जमुई: 'मेरे परिजन बचपन में ही मेरी शादी करवाना चाहते थे. मुझे देखने के लिए घर पर मेहमान आने वाले थे, लेकिन मैं घर ही नहीं गई. काफी देर बाद जब घर पहुंची तो पापा मम्मी ने डांटा. मैंने उनसे कहा कि मैं अभी शादी नहीं करना चाहती हूं और आगे पढ़ना चाहती हूं. डॉक्टर शंकर नाथ झा ने मुझे काफी मदद की. मैं उनकी संस्था से जुड़ी और उसकी मदद से पढ़ लिखकर एएनएम का कोर्स पूरा कर चुकी हूं.' ईटीवी भारत से बातचीत में सीमा ने अपनी कहानी सुनाई.
शादी से किया इंकार.. नौकरी करने को तैयार:यह सिर्फ एक सीमा की नहीं बल्कि ऐसी कई लड़कियों की कहानी है जिनकी जिंदगी जमुई शहर के नामचीन शिशु रोग विषेशज्ञ डॉक्टर एसएन झा ( शंकर नाथ झा ) ने बदल दी है. ईटीवी भारत से सीमा कुमारी ने कहा कि डॉक्टर एस एन झा और संस्था के सहयोग से आज पढ़ लिखकर एएनएम का कोर्स पूरा कर चुकी हूं. नर्सिंग होम में ट्रेनिंग ले रही हूं. सीमा पिछड़े इलाके के दलित बस्ती के मांझी टोले की रहने वाली है.
"माता पिता मजदूरी करते हैं. बचपन में ही शादी करने का प्रयास किया गया. परिवार वालों ने लड़के वालों को भी घर बुला लिया, लेकिन मैंने ठान लिया था कि शादी नहीं करनी है. पढ़ लिखकर कुछ बनना था. मैंने अपने परिजनों से कहा कि मुझे नौकरी करनी है. बाद में परिवार वाले भी मान गए."- सीमा कुमारी
बीए करने वाली गांव की पहली लड़की सीमा :आज सीमा अपने गांव 'कटका ' की पहली लड़की है जिसने बीए की पढाई की है. एएनएम का कोर्स भी पूरा कर लिया और ट्रेंनिग कर रही है. जॉब के लिऐ अपनी पढ़ाई पूरी करने के साथ- साथ सीमा, समग्र सेवा संस्था द्वारा खोले गए सेंटर में बच्चों को पढ़ाती भी है. सीमा ने खुद अपने बाल विवाह को रोका और गांव- गांव जाकर दूसरे लोगों को भी जागरूक कर रही है. सीम जैसी और भी कई लड़कियां अपने-अपने क्षेत्र में इसी प्रकार से डॉक्टर एस एन झा और संस्था के सहयोग से पढ़ लिखकर विकास की राह में आगे बढ़ रही हैं.
70 साल के डॉक्टर की कोशिश ला रही रंग: वहीं जमुई शहर के नामचीन चिकित्सक शिशु रोग विषेशज्ञ एस एन झा (शंकर नाथ झा) की उम्र लगभग 70 वर्ष है. 1960 से ही समाजसेवा के काम में जुड़े हैं. लगभग दो दशक से भी अधिक समय से जिलेभर के सुदूरवर्ती दुर्गम नक्सल प्रभावित इलाकों, गांवों के मुसहर टोले में जाकर छोटे - छोटे बच्चों को शिक्षा से जोड़ रहे हैं. उनके परिवार को जागरूक कर बाल विवाह, दहेजप्रथा , छुआछूत जैसी कुरीतियों के रोकथाम के लिए कदम उठाते हैं.
"मकसद है मुसहर समाज के छोटे- छोटे बच्चों को मजदूरी करने से रोकना, शिक्षा से जोड़ना, उनके माता-पिता को जागरूक करना ,बाल विवाह, दहेज प्रथा छुआछूत जैसी कुरीतियों पर अंकुश लगाना. मैं प्रयास कर रहा हूं, बदलाव हो रहा है, धीरे-धीरे ही सही सब ठीक होगा. एक दिन कामयाबी जरूर मिलेगी."- एसएन झा, शिशु रोग विषेशज्ञ
शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य तक की सुविधा: एसएन झा मुसहर समुदाय के बच्चों खासकर बच्चियों को शिक्षा से जोड़ने का अनवरत अथक प्रयास कर रहे हैं. साथ ही ग्रामीण पिछड़े इलाकों में निःशुल्क स्वास्थ्य सेवा भी दे रहे हैं. जिले भर के प्रतिभावान आर्थिक रूप से विपन्न खिलाड़ियों की भी हर संभव मदद कर रहे हैं. डॉक्टर एस एन झा बताते हैं कि यह प्रयास जारी है. धीरे - धीरे ही सही बदलाव हो रहा है.
'मुसहर समाज के बच्चों को मिल रही शिक्षा': उन्होंने आगे कहा कि पहले शिक्षा से विमुख छोटे - छोटे बच्चे बाल मजदूरी से जुड़ जाते थे. अपने परिवार के साथ ईंट भट्ठा चिमनी होटल गैराज आदि स्थानों पर मजदूरी करने लगते थे. इतना ही नहीं बाल विवाह भी बहुत होते थे, लेकिन अब मुसहर समाज के बच्चे भी मैट्रिक, इंटर , बीए कर रहे हैं. शिक्षित होकर नौकरी रोजगार कर रहे हैं.
'समग्र सेवा संस्था कर रही लोगों को जागरुक':डॉक्टर एस एन झा ने बताया कि समग्र सेवा संस्था इस काम में लगी है. दुर्गम पिछड़े इलाकों में जाकर संस्था की टीम काम कर रही है. बच्चों को शिक्षित करने का उनके परिवार को जागरूक किया जाता है. मुसहर समाज के उत्थान के लिए उनका शिक्षित होना बेहद जरूरी है. समग्र सेवा संस्थान जो खासकर दुर्गम पिछड़े इलाके, जहां न तो सरकारी स्कूल है न ही सरकारी स्वास्थ्य केंद्र है और ना ही सरकार की विकास योजनाएं पहुंच पा रही है, वैसे इलाकों में जाकर लोगों को जागरूक करता है. संस्था का सेंटर खोलकर बच्चो को शिक्षित किया जाता है.