पटना: बिहार के शिक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल उठाते रहे हैं. बिहार सरकार शिक्षा पर 52639.03 करोड़ का बजट रखे हुए हैं. भारी भरकम खर्च के बाद भी शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार दूर की कौड़ी है. मिडिल स्कूल के बाद ड्रॉपआउट आज भी सरकार के लिए चिंता का सबब हैं. असर की ताजा रिपोर्ट ने सरकार की चिंता और बढ़ा दी है.
बजट का 19% हिस्सा शिक्षा पर होता है खर्च : बिहार सरकार सबसे अधिक खर्च शिक्षा पर करती है. बजट का 19% हिस्सा शिक्षा पर खर्च होता है. वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए ₹52639 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. भारी भरकम खर्च के बाद भी बिहार की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के संकेत नहीं है. शिक्षा में गुणात्मक सुधार अब भी बिहार सरकार के सामने चुनौती है.
असर की रिपोर्ट पर विद्वानों ने जताई चिंता (ETV Bharat) 'बिहार में शिक्षा के असर का एक्स-रे' : हाल ही में जारी 'ASER' यानी 'अस्थायी वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट' से बिहार में शिक्षा के गुणात्मक सुधार को नापा जा सकता है. रिपोर्ट में बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के क्षेत्र में कई अहम बदलावों और प्रवृत्तियों को उजागर किया है. इस रिपोर्ट में स्कूलों में नामांकन, शैक्षणिक परिणाम, बच्चों में डिजिटल साक्षरता और स्कूल की सुविधाओं को लेकर कई महत्वपूर्ण आंकड़े सामने आए हैं.
आंगनवाड़ी और सरकारी स्कूलों में नामांकन की स्थिति: रिपोर्ट के अनुसार, 5 साल के बच्चों के लिए आंगनवाड़ी के नामांकन में 2.5% की वृद्धि हुई. 2022 में यह संख्या 45.8% थी, जबकि 2024 में बढ़कर 48.3% हो गई. हालांकि, सरकारी और निजी दोनों स्कूलों में 5 साल और उससे नीचे के बच्चों का नामांकन घटा है.
आंगनबाड़ी पर असर की रिपोर्ट (2022-2024) (ASER REPORT) सरकारी स्कूलों में नामांकन की स्थिति : सरकारी स्कूलों में नामांकन प्रतिशत (6 से 14 आयु वर्ग) 2022 में 82.2% से घटकर 2024 में 80.1% और निजी स्कूलों में यह 6.3% से घटकर 4.2% हो गया है. इसके बावजूद, जिन बच्चों का कहीं भी नामांकन नहीं था, उनकी संख्या 2018 में 10.8% से घटकर 2024 में 8.6% हो गई.
बिहार के परिप्रेक्ष्य में असर की रिपोर्ट (ASER REPORT) डिजिटल जागरुकता और बच्चे: असर की रिपोर्ट में बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता पर भी प्रकाश डाला गया है. स्मार्टफोन की पैठ में 2024 में 82.5% घरों तक पहुंच गई, जो 2018 में काफी कम थी. इसमें 85.2 फीसदी लड़के हैं और 80% लड़कियां हैं. जिसका कुल औसत 82.5% ठहरता है. बता दें कि इस सर्वे में 14-16 आयु वर्ग के बच्चों से डिजिटल कौशल और स्मार्टफोन उपयोग के बारे में सवाल किए गए थे.
बिहार के परिप्रेक्ष्य में असर की स्मार्टफोन पर रिपोर्ट (ASER REPORT) कितने स्मार्ट हैं बच्चे? : 63.5 फीसदी ऐसे छात्र या छात्राएं हैं जो डिजिटल कार्य के लिए स्मार्टफोन ला सकते हैं. 76.6% बच्चे ही स्मार्टफोन का प्रयोग कर सकते हैं. सबसे खास बात ये है कि इनमें से 59.7% बच्चे मोबाइल का पासवर्ड बदलना भी जानते हैं. यह दर्शाता है कि डिजिटल साक्षरता के मामले में बिहार में सुधार हो रहा है.
बिहार के बच्चों में डिजिटिल जागरूकता (ETV BHARAT) शैक्षिक परिणामों में सुधार : ASER रिपोर्ट में सरकारी स्कूलों के शिक्षण परिणामों में सुधार की दिशा को भी दर्शाया गया है. 2018 में कक्षा 3 के बच्चों में से केवल 12.3% बच्चे कक्षा 2 स्तर का पाठ पढ़ सकते थे, जो 2024 में बढ़कर 20.1% हो गया. इसी तरह, कक्षा 3 के 28.2% बच्चे 2024 में घटाना कर सकते थे, जबकि यह 2018 में 18% था. कक्षा 5 और कक्षा 8 के छात्रों के परिणामों में भी समान सुधार देखा गया.
असर बिहार ग्रामीण की सर्वे रिपोर्ट (ASER REPORT) बिहार के 32% स्कूलों में लाइब्रेरी की सुविधा नहीं : इंफ्रास्ट्रक्चर की अगर बात कर लें तो राज्य के 32.1% स्कूलों में लाइब्रेरी की सुविधा नहीं है. 2018 के मुकाबले देखें तो लाइब्रेरी की संख्या बढ़ी है. क्योंकि 2018 में 40.9 फीसदी स्कूलों में पुस्तकालय नहीं थे. 24.4% लाइब्रेरी ही ऐसे हैं जहां पुस्तकालय हैं लेकिन किताबों का कोई उपयोग नहीं है. मात्र 43.5फीसदी स्कूलों में ही पुस्तकालय की किताबों का उपयोग किया जा रहा है.
असर बिहार ग्रामीण की सर्वे रिपोर्ट (ASER REPORT) जरूरी सुविधाओं का अब भी टोटा: मध्याह्न भोजन बिहार सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है. कुल मिलकर 81.1% विद्यालय में रसोई की सुविधा है. 92.9 प्रतिशत स्कूलों में सर्वेक्षण के दिन मध्याह्न भोजन परोसा गया. 7.9 प्रतिशत स्कूल ऐसे हैं जहां सुविधा है परंतु पेयजल उपलब्ध नहीं है. 96.6% स्कूलों में बिजली का कनेक्शन है.
मिड डे मील का स्तर (ETV BHARAT) जिलावार स्कूल नहीं जाने वाले छात्रों की स्थिति : जिलावर स्थिति अगर देखे तो 6 साल से 14 साल के उम्र के 9% बच्चे अररिया जिले में स्कूल नहीं जा रहे हैं. मधेपुरा जिले में 6.01% बच्चे स्कूल में नामांकित नहीं है .भागलपुर जिले में 5% बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं तो कटिहार में भी 5% बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं. आज की तारीख में भी राज्य के अंदर 3% बच्चे स्कूल से बाहर हैं.
आंगनबाड़ी केंद्र (ETV BHARAT) क्या कहते हैं शिक्षाविद : रिपोर्ट पर ए एन सिन्हा इंस्टीच्यूट के प्रोफेसर डॉक्टर विद्यार्थी विकास का कहना है कि ''नीति आयोग की रिपोर्ट में भी बिहार की शिक्षा पर चिंता व्यक्त की गई थी. क्वालिटी एजुकेशन बिहार सरकार के लिए चिंता का विषय है. आज भी बड़ी संख्या में बच्चे स्कूल से बाहर हैं. और डिजिटल दौर में बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा नहीं दी जा रही है. शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए बिहार सरकार को रोड मैप बनाने की जरूरत है.''
ए एन सिन्हा इंस्टीच्यूट के प्रोफेसर औरसमाजशास्त्री बीएन प्रसाद का मानना है कि ''बड़े पैमाने पर शिक्षक अधिकारी और जनप्रतिनिधियों के साथ गांठ से मध्यान भोजन में घोटाला हो रहा था, लेकिन सरकार ने जब से आधार कार्ड से जोड़ने की प्रक्रिया शुरू की है, तब से स्थिति में काफी सुधार हुए हैं. ड्रॉप आउट सरकार के लिए चिंता का विषय है. ड्रॉप आउट कैसे कम हो इसके लिए काम करने की जरूरत है.''
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