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देहरादून में 27 अवैध बस्तियों के 504 भवनों पर बुलडोजर चलना शुरू, आज 27 अतिक्रमण तोड़ने का लक्ष्य - illegal constructions Demolition

देहरादून नगर निगम ने अवैध बस्तियों पर बुलडोजर चलाना शुरू कर दिया है. नोटिस के बाद आज सोमवार 27 मई को करीब 27 अतिक्रमणों को तोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. वैसे प्रशासन की तरफ से 500 से ज्यादा अवैध भवनों को तोड़ा जाना है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 27, 2024, 2:00 PM IST

देहरादून: राजधानी देहरादून में अवैध बस्तियों पर अतिक्रमण करके बनाई गई अवैध कॉलोनियों पर आज सोमवार 27 मई से बुलडोजर चलना शुरू हो गया है. देहरादून नगर निगम की टीम ने 27 अवैध बस्तियों में 500 से ज्यादा मकानों को तोड़ने के लिए ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू कर दी है.

दरअसल, देहरादून में कल ही देहरादून नगर निगम, एसडीडीए और मसूरी नगर पालिक ने 504 नोटिस जारी किए थे, जिसके बाद आज अवैध मकानों को तोड़ने की कार्रवाई शुरू की गई. 504 नोटिस में से मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण ने 403, देहरादून नगर निगम ने 89 और मसूरी नगर पालिक ने 14 नोटिस भेजे थे.

इस मामले में ज्यादा जानकारी देते हुए उप नगर आयुक्त गोपालराम बेनवाल ने बताया कि देहरादून नगर निगम ने करीब 525 अवैध अतिक्रमण चिन्हित किए थे. उसमें 89 लोगों पर नगर निगम ने नोटिस जारी किए थे, जिसमें से 15 लोगों ने ही अपने साल 2016 से पहले के निवास के साक्ष्य दिए हैं. वहीं 74 लोग कोई साक्ष्य नहीं दिखा पाए हैं. उन सभी 74 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. अधिकांश लोगों ने नोटिस के बाद अपने अतिक्रमण खुद ही हटा लिए थे, लेकिन जिन्होंने नहीं हटाए थे, उनको अभियान के तहत आज हटाया जा रहा है. आज 27 अतिक्रमणों को तोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. शाम तक सभी 27 अतिक्रमणों को तोड़ दिया जाएगा. आगे भी यह अभियान जारी रहेगा.

सरकार की इस कार्रवाई पर कांग्रेस ने जताई आपत्ति: अवैध बस्तियों पर प्रशासन की तरफ से की जा रही इस कार्रवाई पर कांग्रेस ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई है. उत्तराखंड मलिन बस्ती विकास परिषद के केंद्रीय अध्यक्ष और कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना ने इस मामले पर सरकार को जमकर घेरा है.

सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि कांग्रेस की सरकार ने साल 2016 में मलिन बस्तियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू की थी और उसके बाद से ही वहां रह रहे लोगों को मालिकाना हक देना शुरू किया था. लेकिन 2017 में सरकार बदल गई और बीजेपी ने इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया. तब से लेकर अभीतक बीजेपी सरकार ने मलिन बस्तियों के नियमितीकरण को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया.

वहीं, विपक्ष के आरोपों का शहरी विकास मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल ने जवाब दिया. मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस सिर्फ आम लोगों को गुमराह करने का काम कर रही है. सरकार मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों के हितों को संरक्षित करते हुए अध्यादेश लाई थी. अब जब अध्यादेश की अवधि खत्म होगी, उससे पहले सरकार कुछ ना कुछ इस पर ठोस रणनीति बनाएगी.

मलिन बस्ती मामले पर कब क्या हुआ?:साल 2012 में मलिन बस्तियों के मामले में NGT के सख्त रुख और हाईकोर्ट के अतिक्रमण हटाने के आदेश को देखते हुए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने मलिन बस्तियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया शुरू की थी. तक कुछ लोगों को तो मालिकाना हक भी मिल गया था, लेकिन 2017 में बीजेपी सत्ता में आई और मलिन बस्तियों के ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए 21 अक्टूबर 2018 को अध्यादेश लेकर आई, जिसकी अवधि 3 साल की थी.

21 अक्टूबर 2021 को इस अध्यादेश की अवधि पूरी होने वाली थी, लेकिन प्रदेश में मुख्यमंत्री बदल चुके थे और एक बार फिर से इस अध्यादेश को अगले 3 सालों के लिए बढ़ाया गया, जिसकी अवधि अब 21 अक्टूबर 2024 को खत्म हो रही है. एक तरफ अध्यादेश खत्म होने की अवधि तो दूसरी तरफ न्यायालय में दर्ज हुई याचिका ने फिर से 2016 के बाद बनी मलिन बस्तियों को लेकर दायर की गई याचिका. जिसमें साल 2016 के बाद तकरीबन 525 अवैध निर्माण चिन्हित किए गए हैं, जिनमें से अब 503 निर्माण को ध्वस्तीकरण के नोटिस भेजे गए थे, जिन पर आज से कार्रवाई शुरू हो गई है.

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