देहरादूनः उत्तराखंड में आज 27 जनवरी 2025 का दिन संवैधानिक इतिहास में दर्ज हो चुका है. आज उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) यानी यूसीसी लागू कर दिया गया गया है. इसके साथ ही उत्तराखंड देश का पहला यूसीसी लागू करने वाला राज्य बन चुका है. सीएम धामी ने आज यूसीसी नियमावली और पोर्टल को लॉन्च किया. इसके साथ ही सीएम धामी ने घोषणा की कि आज का दिन राज्य में 'समान नागरिक संहिता दिवस' के रूप में मनाया जाएगा. लेकिन इस बीच यूसीसी को लेकर कई बड़े सवाल भी हैं, जिनका जवाब खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंच से दिया.
सवाल- क्या UCC किसी धर्म और पंथ के खिलाफ है?
जवाब- बार-बार ये बात सामने आती है कि UCC से किसी एक धर्म को टारगेट किया जा रहा है, जो गलत है. समाज की कुप्रथाओं को मिटाकर सभी नागरिकों को एक समान अधिकार देने का कानूनी प्रयास है. UCC के जरिए किसी भी धर्म की मूल मान्यताओं और प्रथाओं को बदला नहीं गया है. केवल कुप्रथाओं को दूर किया गया है. प्रमुख मुस्लिम देशों सहित दुनिया के सभी प्रमुख देशों में पहले से ही समान नागरिक संहिता लागू है.
सवाल- हर धर्म में विवाह, तलाक को लेकर अलग नियम कानून हैं, तो सभी धर्मों के लिए यूसीसी कैसे काम करेगा?
जवाब- सभी धर्मों के मानने वाले लोग अपने धर्म के आधार पर विवाह कर सकते हैं. इसमें कोई बदलाव नहीं है. जैसे निकाह, चर्च में मैरिज, आनंद कारज और सात फेरे में कोई बदलाव नहीं किया है. आनंद कारज UCC में लागू किया गया है.
सवाल- क्या धर्मों के आधार पर शादी के लिए लड़का-लड़की की उम्र में फर्क रहेगा?
जवाब- सभी धर्मों में विवाह के लिए लड़के के लिए 21 वर्ष और लड़की के लिए 18 वर्ष अनिवार्य है.
सवाल- कुछ धर्मों में शादी में रहते हुए या पति/पत्नी के जीवित रहते हुए दूसरी शादी की इजाजत है, इसको लेकर क्या प्रावधान हैं?
जवाब- UCC के तहत अब सभी धर्मों में पति या पत्नी के जीवित रहते हुए दूसरे विवाह को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है.
सवाल- विवाह विच्छेद (तलाक) के बाद पति व पत्नी के अधिकारों पर छिड़ी बहस पर UCC क्या प्रावधान लेकर आया है?
जवाब- संबंध विच्छेद यानी तलाक हो जाने की स्थिति में दोनों पति और पत्नी को समान अधिकारी का प्रावधान है.
सवाल- संपत्ति का अधिकार किस तरह बांटा गया है?
जवाब- यूसीसी में संपत्ति के बंटवारे और बाल अधिकारों के विषय में भी स्पष्ट कानून बनाए गए हैं. इन कानूनों के अंतर्गत सभी धर्मों और समुदायों में बेटी को भी संपत्ति में समान अधिकार दिए गए हैं. इसके साथ ही संपत्ति के अधिकार में भी बच्चों के साथ किसी प्रकार का भेद नहीं किया गया है.
उत्तराखण्ड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) 2024 लागू होने की अधिसूचना जारी। pic.twitter.com/y4gwsV5kSK
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सवाल- लिव इन रिलेशनशिप संबंधों से जन्मे बच्चों का भविष्य क्या होगा? इनको किस तरह संपत्ति अधिकार मिल सकेगा?
जवाब- प्राकृतिक संबंधों के आधार पर जन्मे, सहायक विधियों द्वारा जन्मे या लिव इन रिलेशनशिप आदि संबंधों द्वारा जन्मे बच्चों को भी संपत्ति में बराबर अधिकार माना जाएगा. इसके अलावा किसी भी व्यक्ति की मृत्यु होने के पश्चात उसकी संपत्ति को लेकर परिवार के सदस्यों के बीच किसी प्रकार के मतभेद की स्थिति उत्पन्न न हो, इसके लिए मृतक की संपत्ति पर उनकी पत्नी, बच्चों और उसके माता-पिता को भी समान अधिकार प्रदान किया गया है.
समान नागरिक संहिता, उत्तराखण्ड 2024 अधिनियम की मुख्य विशेषताएं और निहितार्थ#UCCINUttarakhand#Uttarakhand pic.twitter.com/qOXviOvs0r
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सवाल- लिव इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन क्यों?
जवाब- वर्तमान समय को देखते हुए युवक और युवतियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने एवं युवाओं को सामाजिक असुरक्षाओं से बचाने के उद्देश्य से इस कानून में लिव इन रिलेशनशिप पंजीकरण अनिवार्य किया गया है. पंजीकरण कराने वाले युगल की सूचना रजिस्ट्रार उनके माता पिता एवं अभिभावकों को देगा. ये जानकारी पूर्णतया गोपनीय रखी जाएगी. इसके साथ ही, लिव इन के दौरान जन्मे बच्चों को भी उस युगल का बच्चा ही माना जाएगा. उस बच्चे को जैविक संतान के समान समस्त अधिकार प्राप्त होंगे.
समान नागरिक संहिता, उत्तराखण्ड 2024 अधिनियम में उत्तराधिकार के मामलों में पुरुष और महिला के हैं समान अधिकार#UCCINUttarakhand#Uttarakhand pic.twitter.com/ko8LLcguCd
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इसके साथ ही, इस कानून के माध्यम से जन्मे मृत्यु के पंजीकरण की भांति विवाह और विवाह विच्छेद दोनों का पंजीकरण भी किया जा सकेगा.
सवाल- लिव इन संबंधों का पंजीकरण क्या उनकी निजता का उल्लंघन नहीं?
जवाब- लिव इन रिलेशनशिप के तहत किसी की निजता को समाप्त नहीं किया है. कानून का उद्देश्य उनके जीवन की सुरक्षा सबसे पहली प्राथमिकता है. क्योंकि जब लिव इन रिलेशनशिप में वो रहते हैं, तो कई बार आपस में संबंध खराब हो जाते हैं. संबंध खराब होने के बाद मारपीट होती है. हिंसक घटनाएं होती हैं. बहुत बार इसमें हत्याएं भी हुई हैं. इस सब विवादों को समाप्त करने का इसमें प्रावधान है. इसके बाद सीएम धामी ने दिल्ली के 2022 के श्रद्धा वालकर हत्याकांड का उदाहरण दिया. जिसका आरोपी आफताब था.
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