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हाईकोर्ट से राहत: अब मुकदमा दर्ज़ होने पर भी जा सकेंगे विदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि मुकदमा दर्ज होने पर भी आरोपी विदेश जा सकेगा. हाईकोर्ट ने इस संबंध में अदालतों को विदेश जाने की अनुमति की अर्जी निस्तारण का अधिकार दे दिया है.

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 31, 2024, 8:59 AM IST

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प्रयागराज: जिन लोगों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज है उनको भी विदेश जाने में अब ज्यादा परेशानी नहीं होगी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आपराधिक केस के कारण पासपोर्ट बनाने या नवीनीकरण में देरी को गंभीरता से लेते हुए समयबद्ध कार्य प्रणाली तय की है. कोर्ट ने निर्देश दिया कि जिन आवेदकों के खिलाफ एनसीआर दर्ज है, बिना देरी किए उनका अविलंब पासपोर्ट जारी या नवीनीकरण किया जाए, ऐसे आवेदकों को संबंधित अदालत से विदेश जाने की अनुमति नहीं लेनी होगी. साथ ही जिन आवेदकों के खिलाफ दर्ज एफआईआर की विवेचना या ट्रायल जारी है, क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय से पुलिस रिपोर्ट की सूचना मिलते ही उन्हें संबंधित अदालत से अनुमति लेनी होगी और अनुमति मिलने के एक सप्ताह के भीतर उनका पासपोर्ट जारी या नवीनीकृत कर दिया जाए. इस समस्या के कारण हाई कोर्ट में बड़ी संख्या में याचिकाएं दायर होती हैं.

कोर्ट ने कहा कि जिन आवेदकों के आवेदन लंबित हैं. उन्हें दो माह का समय दिया जा रहा है. वे दो सप्ताह में संबंधित अदालत से अनुमति लेकर क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय में प्रस्तुत करें ताकि यथाशीघ्र उन्हें पासपोर्ट जारी या नवीनीकृत कर दिया जाए. हाईकोर्ट ने सभी न्यायिक अधिकारियों को विदेश जाने की अनुमति के प्रार्थना पत्र अधिकतम चार सप्ताह या अतिआवश्यक होने पर यथाशीघ्र तय करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति एसडी सिंह एवं न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ल की खंडपीठ ने पवन कुमार राजभर व अन्य कई की दर्जनों याचिकाओं पर दिया है.

कोर्ट ने पासपोर्ट जारी करने या नवीनीकरण अर्जी तय करने में देरी को लेकर दाखिल याचिकाओं पर स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी. इसके उपलब्ध नहीं कराए जाने पर कोर्ट ने कहा पासपोर्ट प्राधिकारी न्यायिक विवेक का इस्तेमाल करें तो समयबद्ध तरीके से आवेदन निस्तारित किए जा सकते हैं. ऐसा न करने के कारण हाईकोर्ट में बड़ी संख्या में याचिकाएं की का रही है. कोर्ट ने कहा कि ई-गवर्नेंस की नीति के तहत यदि कार्यप्रणाली में पारदर्शिता, कार्य कुशलता व बेहतर प्रशासन के फ्रेम वर्क से ऐसे आवेदन समय से तय किए जा सकते हैं.

कोर्ट ने कहा कि जिस अदालत के अधिकार क्षेत्र में विवेचना या ट्रायल चल रहा है, उसी अदालत को अभियुक्त की विदेश जाने की अनुमति की अर्जी तय करने का अधिकार है. अदालत को शर्तें तय करने का भी अधिकार है. एएसजीआई शशि प्रकाश सिंह ने आश्वस्त किया कि क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी एनसीआर दर्ज होने पर पासपोर्ट जारी करने या नवीनीकरण के आवेदन को नहीं रोकेंगे और यथाशीघ्र आदेश जारी कर दिया जाएगा.

कोर्ट ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों के निर्णय लेने में देरी के कारण कोर्ट में याचिकाएं आ रही हैं. न्यायिक अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपने से किसी को हानि नहीं है. इसके अलावा जहां ट्रायल शुरू होने से पहले आपराधिक केस की विवेचना या जांच जारी है. अदालत को अनुमति देने या न देने का विवेकाधिकार है. अदालत देखेगी कि अभियुक्त विवेचना में सहयोग कर रहा है या नहीं.

पुलिस की सत्यापन रिपोर्ट पर कोर्ट ने कहा कि पुलिस रिपोर्ट ऑन लाइन भेजने का भी विकल्प दिया जाए. एनसीआर या एफआईआर का विकल्प तय हो. तय फार्मेट पर पुलिस एनसीआर या एफआईआर का संक्षिप्त ब्योरा भी दें. पुलिस रिपोर्ट मिलते हैं क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी सूचना वेब पोर्टल पर अपलोड करें. साथ ही आवेदक के मोबाइल पर मैसेज भेजने की सुविधा दी जाए. यह भी बताया जाए कि आवेदक अदालत से विदेश जाने की अनुमति प्राप्त कर सूचित करें.

कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस मद में मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने का निर्देश दिया है. कहा कि ई-गवर्नेंस की मांग है कि मोबाइल पर सूचना दी जाए और आवेदन बिना देरी के समयबद्ध तरीके से निस्तारित किए जाएं.

कोर्ट ने क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय को पुलिस रिपोर्ट की सूचना प्राप्त होने के एक सप्ताह में आवेदक को सूचित करने का निर्देश दिया ताकि अगले आठ सप्ताह में वह अदालत से अनुमति प्राप्त कर सके. अदालत की अनुमति की सूचना मिलने के एक सप्ताह में पासपोर्ट जारी या नवीनीकृत किया जाए.

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