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एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर नहीं थे राजीव गांधी, बुंदेलखंड से शुरू हुई थी सियासी ट्रेनिंग - rajiv gandhi bundelkhand connection - RAJIV GANDHI BUNDELKHAND CONNECTION

इस समय देश में चुनावी महाकुंभ चल रहा है. ऐसे में हम आपको लोकसभा सीटों, प्रत्याशियों और इससे अलग कई ऐसे किस्से बताएंगे. जिसे आपने पहले सुना या पढ़ा नहीं होगा. आज बात पूर्व पीएम राजीव गांधी के बारे में. जिनकी राजनीति में एमपी के बुंदेलखंड का महत्वपूर्ण स्थान है. पढ़िए राजीव गांधी बुंदेलखंड का कनेक्शन...

RAJIV GANDHI BUNDELKHAND CONNECTION
एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर नहीं थे राजीव गांधी, बुंदेलखंड से शुरू हुई थी सियासी ट्रेनिंग

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 3, 2024, 8:37 PM IST

Updated : Apr 3, 2024, 11:00 PM IST

सागर।पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी के बारे में कहा जाता है कि राजीव गांधी अपने भाई संजय गांधी के मुकाबले राजनीति में रुचि नहीं रखते थे. वो एक प्रोफेशनल पायलट थे और गांधी परिवार के सदस्य होने के अलावा राजनीति से उनका कोई खास नाता नहीं था. ये भी कहा जाता है कि इंदिरा गांधी की हत्या के कारण उपजे रिक्त स्थान को भरने के लिए राजीव गांधी मजबूरी में बेमन से राजनीति में आए थे, लेकिन इतिहास के पन्नों को उलटकर देखा जाए, तो राजीव गांधी की सियासी ट्रैनिंग इंदिरा गांधी के निधन के कई सालों पहले शुरू हो गयी थी और एक नेता के तौर पर उन्होंने पहला चुनावी दौरा और सभाएं मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड में की थी.

हालांकि ये कोई आम चुनाव नहीं,बल्कि लोकसभा का उपचुनाव था. जिसमें कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव की हैसियत से राजीव गांधी ने हिस्सा लिया था और सागर के बीना में पहली चुनावी सभा को संबोधित किया था. यहां पर उन्होंने एक रोड शो भी किया था. राजीव गांधी तब दो दिन सागर में रहे थे और बीना के अलावा खुरई, सागर और रहली का भी दौरा किया था. हालांकि उपचुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था.

जनता को संबोधित करते हुए राजीवा गांधी

संजय गांधी के निधन के बाद सक्रिय राजनीति की शुरूआत

इंदिरा गांधी के दो बेटे राजीव और संजय गांधी का स्वभाव एकदम विपरीत था. राजीव गांधी सौम्य और शर्मीले स्वभाव के थे, तो संजय गांधी तेज तर्रार व्यक्ति थे. मां इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री और देश के सबसे बडे़ सियासी परिवार के सदस्य होने के बावजूद राजीव गांधी की सियासत में कोई खास रूचि नहीं थी. बताया जाता है कि राजीव गांधी एक प्रोफेशनल पायलट थे और अपनी जिंदगी से काफी खुश थे, लेकिन एक विमान दुर्घटना में 23 जून 1980 को संजय गांधी
का निधन हो गया था. उसके बाद राजीव गांधी ने कांग्रेस की सदस्यता ली थी और एक तरह से सियासी पारी शुरू की थी.

सागर की सांसद सहोद्राबाई राय के निधन से हुई थी सीट खाली

आपातकाल के बाद उपजे हालातों के चलते 1977 में कांग्रेस की करारी हार के बाद कांग्रेस ने 1980 के आमचुनाव में जोरदार वापसी की थी और कांग्रेस (आई) करीब 353 सीटें हासिल करने में कामयाब रही थी. सागर लोकसभा सीट से भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सहोद्राबाई राय ने दोबारा जीत हासिल की थी. सहोद्राबाई राय गोवा मुक्ति आंदोलन की नायिका के रूप में जानी जाती थी और सागर की पहली महिला सांसद होने का गौरव उन्हें प्राप्त था, लेकिन सांसद बनने के 6 महीने बाद ही सहोद्रा बाई राय का निधन हो गया और सागर सीट पर उपचुनाव के हालात बने. दिसंबर 1981 में उपचुनाव संपन्न हुआ था और दमोह के सरकारी काॅलेज में प्रोफेसर श्यामलाल ठक्कर ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था.

सागर लोकसभा उपचुनाव से शुरू हुई चुनावी ट्रेनिंग

संजय गांधी के निधन के बाद राजीव गांधी ने राजनीति में प्रवेश ले लिया, लेकिन अपने शर्मीले स्वभाव के कारण काफी कम सक्रिय रहते थे. उन्हें कांग्रेस में राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया और इंदिरा गांधी ने उनको सियासत का ककहरा सिखाने के लिए सबसे पहले चुनावी दौरा करने बुंदेलखंड भेजा. राजीव गांधी के राजनीतिक जीवन का पहला दौरा सागर का था. जिसमें उन्होंने पहली चुनावी सभा बीना में संबोधित की थी. राजीव गांधी एआईसीसी के महासचिव के तौर पर कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार करने आए थे. राजीव गांधी की उम्र तब महज 37 साल थी और 23 दिसम्बर 1981 को राजीव गांधी ने बीना के शास्त्री वार्ड में स्थित शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय क्रमांक एक में आमसभा को संबोधित किया और सभा के बाद रोड शो भी किया.

बीना में राजीव गांधी ने की थी सभा

प्रोफेसर श्यामलाल ठक्कर के पक्ष में की थी चुनावी सभा

सहोद्राबाई राय के निधन के पश्चात खाली हुई सागर सीट से दमोह के सरकारी काॅलेज के प्रोफेसर श्यामलाल ठक्कर सागर के रहने वाले थे. सागर लोकसभा उपचुनाव के लिए इंदिरा गांधी ने खुद श्यामलाल ठक्कर को चुना था और तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह को निर्देश देकर उनका इस्तीफा करवाकर चुनाव लड़ाया गया था.

मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह सहित दिग्गजों ने डाला डेरा

एमपी कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक बिलगैंया बताते हैं कि 'मेरे दादा बद्रीप्रसाद बिलगैंया बीना जनपद पंचायत के अध्यक्ष थे. राजीव गांधी के दौरे और सभा की तैयारियों के लिए उन्हें प्रभारी बनाया गया था. हम लोग तो काफी छोटे थे, लेकिन बाद में दादाजी ने बताया कि राजीव गांधी का पहला चुनावी दौरा होने के कारण दिल्ली और भोपाल से काफी दबाब था. मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह सहित कई मंत्रियों ने राजीव गांधी के आने के पहले ही डेरा डाल लिया था और तैयारियों को लेकर पल-पल की जानकारी ली जा रही थी.'

बीना में पहली बार उतरा था हेलीकाॅप्टर

अभिषेक बिलगैंया बताते हैं कि 'हमारे दादा बद्रीप्रसाद बिलगैंया बताते थे कि एक तो प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे का पहला चुनावी दौरा और दूसरी तरफ वो हेलीकॉप्टर से आने वाले थे, तो लोगों में राजीव गांधी के साथ-साथ हेलीकॉप्टर देखने की ललक थी. इसके पहले कभी बीना में कोई नेता हेलीकॉप्टर से नहीं आया था. बीना में जब राजीव गांधी का हेलीकॉप्टर उतरा, तो हेलीपैड के पास हजारों की संख्या में लोग थे. उनकी सभा और रोड में भी काफी भीड़ उमड़ी थी. राजीव गांधी की झलक देखने के लिए लोगों में होड़ लगी थी.

राजीव गांधी के दो दिनों के दौरे के बाद भी हारी कांग्रेस

बीना से अपने पहले चुनावी दौरे की शुरूआत कर राजीव गांधी ने अच्छा प्रभाव छोड़ा था. बीना में आमसभा के बाद एक रोड भी आयोजित किया गया था. बीना के अलावा राजीव गांधी ने खुरई, सागर और रहली में भी चुनावी सभा को संबोधित किया था. राजीव गांधी दो दिन तक सागर लोकसभा के दौरे पर रहे थे और कांग्रेस प्रत्याशी को जिताने के लिए चुनावी सभाएं की थी.

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स्थानीय गुटबाजी में हारे चुनाव

राजीव गांधी के दो दिन के दौरे के बाद भी कांग्रेस उपचुनाव हार गयी थी. दरअसल दमोह में कॉलेज के प्रोफेसर श्यामलाल ठक्कर को इस्तीफा दिलवाकर टिकट दिए जाने से कई स्थापित नेता नाराज थे और स्थानीय गुटबाजी का खामियाजा कांग्रेस को उपचुनाव में उठाना पड़ा था. राजीव गांधी के सफल दौरे के बाद किसी को अंदाजा नहीं था कि कांग्रेस हार जाएगी, लेकिन स्थानीय गुटबाजी के चलते कांग्रेस को उपचुनाव में हार मिली और भाजपा के रामप्रसाद अहिरवार चुनाव जीत गए.

Last Updated : Apr 3, 2024, 11:00 PM IST

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