पटनाः बिहार की सियासत में दोस्ती की अनोखी मिसाल, नीतीश कुमार और लालू यादव हैं. ये दोनों दिग्गज नेता भले ही राजनीतिक तौर पर विभिन्न गठबंधनों का हिस्सा रहे हों, लेकिन उनकी दोस्ती और आपसी समझ की कहानी राजनीति से परे एक मिसाल बनी हुई है. वर्षों से सत्ता और विपक्ष के बीच संतुलन बनाने वाले ये नेता न सिर्फ अपने सियासी कौशल के लिए जाने जाते हैं, बल्कि अपनी दोस्ती के लिए भी मशहूर हैं. आइए, जानते हैं कैसे इन दोनों की दोस्ती ने बिहार की राजनीति को नई दिशा दी है.
दोनों की जोड़ी को अद्वितीयः लालू यादव की जीवंत और बेबाक शैली के विपरीत नीतीश कुमार का शांति और संतुलित दृष्टिकोण, दोनों की जोड़ी को अद्वितीय बनाता है. उनके बीच की समझ और विश्वास ने न सिर्फ बिहार की राजनीति में नई दिशा दी है, बल्कि यह भी सिखाया है कि राजनीतिक मतभेदों के बावजूद व्यक्तिगत संबंधों को कैसे संजोया जा सकता है. दोनों नेता राजनीतिक तौर पर कभी दूर होते हैं कभी साथ आते हैं बावजूद इसके दोनों के दोस्ताना संबंध कायम है. दोनों ने दो दोस्ती को कायम रखने के लिए एक दूसरे को कई बार सहारा दिया. नीतीश कुमार, लालू यादव को बड़े भाई कहकर संबोधित करते हैं तो वहीं लालू यादव भी छोटे भाई वाला स्नेह देते हैं.
नीतीश के लिए प्रभुनाथ को लगायी थी फटकारः वरिष्ठ पत्रकार संतोष सिंह बताते हैं कि नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के बीच गहरी दोस्ती है. एक बार प्रभु नाथ सिंह मंच से नीतीश कुमार के बारे में भला बुरा कह रहे थे, तभी लालू प्रसाद यादव ने प्रभु नाथ सिंह को डांटा. कहा कि नीतीश मुख्यमंत्री हैं इसका ख्याल कीजिए. राजनीतिक तौर पर लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार भले ही अलग हैं, लेकिन दोनों के बीच अक्सर बातचीत होती रहती है दोनों के व्यक्तिगत संबंध अच्छे हैं.
"एक बार मैंने नीतीश कुमार से पूछा कि आपने लालू प्रसाद यादव को मुख्यमंत्री बनाने में मदद क्यों किया था, तो नीतीश कुमार ने कहा था कि लालू प्रसाद यादव ने सत्ता को अपनी पीढ़ी में लाने का काम किया इसलिए मैंने उन्हें मदद किया था."- संतोष सिंह, वरिष्ठ पत्रकार
कब से शुरू हुई दोस्ती: 1970 के दशक में लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार एक दूसरे के करीब आए. लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार दोनों पटना विश्वविद्यालय के छात्र थे. नीतीश कुमार इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे तो लालू प्रसाद यादव विधि स्नातक के छात्र थे. पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ का पहला चुनाव 1971 में हुआ तब लालू प्रसाद यादव को रामजतन सिन्हा ने हरा दिया था. 1973 में छात्र संघ का दूसरा चुनाव हुआ तो लालू प्रसाद यादव ने जीत हासिल की. लालू प्रसाद यादव को छात्र संघ चुनाव में जीत दिलाने में नीतीश कुमार की अहम भूमिका थी. नीतीश कुमार ने इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों का वोट लालू यादव को दिलवाया था.