नई दिल्ली: मणिपुर हिंसा को लेकर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस में तल्खी बढ़ती जा रही है. कांग्रेस ने शुक्रवार को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा पर उनके इस आरोप को लेकर पलटवार करते हुए कहा कि विपक्षी पार्टी मणिपुर के मुद्दे पर राजनीति से प्रेरित कहानी पेश कर रही है.
नड्डा पर पलटवार करते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे जी ने मणिपुर पर भारत के राष्ट्रपति को पत्र लिखा था. जाहिर तौर पर उस पत्र का जवाब देने के लिए भाजपा अध्यक्ष ने अब कांग्रेस अध्यक्ष को पत्र लिखा है. उन्होंने सोशल मीडिया 'एक्स' पर पोस्ट करते हुए लिखा कि नड्डा जी का पत्र, आश्चर्य की बात नहीं है, झूठ से भरा है और यह 4डी अभ्यास है - इनकार, विकृति, ध्यान भटकाना और मानहानि.'
बता दें, कुछ दिनों पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राष्ट्रपति मुर्मू को एक पत्र लिखा था. जिसके बाद नड्डा ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से हस्तक्षेप की मांग करने और संकट को शांत करने में केंद्र की पूरी तरह विफलता का आरोप लगाने के लिए खड़गे पर पलटवार किया. खड़गे को जवाब देते हुए नड्डा ने दावा किया कि मणिपुर में सत्ता में रहने के दौरान स्थानीय मुद्दों से निपटने में कांग्रेस की 'पूर्ण विफलता' के दुष्परिणाम आज भी महसूस किए जा रहे हैं.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने आगे कहा कि मणिपुर के लोग चाहते हैं कि राज्य में जल्द से जल्द सामान्य स्थिति, शांति और सद्भाव लौट आए. जयराम रमेश ने कहा कि इस दिशा में वे चार सरल प्रश्न पूछ रहे हैं: प्रधानमंत्री राज्य का दौरा कब करेंगे? मुख्यमंत्री कब तक राज्य पर अत्याचार करते रहेंगे, जबकि अधिकांश विधायक उनके समर्थन में नहीं हैं? राज्य के लिए पूर्णकालिक राज्यपाल की नियुक्ति कब होगी? गृह मंत्री मणिपुर में अपनी घोर विफलताओं की जिम्मेदारी कब लेंगे?
अपने लेटर में नड्डा ने खड़गे से कहा कि सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कांग्रेस पार्टी मणिपुर की स्थिति को सनसनीखेज बनाने के लिए बार-बार प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि खड़गे यह भूल गए हैं कि न केवल उनकी सरकार ने भारत में विदेशी आतंकवादियों के अवैध प्रवास को वैध बनाया था, बल्कि तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम ने उनके साथ संधियों पर हस्ताक्षर भी किए थे. कांग्रेस मणिपुर का दौरा न करने के लिए प्रधानमंत्री पर हमला कर रही है, इसके अलावा जातीय संघर्ष से ग्रस्त पूर्वोत्तर राज्य में स्थिति से निपटने के लिए केंद्र की भी आलोचना कर रही है.
पिछले वर्ष मई से इंफाल घाटी स्थित मैतेईस और समीपवर्ती पहाड़ियों पर स्थित कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में 220 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं.
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