छिन्दवाड़ा. अब तक अपनी सुंदरता और जड़ी बूटियां के लिए दुनिया भर में पहचान कायम रखने वाले पातालकोट के आदिवासी अब लौंग, इलायची, काली मिर्च और तेजपत्ता की खेती करने जा रहे हैं. इसके लिए शुरुआती तौर पर जिले के चार विकासखंडों अमरवाड़ा, हर्रई, तामिया और जुन्नारदेव में मॉडल के रूप में काम किया जाएगा. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार यहां की क्लाइमेटिक कंडीशन इन मसाला वर्गीय फसलों के उत्पादन के लिए बेहद अनुकूल हैं. किसानों को इन मसालों की खेती कराने और इसके लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से जिला पंचायत सभाकक्ष में एक दिन ट्रेनिंग दी गई.
स्पाइस बोर्ड ऑफ इंडिया ने दी ट्रेनिंग
आदिवासी ब्लॉक अमरवाड़ा, हर्रई, तामिया और जुन्नारदेव के 39 किसानों को मसाला वर्ग की लौंग, इलायची, काली मिर्च एवं तेजपत्ता फसल की खेती पर स्पाइस बोर्ड ऑफ इंडिया के क्षेत्रीय कार्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक भरत अर्जुन गुढाडे द्वारा ट्रेनिंग दी गई. इस अवसर पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत छिन्दवाड़ा पार्थ जैसवाल, कृषि विज्ञान केन्द्र चंदनगांव के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक ध्रुव कुमार श्रीवास्तव व रूपेन्द्र झाडे, उप संचालक कृषि जितेन्द्र कुमार सिंह, उप संचालक उद्यान एम.एल.उईके सहित उद्यानिकी विभाग के अधिकारी मौजूद थे. ट्रेनिंग में इन मसालों के पौधे भी प्रदर्शन के लिए रखे गए. बताया जा रहा है कि इन मसालों की खेती से प्रति हेक्टेयर 50 हजार की लागत पर 3.5 लाख तक का मुनाफा हो सकता है.
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