इंदौर: दुनिया भर में बारीक तरीके से बनाई जाने वाली कलाकृतियों का एक अलग ही संसार है जो अपने सूक्ष्म आकार की वजह से हर किसी को आश्चर्य में डाल देती हैं. चाहे शिल्पकला हो अथवा पेंटिंग आर्ट, कलाकार अपनी लगन और कड़ी मेहनत से कल्पनाओं को साकार रूप देते हैं. ऐसी ही सूक्ष्म कलाकृतियों के आर्टिस्ट हैं मालवा के पुनीत कदवाने, जो पेन की निब पर महाकाल से लेकर शक्कर और राई के दाने पर चित्र को साकार कर चुके हैं. अपनी सूक्ष्म कलाकृतियों के लिए उन्हें पांच वर्ल्ड रिकॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है.
शिप्रा आर्ट कॉलेज में पीजी के छात्र हैं पुनीत
दरअसल उज्जैन के इंदौर रोड पर रहने वाले पुनीत कदवाने फिलहाल शिप्रा आर्ट कॉलेज में पीजी के छात्र हैं जो माइक्रो आर्ट में महारत रखते हैं. बीते दिनों उनके मन में छोटी सी छोटी चीजों पर चित्र उकेरने का खयाल आया. लिहाजा उन्होंने माइक्रोस्कोप और मैग्नीफाइंग ग्लास की मदद से सूक्ष्म चीजों पर अलग-अलग कलाकृतियां बनाना शुरू किया.
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हाल ही में उन्होंने अपने पेन की निब पर भगवान महाकाल की तस्वीर उकेरी है जो अपने आप में किसी अजूबे से कम नहीं है. इसी तरह उन्होंने राई के दाने पर सम्राट विक्रमादित्य का चित्र साकार किया है. इसी तरह शक्कर के दाने पर रामलला और चने के दाने पर नंदी पर विराजमान भगवान महाकाल का चित्र तैयार किया है जो केवल माइक्रोस्कोप से ही देखा जा सकता है. पुनीत बताते हैं कि माइक्रो आर्ट में चित्रकारी करते हुए सूक्ष्म स्थान का उचित प्रयोग और बारीक से बारीक लकीर और रंग को एक उचित अनुपात में उपयोग करना होता है.
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दुनिया की सबसे छोटी पेंटिंग बनाकर पुनीत ने इंटरनेशनल बुक अवार्ड में बनाया है स्थान
जाहिर है सूक्ष्म वस्तु पर बनाया गया चित्र भी उतना ही सूक्ष्मतम होगा. अपनी कल्पनाओं को कला के माध्यम से सूक्ष्म वस्तुओं पर उकेर देना किसी चुनौती से कम नहीं है. अपने हुनर से पुनीत ने दुनिया की सबसे छोटी पेंटिंग बनाकर इंटरनेशनल बुक अवार्ड में अपना स्थान बनाया है. इसके अलावा उन्होंने चेन पर शिव पार्वती का चित्र भी बनाया था. उनकी माइक्रो आर्ट की एग्जीबिशन मुंबई, हैदराबाद, जयपुर के अलावा कई स्थानों पर लग चुकी है.
नेहरू सेंटर आफ आर्ट गैलरी में उनकी सोलो एग्जीबिशन में हाथों-हाथ बिक गए उनके चित्र
हाल ही में नेहरू सेंटर आफ आर्ट गैलरी में उनकी सोलो एग्जीबिशन लगाई गई थी जिसमें उनके कई चित्र हाथों-हाथ बिक गए. उनका कहना है कि वह अपने गुरु अभिषेक सिंह तोमर और माता-पिता के प्रोत्साहन से अपने माइक्रो आर्ट को दुनिया भर में स्थापित कर सके.