धनबादः हमें संस्कृत भाषा का अध्ययन इसलिए करना चाहिए, क्योंकि संस्कृत हमारी सांस्कृतिक भाषा है. संस्कृत संसार की सबसे पुरानी भाषा है. सभी भारतीय भाषाओं की उत्पत्ति संस्कृत से ही हुई है. इस प्रकार संस्कृत सब भारतीय भाषाओं की जननी है. प्राचीन भारत में जितनी साहित्य की रचना हुई है वह सब संस्कृत में ही हुई है. संस्कृत में अनेक धर्म-शास्त्र और ग्रंथ हैं, उन सब का अध्ययन करने के लिए संस्कृत की आवश्यकता पड़ती है. संस्कृत एक देव भाषा है.
संस्कृत पर अनेक शोध हो रहे हैं और संस्कृत में भी अनेक शोध ग्रंथ हैं. संस्कृत हमारे भारत का गौरव है. यह भाषा पूरी तरह लुप्त ना हो इसके लिए हमें संस्कृत का अध्ययन करना चाहिए, ताकि हम अपनी इस प्राचीन भाषा को संजोकर रख सकें और अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए एक गौरवशाली परंपरा देकर जाएं. इसलिए सरकार ने भी आजादी के बाद से ही स्कूलों में संस्कृत भाषा की पढ़ाई को अनिवार्य कर दिया है, लेकिन धनबाद में एक ऐसा स्कूल है. जहां की प्रभारी प्राचार्या ही नहीं चाहती कि उनके स्कूल के बच्चे संस्कृत भाषा की पढ़ाई करें.
जी हां हम बात कर रहे हैं धनबाद के बैंक मोड़ के पास में टेलीफोन रोड एक्सचेंज स्थित एसएसएलएनटी सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस की. यहां की प्रभारी प्राचार्य अंजना महतो हैं. वह हिंदी की भी टीचर हैं और स्कूल की छात्राओं को क्लास में हिंदी भी पढ़ातीं हैं. लेकिन 11वीं आर्ट्स कक्षा की छात्राओं को संस्कृत पढ़ने से मना करती हैं. ऐसा नहीं है कि स्कूल में संस्कृत की शिक्षिका नहीं हैं.
संस्कृत की शिक्षिका होने और बेहतर पढ़ाने के बावजूद भी छात्राओं को कहती हैं कि वे संस्कृत की पढ़ाई ना करें, वरना सबको टीसी देकर स्कूल से निकाल दिया जाएगा. उनके द्वारा टीसी देने के बाद दूसरे स्कूल में एडमिशन भी नहीं होगा. प्राचार्या की प्रताड़ना की शिकार स्कूल की दर्जनों छात्राओं ने धनबाद डीसी माधवी मिश्रा से मिलकर स्कूल के प्रभारी प्राचार्या के खिलाफ शिकायत की है. डीसी ने आश्वासन दिया है कि स्कूल में संस्कृत की पढ़ाई होगी, वे लोग चिंता ना करें. इसमें आगे की कार्रवाई के लिए जिला शिक्षा अधीक्षक को आदेश दिया गया है.
एडमिशन और रजिस्ट्रेशन फीस भी लेती हैं अधिक और नहीं देती हैं रसीद
स्कूल की 11वीं क्लास की छात्रा राखी कुमारी ने कहा कि एडमिशन और रजिस्ट्रेशन फीस अधिक लेती हैं और रसीद भी नहीं देती हैं. नियमानुसार रजिस्ट्रेशन फीस 2400 रुपए है लेकिन 2500 रुपया लिया जाता है. वहीं एडमिशन फीस 839 रुपए है लेकिन 900 रुपया लिया जाता है. इतना ही नहीं गवर्नमेंट स्कूल में डायरी देने का प्रावधान नहीं है. इसके बावजूद स्कूल की प्रभारी प्राचार्य खुद से डायरी छपवा कर 85 रुपया में स्कूल की छात्राओं से बेच रही हैं.