भरतपुर.मां की ममता का कोई धर्म नहीं होता है. जब मां की ममता उमड़ती है तो उसके सामने सारे धर्म फीके पड़ जाते हैं. शुक्रवार को हुए भीषण सड़क हादसे में साढ़े 3 साल की फिजा और 10 साल के मासूम अल्फाज के सिर से मां का साया उठ गया. मासूम बच्चों को बिलखते देखकर हर किसी की आंखों से आंसू निकल पड़े. हर किसी की जुबान से एक ही बात निकल रही थी कि भगवान किसी मासूम के साथ ऐसा न करे. दोनों घायल मासूमों को आरबीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया और इन दोनों मासूमों की देखभाल की जिम्मेदारी 'अपना घर आश्रम' की सेवा साथी नीलम ने संभाली. नीलम ने मां यशोदा बनकर मासूम अल्फाज को छाती से लगा लिया तो घायल फिजा का भी पूरा खयाल रखा.
अपना घर आश्रम की अध्यक्ष बबीता गुलाटी ने बताया कि शुक्रवार को हुई दुर्घटना की आश्रम को सूचना मिली. बताया गया कि दो अज्ञात बच्चे घायल हैं और उन्हें संभालने वाला कोई नहीं है. आश्रम से बच्चों की देखभाल के लिए सेवा साथी नीलम को भेजा गया. नीलम ने बताया कि शुक्रवार शाम पौने चार बजे वो अस्पताल पहुंचीं, जहां बच्चों का इलाज चल रहा था. फिजा को ड्रिप लगी थी, लेकिन 10 साल का मासूम अल्फाज अली लगातार रोए जा रहा था. इसके बाद उन्होंने अल्फाज को गोद में लिया और उसे दूध पिलाया. अल्फाज के पैर में चोट लगी है. नीलम ने बताया कि रातभर अल्फाज रोता रहा. मुश्किल से कुछ देर के लिए सो पाया. इसलिए अल्फाज को रातभर गोद में लेकर सुलाने का प्रयास किया. गोद में लेकर इधर-उधर घूम कर उसे संभालती रहीं. थोड़ा-थोड़ा दूध तो कभी दूध दलिया खिलाया.