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'बांग्लादेश के हालात को लेकर भारत को सतर्क रहने की जरूरत', विशेषज्ञ ने अमेरिका-ब्रिटेन पर उठाए सवाल - Bangladesh Unrest

Bangladesh Unrest and implications for India : बांग्लादेश में राजनीतिक संकट पर बात करते हुए अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ डॉ. सुवरोकमल दत्ता ने कहा कि भारत को पड़ोसी देश में तेजी से बदलते राजनीतिक हालात को लेकर बेहद सतर्क रहना चाहिए. उन्होंने शेख हसीना के तख्तापलट में अमेरिका, ब्रिटेन और चीन की संलिप्तता की ओर इशारा किया. ईवीटी भारत की वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी की रिपोर्ट.

Bangladesh Unrest and implications for India
बांग्लादेश संकट (AP)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 7, 2024, 4:50 PM IST

नई दिल्ली: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना का कई हफ्तों तक चले विरोध प्रदर्शन के बाद पद से इस्तीफा देना और देश छोड़ना दक्षिण एशिया के लिए एक बड़ी घटना है. ढाका में राजनीतिक अशांति अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है, क्योंकि उनके इस्तीफे के बाद भू-राजनीतिक निहितार्थ सामने आ रहे हैं. बांग्लादेश वर्तमान में राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है, सेना ने संघर्षग्रस्त राष्ट्र में सामान्य स्थिति और शांति वापस लाने के लिए कदम उठाया है.

भारत के लिए इसके क्या निहितार्थ या परिणाम हो सकते हैं और आगे क्या हो सकता है, इसे समझने के लिए ईटीवी भारत ने अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक आर्थिक और विदेश नीति विशेषज्ञ डॉ सुवरोकमल दत्ता से बात की. ईटीवी भारत से बातचीत में दत्ता ने कहा, "बांग्लादेश में तेजी से बदल रहे राजनीतिक हालात को लेकर भारत को बेहद सतर्क रहना चाहिए. ऐसा लगता है कि बांग्लादेश की सेना इस पूरी स्थिति में बीएनपी और जमात का सक्रिय रूप से समर्थन कर रही है. बांग्लादेश की सेना के शीर्ष अधिकारियों के अमेरिका में कई प्रभावशाली लोगों के साथ बहुत गहरे संबंध हैं और ऐसा लगता है कि ढाका में अमेरिकी दूतावास सहित अमेरिका भी उनका समर्थन कर रहा है."

उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हिंसा ने पहले ही हिंदू और भारत विरोधी रूप ले लिया है. वहां हिंसा में हिंदुओं को बड़े पैमाने पर निशाना बनाया जा रहा है. हिंदुओं के सैकड़ों मंदिर, घर और दुकानों में आगजनी और लूटपाट की गई है. हिंदू महिलाओं को भी निशाना बनाया जा रहा है. ऐसे में हिंदू उत्तर बंगाल और असम की सीमाओं पर कतारों में खड़े होकर अपनी जान, सम्मान और गरिमा बचाने के लिए भारत में शरण मांग रहे हैं और भारत में शरणार्थी का दर्जा और राजनीतिक शरण मांग रहे हैं.

...तो मोदी सरकार को किसी भी स्तर पर हस्तक्षेप करना चाहिए...
उन्होंने आगे कहा कि अगर स्थिति और बिगड़ती है और 1971 जैसा गंभीर शरणार्थी संकट सामने आता है तो मोदी सरकार को किसी भी स्तर पर हस्तक्षेप करना चाहिए और जरूरत पड़ने पर भारतीय सेना को उस देश में भेजना चाहिए. ऐसी स्थिति न आए, इसके लिए भारत सरकार को जल्द से जल्द कार्यवाहक शासन और बांग्लादेश के आर्मी जनरल से संपर्क करना चाहिए और वहां के मौजूदा सत्ताधारियों को सख्त चेतावनी देनी चाहिए कि वे अल्पसंख्यकों खासकर हिंदुओं के खिलाफ हिंसा बंद करें और उन्हें पूरी सुरक्षा दें.

बांग्लादेश में शेख हसीना की सत्ता जाने से नई दिल्ली ने पड़ोस में बहुत ही स्थिर साथी खो दिया है. भारत को रणनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, खास तौर पर चीनी आधिपत्य के सामने, क्योंकि अब श्रीलंका को छोड़कर भारत के पड़ोस में ऐसी सरकारें बची हैं, जो नई दिल्ली की ओर झुकाव नहीं रखती हैं.

2023 में मालदीव के राष्ट्रपति बने मोहम्मद मुइज्जू को चीन समर्थक माना जाता है. वह विकास भागीदार के रूप में चीन को प्राथमिकता देते हैं. नेपाल के नए प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली भारतीय क्षेत्र कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा पर नियंत्रण हासिल करने की बात करते रहे हैं.

बीएनपी का भारत के खिलाफ अभियान...
इस बीच, बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनल पार्टी (बीएनपी) ने भारत के खिलाफ बड़ा अभियान शुरू किया है. बीएनपी के 2024 के 'इंडिया आउट' आंदोलन को तेजी से समर्थन प्राप्त हुआ है, जिसमें रमजान के मौसम में भारतीय सामानों का बहिष्कार शामिल है.

दत्ता ने आगे कहा कि हसीना सरकार में भारत और बांग्लादेश के बीच मधुर और ठोस संबंधों से चीन कभी भी सहज नहीं था. उन्होंने दावा किया, "इसलिए ऐसा लगता है कि चीन ने पाकिस्तान की आईएसआई और ढाका में बीएनपी और जमात के पूर्ण समर्थन के साथ बांग्लादेश में इस तख्तापलट को पूरी तरह से वित्तपोषित किया है."

शेख हसीना का वीजा रद्द करने से अमेरिका के नापाक इरादे उजागर हुए...
इस बीच, अमेरिका ने कथित तौर पर बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से बेदखल होने के बाद उनका वीजा रद्द कर दिया है. यह निर्णय उन रिपोर्ट्स के बीच आया है, जिन में कहा गया है कि विदेशी हाथ, खास तौर पर अमेरिका, उन्हें सत्ता से बेदखल करने की साजिश रच रहा है.

इस घटनाक्रम पर सुवरोकमल दत्ता ने कहा, "अमेरिका द्वारा शेख हसीना का वीजा रद्द करना अमेरिका के नापाक और बुरे इरादों को उजागर करता है कि बांग्लादेश में हसीना सरकार को गिराने की साजिश रचने में अमेरिका कितना हताश था. अब यह स्पष्ट हो गया है कि बांग्लादेश की वैध निर्वाचित सरकार को हटाने के लिए पर्दे के पीछे अमेरिका और ब्रिटेन की एक बड़ी साजिश है. ऐसी खबरें सामने आ रही हैं कि बीएनपी प्रमुख खालिदा जिया के बेटे ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और जमात के साथ मिलकर लंदन और सऊदी अरब में अमेरिका, ब्रिटेन और चीन की फंडिंग के पूर्ण समर्थन के साथ शेख हसीना की सरकार को गिराने की पूरी साजिश रची."

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना फिलहाल नई दिल्ली में हैं और ब्रिटेन में उनके शरण के अनुरोध को कानूनी बाधाओं का सामना करने के कारण उनके यहां रुकने की समय सीमा को बढ़ा दिया गया है.

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