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Big Bazar के कार्यकारी अध्यक्ष किशोर बियानी के खिलाफ आपराधिक केस रद्द - Criminal case dismissed

मंगलवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नामी रिटेल श्रृंखला बिग बाजार (फ्यूचर रिटेल लिमिटेड) के कार्यकारी अध्यक्ष किशोर बियानी के खिलाफ गोरखपुर की अदालत में चल रहे आपराधिक मुकदमे को खारिज कर दिया.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 12, 2024, 9:14 PM IST

Updated : Mar 12, 2024, 9:58 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नामी रिटेल श्रृंखला बिग बाजार (फ्यूचर रिटेल लिमिटेड) के कार्यकारी अध्यक्ष किशोर बियानी के खिलाफ गोरखपुर की अदालत में चल रहे आपराधिक मुकदमे को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने बियानी के खिलाफ जारी सम्मन आदेश और गैर जमानती वारंट को भी रद्द कर दिया है.

किशोर बियानी ने गोरखपुर की अदालत में चल रहे मुकदमे तथा जारी वारंट को हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनौती दी थी. याचिका पर न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी और विभु राय को सुनने के बाद यह आदेश दिया. परिवादी नीलिमा वर्मा जो कि बिग बाजार की गोरखपुर शाखा में खाद्य पदार्थ की सप्लाई करती थी, ने किशोर बियानी के खिलाफ गोरखपुर की अदालत में सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत आपराधिक परिवाद दर्ज कराया था. परिवाद पर संज्ञान लेते हुए एसीजेएम ने याची को तलब करने हेतु सम्मन जारी किया तथा उसके उपस्थित न होने पर गैर जमानती वारंट जारी कर दिया था.

परिवादिनी का कहना है कि उसने बिग बाजार को फरवरी 2020 से जून 2020 के मध्य चार लाख 38 हजार और 7,75 लाख के खाद्य पदार्थ सप्लाई किए थे. जिसकी रसीद भी उसके पास है. इसके भुगतान की मांग की गई मगर कंपनी द्वारा भुगतान नहीं किया गया साथ में बिग बाजार के कर्मचारी दुर्व्यवहार भी करते थे. उसने अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस भेजा जिसका कोई जवाब नहीं दिया गया.

याची पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी का कहना था कि याची जुलाई 2022 तक बिग बाजार का कार्यकारी अध्यक्ष था. इस नाते वह कंपनी के रोजमर्रा के कारोबार में सीधा शामिल नहीं था कोविड19 के कारण कंपनी का कारोबार प्रभावित हुआ और आर्थिक तंगी के कारण वह अपने व्यावसायिक उत्तरदायित्व को पूरा करने में असमर्थ हो गई. यह स्थिति हमारे नियंत्रण से बाहर थी.

बिग बाजार का रिलायंस ग्रुप के साथ समझौते की योजना थी, मगर वह पूरी नहीं हो सकी और कंपनी के बैंक खाते एनपीए हो गए तथा नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने इंटिरिम रेजोल्यूशन प्रोफेशनल की नियुक्ति कर दी. इस नाते यांची अब कंपनी का कार्यकारी अध्यक्ष नहीं रह गया और शक्तियां कार्यकारी बोर्ड के पास आ गई. याची का कहना था कि यह पूरी तरीके से व्यावसायिक लेनदेन का मामला है, उसे आपराधिक मुकदमे में जबरदस्ती घसीटा जा रहा है.

कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि यह स्पष्ट है कि कंपनी की संपत्ति पर याची का स्वामित्व या अधिकार नहीं था न ही उसने संपत्ति का बेईमानी पूर्वक अपने फायदे के लिए दुरुपयोग किया है. प्रकरण दोनों पक्षों के बीच नियमित व्यावसायिक लेनदेन का है, जिसका क्षेत्राधिकार गोरखपुर में है. याची इस क्षेत्राधिकार में नहीं रहता है. कार्यकारी अध्यक्ष होने के नाते यांची को भुगतान नहीं करने का दोषी नहीं ठहराया जा सकता है. कोर्ट ने एसीजेएम अदालत द्वारा 27 मार्च 2023 को जारी सम्मन आदेश और 18 जुलाई 2023 को जारी गैर जमानती वारंट के साथ ही परिवार की समस्त कार्यवाही रद्द कर दी.

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Last Updated : Mar 12, 2024, 9:58 PM IST

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