200 साल पहले हमारे पिता ऐसे होते थे और उनके दस्तखत इस तरह के हुआ करते थे."-गजाधर लाल कटरियार, गयापाल पंडा

बही खाते में पूरी वंशावली का पता (ETV Bharat)

पूर्वजों के नाम हैं दर्ज: गया जी धाम आने वाले तीर्थ यात्रियों का सैकड़ों साल का बही खाता है. गया पाल पंडों के पास यह अनोखा और आश्चर्य चकित कर देने वाला बही खाता मिल जाएगा. गया पाल पंडे इसे सावधानीपूर्वक बेहद संभाल कर रखते हैं. बताया जाता है, कि गयापाल पंडों के पास रहे बही खाते सैकड़ों सालों के मिल जाएंगे. वहीं, उससे भी पुराने खाते के रूप में भोजपत्र और ताम्रपत्र हैं. गयापाल पंडों के पास यह मिल जाएगा.

संबंधित गयापाल पडों से करना होगा संपर्क: विष्णु धाम मोक्ष नगरी के रूप में विश्व प्रसिद्ध है. यहां भगवान विष्णु ने गदाधर रूप में गयासुर नाम के राक्षस के ऊपर अपना दाहिना पैर रखा था. तब से यह मोक्ष स्थली के रूप में है. यहां पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. विश्व प्रसिद्ध गया धाम में सालों भर पिंडदानी आते हैं. वहीं, पितृ पक्ष मेले में 10 से 15 लाख के बीच पिंडदानियां का आना होता है. यदि कोई पिंडदानी गया जी में अपने संबंधित गयापाल पडों से संपर्क करता है, तो उन्हें अपने पूर्वजों के बही खाते यहां मिल जाते हैं.

नाम पता गांव जिला बताना जरूरी: यदि कोई व्यक्ति देश के किसी कोने से गया में पिंडदान करने आ रहा है और वह अपने गयापाल पंडे के बारे में जानकारी चाहता है और वहां उसे पहुंचना है, तो सबसे पहले उसे अपना नाम पता और जिले व राज्य से पता करना होगा, कि कौन गयापाल पंडा उनके पूर्वजों का पिंडदान कराते थे. तकरीबन हर जिले के गयापाल पंडों का क्षेत्र बंटा हुआ है.

गया पाल पंडों के पास 400-500 सालों का बही खाता (ETV Bharat)

बही खाते में पूरी वंशावली का पता: सैकड़ों साल साल पुराने अपने वंश के पिंडदानी के बारे में यदि किसी तीर्थयात्री को जानना है, तो अपने संबंधित गयापाल पंडा के यहां पहुंचना ही होगा. जिले और राज्य का नाम बताते ही संबंधित पंडा के बारे में उक्त तीर्थयात्री को काफी कुछ ज्ञात हो जाता है और फिर उसे संबंधित पंडे के घर पहुंच कर विस्तृत जानकारी लेते हैं. इस तरह तीर्थयात्री अपने संबंधित गयापाल पंडे के बारे में पता कर लेता है और वहां बही खाते में पूरी वंशावली का पता उसे मिल जाता है.

भावुक हो जाते हैं पिंडदानी:तीर्थ यात्री न सिर्फ यहां अपने गयापाल पंडे से पिंडदान श्राद्ध का कर्मकांड करवाते हैं, बल्कि वहां उनके पास रहे बही खातों में अपने पूर्वजों की विवरणी देखते हैं. अपने पूर्वजों के नाम देखकर वे खुशी से झूम उठते हैं. वह तब भावुक हो जाते हैं, जब यह अपने पूर्वजों का हस्ताक्षर देखते हैं, तब उनकी खुशियों का ठिकाना नहीं रह जाता.

पूर्वजों का दस्तखत देखने को मिलता है: गयापाल पंडों के पास अपने तीर्थ यात्री के लिए अलग-अलग दो से तीन बही खाते होते हैं. एक में संबंधित तीर्थ यात्री की वंशावली होती है, तो दूसरे में उनके लौटने के दौरान जो दस्तखत गयापाल पंडा करवाते हैं, वह रहता है. इस तरह सैकड़ों साल पुराने पिंडदानी, जो कि अब इस धरती पर नहीं है, लेकिन उनका दस्तखत आज भी गयापाल पंडों के बही खाते में मौजूद है.

सरकारी रिकॉर्ड से ज्यादा जानकारी!: गयापाल पंडों के बही खाते में वंशावली मिल जाती है. वंशावली में पूरी विवरणी रहती है. पूरे वंश के उसमें नाम होते हैं, जितने भी पिंडदानी पूर्व से आए हो, उनका नाम पता रहता है, उनके पिता दादा व अन्य पितरों का भी नाम रहता है. गयापाल पडों के पास वंशावली भी मिल जाती है. आज संभवत: सरकारी रिकॉर्ड में वंशावली न मिले, लेकिन गयापाल पंडों के बही खाते में वंशावली मिल ही जाती है.

कोर्ट कचहरी भी देता है मान्यता: यदि किन्हीं को वंशावली को लेकर काफी परेशानी हो रही है, तो यहां के वंशावली को मान्यता है. यहां के गयापाल पंडा बताते हैं, कि हमारे यहां जो वंशावली है, उसे उसे कोर्ट कचहरी भी मान्यता देते हैं.

'पंडा पोथी' में सारी जानकारी:गयापाल पंडा की 'पंडा पोथी' में सब कुछ दर्ज है. बड़ी बात यह है, कि यहां जो पिंडदान करने आते हैं, उन्हीं का गयापाल पंडों के पास बही खाता में नाम दर्ज होता है. 200, 300 या 400 साल पहले जो भी आए, उनकी विवरणी यहां मिल जाती है.

नामचीन हस्तियां कर चुकी हैं पिंडदान: वहीं, देश और विदेश के नामचीन हस्तियां गयाजी धाम में पिंडदान करने को पहुंचे हैं. इसमें कुछ नाम का जिक्र करें, तो टिकरी महाराज गोपाल शरण, चंद्रकांता निर्माता नीरजा गुलेरी, अमित शाह , देश के राष्ट्रपति रहे ज्ञानी जैल सिंह, कस्तूरबा गांधी, मोरारजी देसाई, बूटा सिंह, मकसूदपुर के राजा अजय सिंह, अमावस स्टेट के महाराज, सिनेमा अभिनेत्री रवीना टंडन, अभिनेता धर्मेंद्र, हेमा मालिनी समेत कई बड़ी हस्तियां ऐसे हैं, जो यहां गया जी धाम में आकर पिंडदान कर चुके हैं.

भावुक हो गए तीर्थयात्री: ओडिशा के तीर्थयात्री सिद्धार्थ दास गयाजी धाम में पहुंचे. ओडिशा के तीर्थयात्री सिद्धार्थ तब भावुक हो गए, जब वे अपने संबंधित गयापाल पंडा के यहां पहुंचे और गयापाल पंडा के बही खाते में अपने पूरे वंश का नाम देखा. 113 वर्ष पहले जो उनके पूर्वज आए थे, उनका नाम और दस्तखत को देखकर सिद्धार्थ दास भावुक हो गए.

"16 शासन पुरी ओडिशा के रहने वाले हैं. अपने पूर्वज के बारे में जानना चाहते थे, कि कोई पूर्वज यहां पिंडदान करने आए थे या नहीं, इस बीच में संबंधित गयापाल पंडा के यहां जानकारी लेने पहुंचे, तो यहां पर जानकारी मिली कि 113 साल पहले मेरे पूर्वज यहां पिंडदान करने को आ चुके हैं. कई पूर्वजों के नाम हमने देखे. उनके दस्तखत देख हमारी खुशी का कोई ठिकाना नहीं है."- सिद्धार्थ दास, ओडिशा के तीर्थयात्री

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Last Updated : Sep 16, 2024, 8:23 PM IST

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