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शिवपुरी में महिला के गले से निकली 500 ग्राम की गांठ, धरती के भगवान ने बचाई जान - SHIVPURI DOCTORS REMOVE LUMP

मध्य प्रदेश के शिवपुरी मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों ने 500 ग्राम वजनी गांठ निकाली. कॉलेज के डीन ने डॉक्टरों सहित थायरॉइड ग्रंथि का ऑपरेशन किया.

SHIVPURI DOCTORS REMOVE LUMP
शिवपुरी में महिला के गले से निकली 500 ग्राम की गांठ (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 17, 2025, 10:34 PM IST

शिवपुरी: मध्य प्रदेश के शिवपुरी मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार को एक महिला के गले से मेडिकल कॉलेज के डीन सहित विशेषज्ञों की टीम ने 500 ग्राम की गांठ निकाली है. महिला को इस गांठ के कारण पिछले 1 साल से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था. गांठ बड़ी होने के कारण यह ऑपरेशन ज्यादा रिस्की बताया जा रहा था.

1 साल तक नहीं कराया ऑपरेशन

करैरा के ग्राम नाहरई निवासी एक 40 वर्षीय महिला के गले में परेशानी के चलते करीब एक साल पहले मेडिकल कॉलेज में डॉ मेघा प्रभाकर को दिखाने आई थी. डाक्टर ने महिला को ऑपरेशन की सलाह दी, लेकिन महिला ने ऑपरेशन नहीं करवाया. एक साल तक वह यहां-वहां इलाज के लिए घूमती रही. इस दौरान थायराइड ग्रंथि पर गांठ होने से महिला की तकलीफ और बढ़ गई. दर्द ज्यादा होने के चलते पिछले दिनों महिला फिर से मेडिकल कॉलेज पहुंची. जिस पर डॉ. मेघा प्रभाकर ने एचओडी डॉ धीरेंद्र त्रिपाठी से मामले को डिस्कस किया.

डॉक्टरों ने निकाली 500 ग्राम की गांठ

गांठ बड़ी होने के चलते केस को रेफर करने पर विचार किया. अंत में दोनों डाक्टरों ने मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. डी परमहंस को पूरा मामला बताया. डीन डॉ. परमहंस ने दोनों डाक्टरों से केस समझने के बाद महिला काे रेफर करने के बजाय उसका ऑपरेशन खुद करने की बात कही. शुक्रवार को उन्होंने दोनों डॉक्टरों के अलावा एनेस्थीसिया विभागाध्यक्ष डॉ. शिल्पा अग्रवाल, डॉ. मीनाक्षी गर्ग सहित ओटी इंचार्ज प्रियंका शुक्ला की टीम के साथ महिला की थायराइड गंथि का ऑपरेशन कर 10 बाई 6 बाई 3 सेंटीमीटर की 500 ग्राम वजनी गांठ का ऑपरेशन कर उसे बाहर निकाला. महिला की हालत फिलहाल सामान्य बताई जा रही है.

महिला को हो रही थी परेशानी

डॉ. डी परमहंस ने बताया कि "महिला आसानी से न तो सांस ले पा रही थी और न ही खाना निगल पा रही थी. रात को सीधा सोते समय सांस लेना नामुमकिन सा हो गया था. ऐसे में महिला को हमेशा करवट लेकर लेटना पड़ रहा था. गांठ ने महिला की स्वास नली को पूरी तरह से कवर कर लिया था, जो निकट भविष्य में और खतरनाक हो सकती थी. महिला को कैंसर का खतरा हो सकता था.

थायरॉइड ग्रंथि बहुत ही वेस्कुलर होती है, गले में आवाज व श्वास और मस्तिष्क की धमनियों और शिराओं के जाल में होती है. इन सभी को बचाते हुए ग्रंथि काे निकालना पड़ता है. मरीज के परिजनाें की सहमति और डाक्टराें की पहल के बाद ऑपरेशन किया गया है. महिला आयुष्मान योजना की मरीज होने के चलते उसका इलाज पूरी तरह से नि:शुल्क हुआ. इसमें एनेस्थेसिया और ओटी स्टाफ का सहयाेग रहा."

शिवपुरी: मध्य प्रदेश के शिवपुरी मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार को एक महिला के गले से मेडिकल कॉलेज के डीन सहित विशेषज्ञों की टीम ने 500 ग्राम की गांठ निकाली है. महिला को इस गांठ के कारण पिछले 1 साल से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था. गांठ बड़ी होने के कारण यह ऑपरेशन ज्यादा रिस्की बताया जा रहा था.

1 साल तक नहीं कराया ऑपरेशन

करैरा के ग्राम नाहरई निवासी एक 40 वर्षीय महिला के गले में परेशानी के चलते करीब एक साल पहले मेडिकल कॉलेज में डॉ मेघा प्रभाकर को दिखाने आई थी. डाक्टर ने महिला को ऑपरेशन की सलाह दी, लेकिन महिला ने ऑपरेशन नहीं करवाया. एक साल तक वह यहां-वहां इलाज के लिए घूमती रही. इस दौरान थायराइड ग्रंथि पर गांठ होने से महिला की तकलीफ और बढ़ गई. दर्द ज्यादा होने के चलते पिछले दिनों महिला फिर से मेडिकल कॉलेज पहुंची. जिस पर डॉ. मेघा प्रभाकर ने एचओडी डॉ धीरेंद्र त्रिपाठी से मामले को डिस्कस किया.

डॉक्टरों ने निकाली 500 ग्राम की गांठ

गांठ बड़ी होने के चलते केस को रेफर करने पर विचार किया. अंत में दोनों डाक्टरों ने मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. डी परमहंस को पूरा मामला बताया. डीन डॉ. परमहंस ने दोनों डाक्टरों से केस समझने के बाद महिला काे रेफर करने के बजाय उसका ऑपरेशन खुद करने की बात कही. शुक्रवार को उन्होंने दोनों डॉक्टरों के अलावा एनेस्थीसिया विभागाध्यक्ष डॉ. शिल्पा अग्रवाल, डॉ. मीनाक्षी गर्ग सहित ओटी इंचार्ज प्रियंका शुक्ला की टीम के साथ महिला की थायराइड गंथि का ऑपरेशन कर 10 बाई 6 बाई 3 सेंटीमीटर की 500 ग्राम वजनी गांठ का ऑपरेशन कर उसे बाहर निकाला. महिला की हालत फिलहाल सामान्य बताई जा रही है.

महिला को हो रही थी परेशानी

डॉ. डी परमहंस ने बताया कि "महिला आसानी से न तो सांस ले पा रही थी और न ही खाना निगल पा रही थी. रात को सीधा सोते समय सांस लेना नामुमकिन सा हो गया था. ऐसे में महिला को हमेशा करवट लेकर लेटना पड़ रहा था. गांठ ने महिला की स्वास नली को पूरी तरह से कवर कर लिया था, जो निकट भविष्य में और खतरनाक हो सकती थी. महिला को कैंसर का खतरा हो सकता था.

थायरॉइड ग्रंथि बहुत ही वेस्कुलर होती है, गले में आवाज व श्वास और मस्तिष्क की धमनियों और शिराओं के जाल में होती है. इन सभी को बचाते हुए ग्रंथि काे निकालना पड़ता है. मरीज के परिजनाें की सहमति और डाक्टराें की पहल के बाद ऑपरेशन किया गया है. महिला आयुष्मान योजना की मरीज होने के चलते उसका इलाज पूरी तरह से नि:शुल्क हुआ. इसमें एनेस्थेसिया और ओटी स्टाफ का सहयाेग रहा."

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