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एमपी की धाकड़ गर्ल मुस्कान के बुलंद हौसले, ऑस्ट्रेलिया की सबसे ऊंची चोटी कोस्कुईस्ज्को पर फहराया तिरंगा - MP Girl Climbed Mount Kosciuszko

एमपी की 23 साल की मुस्कान ने 15 अगस्त के दिन ऑस्ट्रेलिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट कोस्कुईस्ज्को पर तिरंगा फहराया. मुस्कान देश की सबसे छोटी उम्र की पर्वतारोही हैं. जिसने सातों महाद्वीप की सबसे ऊंची चोटियों को चढ़ने का लक्ष्य रखा है. ऑस्ट्रेलिया में पहली जंग जीतने के बाद आज मुस्कान तो सिडनी में हैं, लेकिन उनका परिवार, शहर गर्व महसूस कर रहा है. एक नजर ETV भारत की खास रिपोर्ट पर

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 16, 2024, 8:36 PM IST

Updated : Aug 16, 2024, 8:53 PM IST

MP GIRL CLIMBED MOUNT KOSCIUSZKO
एमपी की धाकड़ गर्ल मुस्कान के बुलंद हौसले (ETV Bharat)

अशोकनगर: मेरे सपनों की उड़ान आसमां तक है, मुझे बनानी अपनी पहचान आसमां तक है. मैं कैसे हार मान लूं और थक कर बैठ जाऊं, मेरे हौसलों की बुलंदी आसमां तक है. युवा कवि तपस अग्रवाल की रचना की ये पंक्तियां जीवन को प्रेरित करने का सबसे अच्छा उदाहरण है, और इन्हीं पंक्तियों सा हौसला मध्य प्रदेश की एक 23 साल की बेटी दिखा रही है. जिसने इतनी कम उम्र में दुनिया के सातों महाद्वीप की सबसे ऊंची पर्वत चोटियों को झुकाने का, फतह करने का लक्ष्य बनाया है. मुस्कान रघुवंशी ने पहली बार में ऑस्ट्रेलिया की सबसे ऊंची छोटी माउंट कोस्कुईस्ज्को पर भारत का तिरंगा लहराया है. वह भी भारत के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर.

एमपी की धाकड़ गर्ल मुस्कान के बुलंद हौसले (ETV Bharat)

किसान परिवार से आती है मुस्कान रघुवंशी

मध्य प्रदेश के छोटे से जिले अशोकनगर की रहने वाली मुस्कान रघुवंशी आज देश दुनियां में पहचान की मोहताज नहीं है. 23 साल की मुस्कान एक किसान की बेटी हैं. पिता रामकृष्ण रघुवंशी और मां ममता रघुवंशी अपनी बेटी की उपलब्धि से फूले नहीं समा रहे, क्योंकि घर से निकली बेटी विदेश की सबसे ऊंची पर्वत चोटी पर तिरंगा जो लहरा आयी है. गांव की गलियों से निकल कर कश्मीर से कन्याकुमारी की दूरी नापने के बाद गांव की ये छोरी देश के उन सबसे कम उम्र की पर्वतारोही है. जिसने ऑस्ट्रेलिया माउंट कोस्कुईस्ज्को पैरों से माप लिया.

ऑस्ट्रेलिया की ऊंची चोटी पर चढ़ाई की तस्वीर (ETV Bharat)

पिता बनाना चाहते थे अफसर

मुस्कान रघुवंशी के पिता अपनी बेटी की इस उपलब्धि से गर्व महसूस कर रहे हैं. पेशे से किसानरामकृष्ण रघुवंशी ने ETV भारत से बातचीत के दौरान बताया कि 'मुस्कान में हमेशा से कुछ कर गुजरने की चाहत थी. जब वह बारहवीं कक्षा में थी, तो उसने स्पोर्ट्स में जाने की बात कही थी, लेकिन बेटी को पढ़ा लिखाकर अफसर बनाने की चाहत में उन्होंने इस बात पर ध्यान नहीं दिया. मुस्कान जब स्कूली शिक्षा पूरी कर चुकी थी, तो पिता ने उन्हें सरकारी नौकरी की तैयारी के लिए इंदौर भेजा, लेकिन इस बीच देश में कोरोना महामारी फैल गई तो ऐसे में मुस्कान को भी अपने माता पिता के पास घर वापस लौटना पड़ा.

कोयंबटूर में भोलेनाथ की प्रतिमा के सामने ध्यान लगाती मुस्कान (ETV Bharat)

कोरोना काल में फिट रहने शुरू की थी साइकिलिंग

उस दौरान मुस्कान के पिता लोगों की खस्ता हालत और ऑक्सीजन की कमी को देख रहे थे. उन्होंने जुगाड़ से ऑक्सीजन के सिलेंडरों का इंतजाम किया और घर में रहते ही घर के नीचे से किसी तरह ऑक्सीजन भरवा गैस सिलेंडर जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाने शुरू किए. जिसने कोरोना का खौफ थोड़ा कम किया और लोगों की मदद करने के जज्बे ने उन्हें अस्पताल तक जाने की हिम्मत दी है, अपने पिता को इस तरह भागदौड़ करते देखा तो खुद में महसूस किया कि इतने दिनों से घर के अंदर बैठे-बैठे वह क्या कर रही है. उसने स्वस्थ शरीर की उम्मीद में साइकिलिंग शुरू की और कुछ समय बाद इसी में उसका मन लग गया, उसकी मेहनत भी तब रंग लाई जब OMG बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स में उसका नाम दर्ज हुआ.

साइकिलिंग में सिंधिया ने दिखाई थी हरी झंडी (1)

जज्बा देख पिता ने दिया सहारा, तो नाप दिया भारत सारा

अपनी बेटी की पहली उपलब्ध देखने के बाद पिता को भरोसा हो गया कि उनकी बेटी अपने जीवन में कुछ अच्छा कर सकती है, इसलिए उन्होंने सरकारी नौकरी की तैयारी पर जोर न देते हुए उसकी रुचि में आगे बढ़ने में मदद करने के लिए आर्थिक रूप से सपोर्ट करना शुरू किया है. मुस्कान भी नारी सशक्तिकरण का संदेश देश दुनिया को देना चाहती है. इसलिए उसने नारी सशक्तिकरण की जागरुकता के लिए दूसरी बार में साइकिल से 3200 किलोमीटर की नर्मदा यात्रा की, इसके बाद कश्मीर से कन्याकुमारी तक का सफर 25 दिनों में अपनी साइकिल से तय किया. उसके इस मिशन का हर किसी ने सहयोग किया खुद तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी उनकी मुहिम की तारीफ की थी.

शिवराज सिंह चौहान ने भी की थी तारीफ (ETV Bharat)

दुनिया को नारी सशक्तिकरण का संदेश देने बनी पर्वतारोही

साइकलिंग के साथ आगे बढ़ती मुस्कान अपने कदम रोकना नहीं चाहती थी. उन्होंने भारत के साथ-साथ दुनिया को संदेश देने के लिए पर्वतारोहण की ओर रुख किया, वे जानती थीं कि यह मुश्किल टास्क है, लेकिन दुनिया को यह दिखाना था कि एक महिला क्या कुछ कर सकती है. 23 साल की मुस्कान ने लक्ष्य तय किया कि, वह दुनिया के सातों महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों को फतह करेगी. इसकी शुरुआत ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप से की. जहां के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट कोस्कुईस्ज्को के हाईस्ट पीक पर जाने का फैसला किया.

मुस्कान के परिवार की तस्वीर (ETV Bharat)

स्वतंत्रता दिवस पर फ़तह किया पहला महाद्वीप

एक किसान की आय इतनी नहीं कि वे अपनी बेटी को उस शिखर तक आर्थिक रूप से पहुंचा सके. ऐसे में खुद मुस्कान रघुवंशी ने अपने क्षेत्र के सांसद और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से 12 जुलाई को मदद की गुहार लगायी. मुस्कान का मकसद पता चलते ही सिंधिया ने भी अगले ही दिन मुस्कान के लिए अपने पुराने विभागों से फंड की व्यवस्था कराई. जिसका नतीजा रहा कि आर्थिक समस्या दूर हुई तो मुस्कान ने ट्रेनिंग के बाद ऑस्ट्रेलिया पहुंचकर माउंट कोस्कुईस्ज्को के हाईस्ट पीक पर 15 अगस्त यानी भारत के स्वतंत्रता दिवस पर ही तिरंगा लहराया और अपनी पहली फतह का जश्न मनाया.

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सिंधिया का मुरीद मुस्कान परिवार

इस उपलब्धि के बाद माता-पिता दोनों ही की खुशी का ठिकाना नहीं है. पिता कहते हैं कि उनकी बेटी अब आगे जो करना चाहती है. वे हमेशा उसका साथ देते रहेंगे. पूरा परिवार आज अपनी बेटी को इस मुकाम पर देखकर न सिर्फ शासन प्रशासन बल्कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का भी आभार व्यक्त कर रहा है. खुद मुस्कान ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का आभार प्रकट करने के लिए माउंट कोस्कुईस्ज्को पर उनकी तस्वीर लहरायी थी और उन्हें धन्यवाद कहा था. माता पिता का कहना है कि 'अब जब मुस्कान रघुवंशी घर वापस आएगी तो उसे आगे जीवन में क्या करना है और किस तरह अगले लक्ष्य की ओर बढ़ना है ये उस से बात करने के बाद जल्द तय किया जाएगा.'

Last Updated : Aug 16, 2024, 8:53 PM IST

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