भोपाल: राजधानी में साल 1984 में हुई भीषण गैस त्रासदी ने करीब हजारों लोगों की जान ले ली थी. इसके साथ ही करीब पौने 6 लाख लोग जहरीली गैस से प्रभावित हुए थे. वहीं निरंतर 40 सालों से यूनियन कार्बाइड और डाउ कैमिकल फैक्ट्री में पड़ा यह कचरा भोपाल की आबोहवा का भी प्रदूषित कर रहा था. इससे फैक्ट्री के आसपास की मिट्टी और भूजल भी प्रदूषित हो रहा था. हालांकि हाईकोर्ट के संज्ञान लेने के बाद अब इस कचरे को इंदौर के पीथमपुर में स्थित रामकी इनवायरो के इंसीनेटर में जलाया जाएगा.
इसके लिए भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री में जहरीला कचरा भरने का काम पूरा हो चुका है. बुधवार देर रात इस कचरे को ग्रीन कारिडोर बनाकर भोपाल से पीथमपुर भेजा जाएगा.
भोपाल से पीथमपुर कचरा भेजा गया (ETV Bharat) 12 कंटेनरों में भेजा जाएगा 5 प्रकार का कचरा
बता दें कि फैक्ट्री के अंदर करीब 337 मीट्रिक टन कचरा थैलियों में भरा था. इस कचरे को अब पीथमपुर ले जाने के लिए जंबो बैग में भरकर 12 कंटेनरों में लोड किया गया है. इसमें 5 प्रकार के कचरे को अलग-अलग ले जाया जाएगा. अधिकारियों ने बताया कि फैक्ट्री में रिएक्टर से निकले अवशेष, सीवन अवशेष, नेफ्थाल अवशेष और कीटनाशक बनाने की प्रक्रिया के दौरान प्रोसेस करने से बचा हुआ केमिकल शामिल है. इसके साथ ही यूका यानि यूनियन कार्बाइड परिसर में बिखरे हुए कचरे को इकट्ठा करने के साथ उस समय परिसर की मिट्टी को भी इकट्ठा किया गया.
मिट्टी और धूल की भी होगी टेस्टिंग
गैस राहत विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यूनियन कार्बाइड परिसर के तीन स्थानों पर वायु गुणवत्ता की मॉनिटरिंग के लिए उपकरण लगाए हैं. इनसे पीएम 10 व पीएम 2.5 के साथ नाइट्रोजन आक्साइड, सल्फर डाई आक्साइड आदि की जांच की जा रही है. वहीं कचरा जिस स्थान पर रखा है, उस इलाके की धूल भी कचरे के साथ जाएगी. यदि कहीं कचरा गिरा है, तो उस जगह की मिट्टी को भी पीथमपुर ले जाया जाएगा. इस मिट्टी और धूल की भी टेस्टिंग होगी. बता दें कि यूका की 87 एकड़ जमीन में से 30 एकड़ पर लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया है. 57 एकड़ में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री बनी हुई है.
कचरे का जलाने का 2015 में हो चुका ट्रायल
गैस राहत एवं पुनर्वास विभाग के संचालक स्वतंत्र कुमार सिंहने बताया कि "यूनियन कार्बाइड परिसर में 347 मीट्रिक टन विषाक्त कचरा था, जिसमें से 10 मीट्रिक टन कचरा 2015 में ट्रायल के रूप मे जलाया जा चुका है. ट्रायल रन के दौरान व बाद में उत्सर्जन मानक, निर्धारित राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप पाए गए. उन्होंने बताया कि इस कचरे का निष्पादन टू लेयर कम्पोजिट लाइनर सिस्टम से किया जाएगा. बता दें कि हाईकोर्ट ने 3 जनवरी तक इसे हटाने के निर्देश दिए थे. 3 जनवरी को सरकार को हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश करना है. यानी, 2 जनवरी तक हर हाल में कचरा पीथमपुर भेजना ही है.
ट्रकों से भेजा गया जहरीला कचरा (ETV Bharat) 30-30 मिनट की लगती थी शिफ्ट
बता दें कि यूनियन कार्बाइड कारखाने से कचरा निकालने के लिए 100 मजदूरों को चुना गया था. इस दौरान इन मजदूरों की सेहत की भी निगरानी की जा रही थी. एक मजदूर सिर्फ आधा घंटा ही कचरे के संपर्क में रहता था. इसके बाद मजदूरों की दूसरी शिफ्ट आ जाती थी. कचरे के संपर्क में रहने के बाद मजदूरों का हेल्थ चेकअप किया जा रहा था. इस दौरान सभी मजदूरों को पीपीई किट के साथ रेडिएशन मॉनिटर भी दिए गए थे. अब यह यूनियन कार्बाइड परिसर में फैले जहरीले कचरे को कंटेनर में भर दिया गया है.
ट्रकों में भरकर ले जाया गया जहरीला कचरा (ETV Bharat) 400 अधिकारी-कर्मचारी की तैनाती, 126 करोड़ का खर्च
कड़ी सुरक्षा के बीच इस जहरीले कचरे की लोडिंग की जा रही है. जिसमें 100 मजदूर, 100 पुलिसकर्मियों समेत जिला प्रशासन, नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड समेत अन्य विभागों के 400 अधिकारी कर्मचारी मौजूद हैं. पीथमपुरा में कचरा पहुंचाने के बाद इसे 9 महीने के अंदर जलाना है. बता दें इस जहरीले कचरे को हटाने में सरकार को 126 करोड़ का खर्च आएगा.
प्रशासन की कड़ी निगरानी में कचरा रवाना (ETV Bharat) इंदौर में कचरा जलाने पर विजयवर्गीय का विरोध
यूनियन कार्बाइड का 337 टन जहरीला कचरा निस्तारण के लिए भोपाल से पीथमपुर लाने की कवायद के बीच नगरीय प्रशासन एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है, कि "जब तक जनप्रतिनिधि इस बात से संतुष्ट नहीं हो जाते कि इस कचरे से नागरिकों के स्वास्थ्य को कोई हानि नहीं है, तब तक इसे पीथमपुर नहीं आने देंगे. इस बारे में विजयवर्गीय ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों से भी चर्चा करने की बात कही है. उधर इंदौर के अधिवक्ता अभिनव धनोतकर ने हाईकोर्ट में याचिका भी लगाई है. उनका आरोप है कि जिन ट्रकों के जरिए कचरा शिफ्ट किया जाना है, सरकार ने उनके नंबर हाई कोर्ट में दिए थे, लेकिन जहरीला कचरा दूसरे ट्रकों में भर दिया गया.