देहरादूनः मॉनसून सीजन में उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में हो रही मूसलाधार बारिश के कारण लैंडस्लाइड की घटनाएं काफी बढ़ गई हैं. ये सिलसिला हर साल जारी रहता है. वहीं ये मुद्दा संसद में भी गूंजा है. लेकिन खास बात ये है कि इस गंभीर विषय पर चिंता उत्तराखंड से संसद पहुंचे भाजपा सांसदों ने नहीं बल्कि किसी अन्य राज्य की कांग्रेस सांसद ने जताई है. जिसका उत्तराखंड से कोई ताल्लुख नहीं है. इस बात पर सोशल मीडिया पर खूब प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं.
उत्तराखंड समेत हिमायली राज्यों में मॉनसून में लैंडस्लाइड के कारण हर साल मार्ग क्षतिग्रस्त होना, आवासीय मकान और दुकानों में मलबा घुसने से नुकसान पहुंचना, नदियों का रूख बदलना और जनहानि की घटनाएं रिकॉर्ड की जाती हैं. हर साल मॉनसून सीजन से पहले सरकार इन घटनाओं को रोकने और कम से कम नुकसान हो, इसके लिए प्लान तैयार कर धरातल पर उतारती है. लेकिन उसके बावजूद भी लैंडस्लाइड और भू-धंसाव की घटना लगातार बढ़ रही है. हालांकि, एक बड़ा तबका इसका कारण पहाड़ों में हो विकास के नाम पर अंधाधुंध मशीनों के प्रयोग को भी मानता है.
रंजीत रंजन का वीडियो वायरल: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस मुद्दे पर अक्सर बड़ी बहस छिड़ी रहती है. एक पक्ष- पहाड़ को विकास की जरूरत की बात को बल देता है तो दूसरा पक्ष-विकास के नाम पर पहाड़ का सीना चीरने की दुहाई देता है. इन दिनों भी ये मुद्दा एक वीडियो के कारण सोशल मीडिया पर बड़ा बहस का विषय बन गया है. ये वीडियो कांग्रेस की सांसद रंजीत रंजन का है जो संसद में हिमालयी राज्यों में मॉनसून सीजन के दौरान होने वाली सबसे बड़ी परेशानी के लिए पैरवी कर रही हैं.
छत्तीसगढ़ से कांग्रेस की राज्यसभा सांसद रंजीत रंजन का एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया जा रहा है. वीडियो में रंजीत रंजन संसद में प्रकृति और हिमालय के दोहन पर चिंता जाहिर कर रही हैं. वह कह रही हैं, 'बढ़ती लैंडस्लाइड, बादल फटना, जंगलों में आग, सूखते जलस्त्रोत और हिमायल क्षेत्रों में तेजी से मिट्टी का कटना चिंताजनक है. 2013 में केदारनाथ, 2021 में ऋषिगंगा त्रासदी, जोशीमठ मकानों का धंसना, उत्तरकाशी सिलक्यारा टनल, बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर भूस्लखन जिसके कारण यात्रा रोकनी पड़ी के साथ ही केदारनाथ में रेस्क्यू अभी तक बड़ी घटनाओं के जरिए सामने आया है'.
रंजीत रंजन ने आगे कहा कि, ये जलवायु परिवर्तन का प्रभाव नहीं है. बल्कि मैं कहूंगी कि ये मैन मेड आपदाएं हैं जिनके बारे में हम सभी को बहुत गंभीरता से चिंताए करनी चाहिए. इसके बाद उन्होंने चारधाम ऑल वेदर रोड परियोजना को अवैज्ञानिक अनियंत्रित मनमानी जैसी विकास नीतियों को 'आग में घी' का काम करना करार दिया. इसके अलावा भी रंजीत रंजन कई मुद्दों पर अपनी बातें रख रही हैं.