कैसिया फिस्टुला, जिसे आमतौर पर गोल्डन शावर ट्री, अमलतास, इंडियन लैबर्नम, या पर्जिंग कैसिया के नाम से जाना जाता है, यह पौधा मुख्य रूप से भारत के ट्रॉपिकल क्षेत्र में उगता है. आयुर्वेदिक चिकित्सा में, गोल्डन शावर वृक्ष को आरग्वध के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है "रोग नाशक", कैसिया या अमलतास के बीजों को सीमेन कैसिया के नाम से भी जाना जाता है, चीन में जुए मिंग जी कैसलपिनियासी प्लांट परिवार और कैसिया जीनस से संबंधित है. कैसिया के बीजों में चमत्कारी औषधीय गुण होते हैं. प्राचीन चीनी जड़ी-बूटियों में भी इसका बहुत महत्व है.
कैसिया या अमलतास को आयुर्वेद में राजवृक्ष के नाम से भी जाना जाता है, इसके फूल चमकीले पीले रंग के होते हैं. इसे भारत के सबसे खूबसूरत पेड़ों में से एक माना जाता है. आयुर्वेद के अनुसार अमलतास के इस्तेमाल से बुखार, पेट की बीमारियां त्वचा रोग, खांसी, टीवी और हृदय रोग आदि में भी लाभ लिया जा सकता है. नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, इसकी फली को गर्म पानी में उबालकर पीने से गैस जैसी समस्या से राहत मिलती है, इसके लिए फली को कूटकर गुनगुने पानी में उबालकर, छान ले फिर के एक चम्मच पीएं इससे गैस की समस्या दूर हो सकती है.
डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल मरीजों के लिए लाभकारी
दोपहर के भोजन और रात के खाने के बाद गर्म पानी के साथ अमलतास चूर्ण लेना ब्लड शुगर लेवल को मैनेज करने में फायदेमंद हो सकता है क्योंकि यह अपनी एंटीऑक्सीडेंट और सूजन-रोधी गतिविधि के कारण इंसुलिन स्राव को बढ़ाता है. नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, एक शोध में यह साबित हो गया है कि अमलतास के बीज के इस्तेमाल से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल किया जा सकता है. इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-डायबिटिक गुण पाए गए हैं. कैसिया के बीजों में एथेरोस्क्लेरोसिस प्लाक के निर्माण को रोकने और सीरम कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने की क्षमता पाई गई है.
वेट मैनेजमेंट के लिए फायदेमंद
यह वजन प्रबंधन में भी मदद करता है क्योंकि यह शरीर के चयापचय में सुधार करता है. अमलतास अपनी मूत्रवर्धक गतिविधि के कारण मूत्र उत्पादन को बढ़ाकर मूत्र संबंधी विकारों को प्रबंधित करने और शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में भी मदद कर सकता है. यह अपनी ज्वरनाशक (बुखार कम करने वाली) और ज्वरनाशक (खांसी से राहत देने वाली) गतिविधि के कारण बुखार और खांसी के लिए भी उपयोगी है. गर्म पानी के साथ अमलतास फल के गूदे के पेस्ट का सेवन करने से इसके रेचक गुण के कारण कब्ज को नियंत्रित करने में मदद मिलती है.
कई बीमारियों में मददगार
अमलतास की पत्तियों का पेस्ट शहद या गाय के दूध के साथ लगाने से दर्द और सूजन से राहत मिलती है. घाव भरने को बढ़ावा देने और इसके जीवाणुरोधी और एंटीफंगल गुणों के कारण त्वचा संक्रमण को प्रबंधित करने के लिए आप अमलतास की पत्ती का पेस्ट भी लगा सकते हैं. आयुर्वेद के अनुसार, अमलतास के अत्यधिक सेवन से इसकी सीता (ठंडी) गतिविधि के कारण खांसी और सर्दी जैसी स्थिति हो सकती है.
वहीं, कब्ज, बार-बार बुखार आना और भोजन में अरुचि की समस्या होना, इन सब बीमारियों को दूर करता है अमलतास की फलियां. अमलतास की फलियां को कूटकर गर्म पानी के साथ सेवन करने से पेट की कई बीमारियां दूर हो जाती हैं. इस विषय में कल्पतरु वृक्ष मित्र के विशेषज्ञ अतुल मेहरोत्रा बताते हैं कि इसकी फली के लंबे टुकड़े इकट्टा कर इन्हें गरम पानी में भिगो दें, फिर इसे आधा लीटर पानी में उबाल लें और छानकर पी लें. इससे कब्ज और पेट की तकलीफ दूर होती है. साथ ही जिन लोगों को भूख नहीं लगती, वह भी इसकी फलियां लगातार गुनगुने पानी में सेवन करके अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ ही भूख भी बढ़ा सकते हैं.
सोर्स-
https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC7132226/
https://www.sciencedirect.com/science/article/pii/S0378874122001490
(डिस्क्लेमर: यहां आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान कर रहे हैं. बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप अपने निजी डॉक्टर की सलाह ले लें.)