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शशि थरूर बोले- मुझे अपने हिंदुत्व पर गर्व, उत्तर भारत की नसों में लगा है धर्म का इंजेक्शन - JLF 2025

जेएलएफ में रविवार को शशि थरूर चर्चा में रहे. उन्होंने मोदी सरकर, हिंदुत्व और खुद को लेकर कोई मीडिया ट्रायल पर खुलकर बात की.

Congress Leader Shashi Tharoor
कांग्रेस सांसद शशि थरूर (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 2, 2025, 5:49 PM IST

जयपुर: राजधानी में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान कांग्रेस सांसद शशि थरूर बेहद आक्रमक दिखे. वरिष्ठ पत्रकार और लेखक वीर संगवी के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने सवालों के जवाब में खुलकर बात की. अपनी बातों के दौरान शशि थरूर ने कहा कि उत्तर भारत के युवाओं की नसों में मौजूदा सरकार ने टॉक्सिन घोल दिया है.

उन्होंने कहा कि 2014 में मोदी सरकार को जितने वोट मिले थे, उसके बाद 2019 में उससे ज्यादा मिले और इस बार 36 फीसदी वोट मिले, लेकिन देश की 80% हिंदू आबादी के बहुमत के करीब आज भी मोदी सरकार नहीं पहुंच सकी है. खुद को लेकर शशि थारो ने कहा कि उन्हें अपने हिंदुत्व पर गर्व है, लेकिन वह किसी और धर्म के शख्स को पीट-पीट कर जय श्री राम का नारा लगाकर अपना हिंदुत्व साबित नहीं करना चाहते हैं.

शशि थरूर का बड़ा बयान, सुनिए... (ETV Bharat Jaipur)

पत्नी के निधन पर मीडिया ट्रायल से आहत : शशि थरूर ने देश में मीडिया ट्रायल को लेकर भी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने अपने साथ हुए कई किस्सों का जिक्र किया और बताया कि कैसे उनके पत्नी के निधन पर दुख की घड़ी में उन्हें सवालों से घेर लिया गया था. शशि थरूर ने कहा कि जब वे संयुक्त राष्ट्र में कॉफी अन्नान के साथ थे, तो उन्हें कहा गया था कि शार्क के काटने पर खून नहीं बहाया जाता, जिस बात का अर्थ उन्हें भारत के मीडिया के ट्रायल पर समझ में आ गया और अब वे खुद पर लगे आरोपों का जवाब देने से बेहतर लिखना और पढ़ना जरूरी समझते हैं.

भारत के मीडिया में खौफ : वीर सांघवी के साथ बातचीत में शशि थरूर ने बताया कि मौजूदा दौर में मीडिया सरकार पर सवाल खड़े नहीं कर सकता है. उन्होंने कहा कि 2011 से 2013 के बीच यूपीए सरकार में लगातार भ्रष्टाचार को लेकर मीडिया आवाज उठाता रहा और तब सरकार ने किसी के घर पर ईडी या सीबीआई नहीं भेजी थी. फिलहाल, मीडिया की स्वतंत्रता देश में खतरे में है. आज के हालात के बीच सबूत होने के बावजूद कोई सरकार पर अंगुली नहीं उठा सकता है. उन्होंने कहा कि ऐसा करने वालों के घर पर 24 घंटे में जांच एजेंसी पहुंच जाती है.

पढ़ें : शशि थरूर ने कहा- जो जय श्री राम बोले वही हिंदू, जो नहीं बोले उसे पीट दो, यह हिंदू धर्म नहीं - JLF 2025

पढ़ें : बजट पर बोले थरूर- आप रोजगार की तलाश में हैं तो बजट में आपके लिए कुछ नहीं - SHASHI THARUR ON BUDGET

खुद को बताया ट्विटर का हीरो : शशि थरूर ने एक किस्से का जिक्र करते हुए बताया कि जब पहली दफा उनके ट्विटर अकाउंट पर 10000 फॉलोअर हुए थे, तो दिल्ली के अखबार में एक खबर छपी थी. जिसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने भी उन्हें बुलाकर ट्विटर के बारे में जानकारी ली, लेकिन जैसे ही ट्विटर पर उनके लिखे कैटल क्लास वाले बयान पर विवाद हुआ, उनसे ट्विटर की जानकारी मांगने वाले नेता ही पीछे हट गए. ख्वाजा के अंदाज में उन्होंने कहा कि हालांकि यह खबर भी चली, जब 2013 जुलाई में नरेंद्र मोदी ने उन्हें फॉलोवर्स के मामले में ट्विटर पर पछाड़ दिया था.

19 की उम्र में देश छोड़ 51 में बने सांसद : शशि थरूर ने बताया कि जब वह 19 साल के थे, तब उन्होंने भारत छोड़ दिया था और विदेश में पढ़ने के लिए चले गए थे. जब वे लौटे, तब वे 51 साल के थे और अब चौथी दफा अपनी सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. अपने पहले चुनाव का तजुर्बा साझा करते हुए उन्होंने बताया कि उन्हें कम मलयाली भाषा के जानकारी के रूप में लोगों ने टारगेट किया था, लेकिन उन्होंने परंपरागत वेशभूषा के जरिए लोगों को रिझाया और बताया कि उन्हें हिंदी और अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान है, जो कि संसद में उनके मुद्दे उठाने में भी मदद करेगी.

जयपुर: राजधानी में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान कांग्रेस सांसद शशि थरूर बेहद आक्रमक दिखे. वरिष्ठ पत्रकार और लेखक वीर संगवी के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने सवालों के जवाब में खुलकर बात की. अपनी बातों के दौरान शशि थरूर ने कहा कि उत्तर भारत के युवाओं की नसों में मौजूदा सरकार ने टॉक्सिन घोल दिया है.

उन्होंने कहा कि 2014 में मोदी सरकार को जितने वोट मिले थे, उसके बाद 2019 में उससे ज्यादा मिले और इस बार 36 फीसदी वोट मिले, लेकिन देश की 80% हिंदू आबादी के बहुमत के करीब आज भी मोदी सरकार नहीं पहुंच सकी है. खुद को लेकर शशि थारो ने कहा कि उन्हें अपने हिंदुत्व पर गर्व है, लेकिन वह किसी और धर्म के शख्स को पीट-पीट कर जय श्री राम का नारा लगाकर अपना हिंदुत्व साबित नहीं करना चाहते हैं.

शशि थरूर का बड़ा बयान, सुनिए... (ETV Bharat Jaipur)

पत्नी के निधन पर मीडिया ट्रायल से आहत : शशि थरूर ने देश में मीडिया ट्रायल को लेकर भी नाराजगी जाहिर की. उन्होंने अपने साथ हुए कई किस्सों का जिक्र किया और बताया कि कैसे उनके पत्नी के निधन पर दुख की घड़ी में उन्हें सवालों से घेर लिया गया था. शशि थरूर ने कहा कि जब वे संयुक्त राष्ट्र में कॉफी अन्नान के साथ थे, तो उन्हें कहा गया था कि शार्क के काटने पर खून नहीं बहाया जाता, जिस बात का अर्थ उन्हें भारत के मीडिया के ट्रायल पर समझ में आ गया और अब वे खुद पर लगे आरोपों का जवाब देने से बेहतर लिखना और पढ़ना जरूरी समझते हैं.

भारत के मीडिया में खौफ : वीर सांघवी के साथ बातचीत में शशि थरूर ने बताया कि मौजूदा दौर में मीडिया सरकार पर सवाल खड़े नहीं कर सकता है. उन्होंने कहा कि 2011 से 2013 के बीच यूपीए सरकार में लगातार भ्रष्टाचार को लेकर मीडिया आवाज उठाता रहा और तब सरकार ने किसी के घर पर ईडी या सीबीआई नहीं भेजी थी. फिलहाल, मीडिया की स्वतंत्रता देश में खतरे में है. आज के हालात के बीच सबूत होने के बावजूद कोई सरकार पर अंगुली नहीं उठा सकता है. उन्होंने कहा कि ऐसा करने वालों के घर पर 24 घंटे में जांच एजेंसी पहुंच जाती है.

पढ़ें : शशि थरूर ने कहा- जो जय श्री राम बोले वही हिंदू, जो नहीं बोले उसे पीट दो, यह हिंदू धर्म नहीं - JLF 2025

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खुद को बताया ट्विटर का हीरो : शशि थरूर ने एक किस्से का जिक्र करते हुए बताया कि जब पहली दफा उनके ट्विटर अकाउंट पर 10000 फॉलोअर हुए थे, तो दिल्ली के अखबार में एक खबर छपी थी. जिसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने भी उन्हें बुलाकर ट्विटर के बारे में जानकारी ली, लेकिन जैसे ही ट्विटर पर उनके लिखे कैटल क्लास वाले बयान पर विवाद हुआ, उनसे ट्विटर की जानकारी मांगने वाले नेता ही पीछे हट गए. ख्वाजा के अंदाज में उन्होंने कहा कि हालांकि यह खबर भी चली, जब 2013 जुलाई में नरेंद्र मोदी ने उन्हें फॉलोवर्स के मामले में ट्विटर पर पछाड़ दिया था.

19 की उम्र में देश छोड़ 51 में बने सांसद : शशि थरूर ने बताया कि जब वह 19 साल के थे, तब उन्होंने भारत छोड़ दिया था और विदेश में पढ़ने के लिए चले गए थे. जब वे लौटे, तब वे 51 साल के थे और अब चौथी दफा अपनी सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. अपने पहले चुनाव का तजुर्बा साझा करते हुए उन्होंने बताया कि उन्हें कम मलयाली भाषा के जानकारी के रूप में लोगों ने टारगेट किया था, लेकिन उन्होंने परंपरागत वेशभूषा के जरिए लोगों को रिझाया और बताया कि उन्हें हिंदी और अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान है, जो कि संसद में उनके मुद्दे उठाने में भी मदद करेगी.

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