रांचीः प्रवर्तन निदेशालय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को 8.36 एकड़ भूमि के कथित अवैध कब्जे से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दी गई जमानत को चुनौती दी है. इसके लिए जांच एजेंसी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
ईडी ने तर्क दिया है कि हेमंत सोरेन को जमानत देने का झारखंड हाई कोर्ट का आदेश अवैध है और कोर्ट ने यह कहकर गलती की है कि हेमंत सोरेन के खिलाफ कोई प्रथम दृष्टया सबूत नहीं है. बता दें कि यह घटनाक्रम सीएम हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा अपना बहुमत साबित करने के बाद हुआ है.
झारखंड हाई कोर्ट द्वारा जमानत पर रिहा होने के कुछ दिनों बाद सोरेन ने 4 जुलाई को तीसरी बार सीएम पद की शपथ ली. 28 जून को हेमंत सोरेन को हाई कोर्ट द्वारा जमानत दिए जाने के बाद वे बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल से बाहर निकाले. मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद उन्हें 31 जनवरी को रांची राजभवन से गिरफ्तार किया गया था. हाई कोर्ट में जमानत की सुनवाई के दौरान सोरेन के वकील ने तर्क दिया कि मामला सिविल प्रकृति का है, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जिस भूमि को भुइंहारी कहा जाता है, उसे कानूनी रूप से हस्तांतरित नहीं किया जा सकता. उन्होंने आगे कहा कि मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का कोई तत्व शामिल नहीं था.
13 जून को झारखंड हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति रंगन मुखोपाध्याय की अध्यक्षता में सुनवाई हुई. जिसमें हेमंत सोरेन की बचाव टीम और ईडी के सहायक सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू दोनों की दलीलों के बाद समाप्त हुई. विचार-विमर्श के बाद, अदालत ने हेमंत सोरेन को नियमित जमानत देने का फैसला किया. बेल मिलने क बाद हेमंत सोरेन ने कहा था कि उन्हें गलत तरीके से फंसाया गया था और उन्हें पांच महीने जेल में बिताने के लिए मजबूर किया गया था.
31 जनवरी को हुई थी गिरफ्तारी