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उदयपुर में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, बोले- मेवाड़ शूरवीरों और दानवीरों की धरती - Ramnath kovind in udaipur

उदयपुर पहुंचे पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने द्रोपदी देवी आनंद वृद्धाश्रम आयोजित एक समारोह में हिस्सा लिया. कार्यक्रम में कोविंद ने कहा कि "बुजुर्ग बोझ नहीं, वे एसेट हैं. वे अनुभव का खजाना हैं, वे हमारी सम्पत्ति हैं. बुजुर्गों का होना एक आश्वासन है. एक परिवार में बुजुर्गं की बहुत उपयोगिता होती है." उन्होंने कहा कि मेवाड़ शूरवीरों और दानवीरों की धरती है.

Ramnath kovind in udaipur
Ramnath kovind in udaipur

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 8, 2024, 5:24 PM IST

उदयपुर में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद.

उदयपुर. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मेवाड़ के दौरे पर हैं. सोमवार को उदयपुर में वृद्धाश्रम के स्थापना दिवस कार्यक्रम में उन्होंने शिरकत की. इस दौरान उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि "बुजुर्ग बोझ नहीं, वे एसेट हैं. वे अनुभव का खजाना हैं, वे हमारी सम्पत्ति हैं. बुजुर्गों का होना एक आश्वासन है. एक परिवार में बुजुर्गं की बहुत उपयोगिता होती है. हर काल और समय में उनकी उपयोगिता सार्थक होती है. हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि बुजुर्गों में अनुभव का धन और आत्मविश्वास का बल होता है." इस दौरान मेवाड़ का जिक्र करते हुए कहा कि मेवाड़ शूरवीरों और दानवीरों की धरती है.

तारा संस्थान के 12 वर्ष पूरे हुए :तारा संस्थान के 12 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर मां द्रोपदी देवी आनंद वृद्धाश्रम में सोमवार को आयोजित समारोह में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने विचार व्यक्त किए. इससे पहले तारा संस्थान की संस्थापक अध्यक्ष कल्पना गोयल एवं संस्थापक सचिव दीपेश मित्तल ने पूर्व राष्ट्रपति का स्वागत किया. पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि हर परिवार की अपनी अलग कहानियां होती हैं. कोई कहानी छोटी होती है, कोई बड़ी होती है. उन्हें सुनने और सुनाने में ही हमारा जीवन गुजर जाता है, इसलिए हमें यह सोचना चाहिए कि हमने आज तक केवल लिया ही है. हमने समाज को दिया क्या है. जिस दिन आप में देने का भाव आ जाएगा, यकीन मानिए जितना आनद लेने में आ रहा था, उससे दोगुना आनंद देने में आएगा.

इसे भी पढ़ें-पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का उदयपुर दौरा, इन कार्यक्रमों में लेंगे भाग - RAMNATH KOVIND UDAIPUR Tour

मेवाड़ के बारे में कही ये बड़ी बात :कोविंद ने मेवाड़ की पवित्र पावन धरती की महानता को दर्शाते हुए कहा कि इस धरती पर महाराणा प्रताप, भामाशाह और मीराबाई जैसी महान विभूतियों ने जन्म लिया है. उन्हें देश ही नहीं दुनिया में महानता प्रदान की जाती है. उदयपुर के लोग अपनी सभ्यता और संस्कृति के लिए कभी भी पीछे नहीं हटते है. इस धरा की कहानियां प्रेरणादायी हैं. महाराणा प्रताप, भामाशाह और मीराबाई का स्थान भारत के इतिहास में सर्वोच्च है. उन्होंने मानव जीवन की श्रेष्ठतम परम्पराओं को अपने-अपने हिसाब से जिया और निभाया. महाराणा प्रताप ने प्रजा के साथ ही अपने राष्ट्र और धर्म संस्कृति की रक्षा के लिए घास की रोटी तक खाई, लेकिन इस पर आंच नहीं आने दी.

पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि आज तो हम ऐसा सोच भी नहीं सकते, जैसा महाराणा प्रताप ने करके दिखाया था. भामाशाह ने अपने धन का सदुपयोग करते हुए सारा धन राष्ट्र और धर्म संस्कृति की रक्षा के लिए दान कर दिया. वे चाहते थे कि कोई भी व्यक्ति भूखा ना रहे और कोई भी गरीबी की वजह से धर्म ना छोड़े. मीराबाई की भक्ति इतनी उच्च कोटि की थी, कि उन्होंने श्रीकृष्ण पर ही विश्वास किया, चाहे उन्हें जहर ही क्यों न पीना पड़ा. मेवाड़ की इसी परोपकार, राष्ट्रधर्म संस्कृति की रक्षा की भावना ने उन्हें हमेशा प्रभावित किया है. दीन-दुखियों की सेवा करना ही ईश्वर की सेवा करने के समान है.

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