रांचीः झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा के बीच पोस्ट इलेक्शन वार छिड़ गया है. एक तरफ हेमंत सोरेन ने असम में बसे झारखंड के आदिवासियों के जीवन स्तर में सुधार के उपाय ढूंढने के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने का फैसला लिया है. इसके जवाब में असम के सीएम हिमंता ने झारखंड में दो प्रतिनिधिमंडल भेजने की बात कह दी है. लिहाजा, दोनों राज्यों के सीएम के बीच प्रतिनिधिमंडल पॉलिटिक्स से माहौल गर्म हो गया है.
असम के सीएम पर झामुमो ने ली चुटकी
इसपर सत्ताधारी दल झामुमो ने चुटकी ली है. झामुमो प्रवक्ता मनोज पांडेय का कहना है कि सीएम हेमंत सोरेन को असम के चाय बागानों में बसे झारखंड के आदिवासियों की चिंता है. उनके साथ दोयम दर्जे के नागरिक जैसा व्यवहार हो रहा है. इसलिए उनके जीवन स्तर में कैसे बदलाव लाया जाए, इसको ध्यान में रखकर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने का फैसला लिया गया है.
इस सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में भाजपा के लोग भी रहेंगे. लेकिन झारखंड सरकार के इस फैसले के जवाब में असम के सीएम हिमंता ने दो टीम झारखंड भेजने की बात कह दी. झामुमो ने इसपर चुटकी लेते हुए कहा कि असम के सीएम मजेदार और हास्यास्पद आदमी हैं. टीम का मतलब कहीं असम से आने वाली अंडर-19 और रणजी टीम तो नहीं है.
असम के सीएम हिमंता का बयान
1 दिसंबर को पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए असम के सीएम हिमंता बिस्वा ने कहा था कि झारखंड से एक टीम भेजने की बात की गई है. वो आते हैं तो अच्छी बात है. हमारे यहां अच्छा काम हो रहा है. वो आएंगे तो देखेंगे. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हम गुवाहाटी से दो टीम झारखंड भेजेंगे. 5 दिसंबर को कैबिनेट की बैठक में इसपर फैसला होगा. हमारी दो टीम वहां के दो महत्वपूर्ण विषय को देखेगी . हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि आखिर कौन से दो विषय को देखने के लिए गुवाहाटी से दो टीमें झारखंड आएंगी.
सीएम हेमंत ने सीएम हिमंता को लिखा था पत्र
दरअसल, टी-ट्राइब के हक का मामला झारखंड विधानसभा चुनाव के ठीक पहले उठा था. 25 सितंबर 2024 को हेमंत सोरेन ने असम के सीएम हिमंता के नाम पत्र लिखा था. उन्होंने कहा था कि झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और छत्तीसगढ़ की नजर में असम के 70 लाख टी-ट्राइब जनजाति हैं. लेकिन असम में उन्हें ओबीसी का दर्जा मिला हुआ है. इसकी वजह से उन्हें कई सरकारी लाभ से वंचित होना पड़ता है.
सीएम हेमंत ने अपने पत्र में लिखा था कि “अगर असम की सरकार वहां के टी-ट्राइब को उनका अधिकार नहीं दे पा रही है तो हमारी सरकार उनकी सामाजिक, आर्थिक और अन्य स्थितियों पर एक उच्च स्तरीय फैक्ट फाइंडिग मिशन स्थापित करने, उनकी दुर्दशा के लिए एक प्रभावी उपाय प्रदान करने, उनकी स्थिति को पहचानने और उनके दीर्घकालिक हाशिए पर रहने की समस्या को दूर करने में सहायता करने के लिए तैयार है".
सीएम हेमंत सोरेन ने लिखा था कि “मुझे विश्वास है कि एक साथ मिलकर काम करने से हम ऐसा समाधान निकाल सकते हैं जिससे टी-ट्राइब और असम राज्य दोनों को लाभ होगा, क्योंकि उनकी स्थिति की व्यापक समीक्षा और उनके वर्गीकरण का पुनर्मूल्यांकन आवश्यक है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उन्हें उचित स्तर का समर्थन और संरक्षण प्राप्त हो”.
बता दें कि हेमंत सोरेन ने असम के सीएम के नाम यह पत्र तब लिखा था, जब भाजपा के चुनाव सह प्रभारी के नाते हिमंता बिस्वा सरमा झारखंड की राजनीति में नैरेटिव सेट करने में लगे थे. उन्होंने ही झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ की वजह से बदल रही आदिवासियों की डेमोग्राफी के मामले को उठाया था. साथ ही मंईयां सम्मान योजना के जवाब में गोगो-दीदी योजना लाने की बात कही थी. उनका इस कदर प्रभाव था कि गोगो-दीदी योजना के तहत 2100 रु. देने की घोषणा होते ही हेमंत सरकार ने दोबारा सरकार बनने पर मंईयां सम्मान योजना के तहत 2500 रु. देने का प्रस्ताव कैबिनेट से पास करा दिया था.
हालांकि, हेमंत सोरेन के पत्र के जवाब में सीएम हिमंता ने कहा था कि इसका जवाब हेमंत सोरेन अच्छी तरह जानते हैं. उन्होंने इशारों-इशारों में कहा था कि उनकी पत्नी कल्पना सोरेन झारखंड में एसटी के लिए रिजर्व किसी सीट से क्यों नहीं चुनाव लड़ लेती हैं. फिलहाल, देखना यह है कि झारखंड का सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल कब असम जाता है और जवाब में असम की दो टीमें आखिर किस विषय का अध्ययन करने झारखंड आती है.
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