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شری کرشن ہر دور کے لیے تھے

کرشن کو ایک ہی خانے میں محدود کرنا مناسب نہیں ہے۔ ورنداون کے مشہور بھاگوت چاری آچاریہ بدری ناتھ کا کہنا ہے کہ ایک شخص جس طرح سے خدا کی پناہ میں جاتا ہے خدا اس پر اسی طرح  برکت کا نزول فرماتا ہے

شری کرشن ہر دور کے لیے تھے
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Published : Aug 23, 2019, 3:39 PM IST

Updated : Sep 28, 2019, 12:13 AM IST

متھورا: شری کرشن، جنہوں نے بچپن میں ہمارے دلوں کو بھر دیا، انہوں نے محبت، دوستی اور والہانہ عقیدت کا درس دیا۔

شری کرشن ہر دور کے لیے تھے

شری کرشن جنہیں ان کے عقیدت مند کانہا کے نام سے بھی پکارتے ہیں الگ الگ اور مختلف شکلوں میں نمودار ہوئے۔ آچاریہ بدری ناتھ نے بتایا کہ بھگوان کرشن کو ایک ہی خانے میں رکھنا مشکل ہے۔ وہ کہتے ہیں کہ درجنوں فنون میں ماہر کرشن کی ہر شکل ایک دوسرے سے بالکل جدا ہے۔

سب سے پہلے، کانہا کی سب سے زیادہ موہک بالوں والی شکل۔ آچاریہ بدری ناتھ نے بتایا کہ کانہا بچپن سے ہی منموہک تھے ۔

بدری ناتھ نے بتایا کہ کرشن کا مطلب خوش رہنا، محبت، پیار اور سب سے والہانہ لگاو ہے۔

کرشن اپنی دوستی کے لئے کچھ بھی کرنے کو تیار رہتے ہیں۔ سداما اور ارجن اس کی مثال ہیں۔ کرشن کے بچپن کے بارے میں بات کرتے ہوئے انہوں نے بتایا کہ 'کانہا گوالوں کے ساتھ کھیل رہے تھے اور جب گیند یمنا میں چلی گئی تو وہ اسے کس طرح لائے تاریخ میں درج ہے۔ ارجن کو گیتا کی تعلیم دی ۔ بھگوان کرشن نے مہابھارت کی جنگ میں ارجن کے رتھ کو فتح دلائی تھی۔ یہ شری کرشن کا ایک معجزہ ہی تھا۔


آچاریہ بدری ناتھ نے کہا کہ کرشن کا نام رادھا کے بغیر نامکمل ہے۔ جس طرح سیتا کے ساتھ رام کی جوڑی ، شیو کے ساتھ پاروتی اور وشنو کے ساتھ لکشمی کا جوڑا جاتا ہے اسی طرح کرشن کے بغیر رادھا کا نام نہیں لیا جاتا۔ ان کا کہنا ہے کہ رکمنی سری کرشن کی ملکہ تھیں لیکن ان کا نام رادھا کے ساتھ لیا جاتا ہے۔ شاید یہی وجہ ہے کہ آج بھی جب محبت کی بات آتی ہے تو ، رادھا کرشن کی جوڑی سب سے پہلے جوڑی جاتی ہے۔

شری کرشنا نے گیتا میں جو درس دیا تھا وہ ہمیں زندگی کے ہر راستے کی تعلیم دیتا ہے۔ خوشی اور غم کا سلیقہ سکھاتا ہے۔ کرم پر بھروسہ کرنا ، دوسروں کو بھلائی کرنا سکھاتا ہے۔ انہوں نے گیتا میں نہ صرف تبلیغ بلکہ فلسفہ حیات پیش کیا ہے۔

متھورا: شری کرشن، جنہوں نے بچپن میں ہمارے دلوں کو بھر دیا، انہوں نے محبت، دوستی اور والہانہ عقیدت کا درس دیا۔

شری کرشن ہر دور کے لیے تھے

شری کرشن جنہیں ان کے عقیدت مند کانہا کے نام سے بھی پکارتے ہیں الگ الگ اور مختلف شکلوں میں نمودار ہوئے۔ آچاریہ بدری ناتھ نے بتایا کہ بھگوان کرشن کو ایک ہی خانے میں رکھنا مشکل ہے۔ وہ کہتے ہیں کہ درجنوں فنون میں ماہر کرشن کی ہر شکل ایک دوسرے سے بالکل جدا ہے۔

سب سے پہلے، کانہا کی سب سے زیادہ موہک بالوں والی شکل۔ آچاریہ بدری ناتھ نے بتایا کہ کانہا بچپن سے ہی منموہک تھے ۔

بدری ناتھ نے بتایا کہ کرشن کا مطلب خوش رہنا، محبت، پیار اور سب سے والہانہ لگاو ہے۔

کرشن اپنی دوستی کے لئے کچھ بھی کرنے کو تیار رہتے ہیں۔ سداما اور ارجن اس کی مثال ہیں۔ کرشن کے بچپن کے بارے میں بات کرتے ہوئے انہوں نے بتایا کہ 'کانہا گوالوں کے ساتھ کھیل رہے تھے اور جب گیند یمنا میں چلی گئی تو وہ اسے کس طرح لائے تاریخ میں درج ہے۔ ارجن کو گیتا کی تعلیم دی ۔ بھگوان کرشن نے مہابھارت کی جنگ میں ارجن کے رتھ کو فتح دلائی تھی۔ یہ شری کرشن کا ایک معجزہ ہی تھا۔


آچاریہ بدری ناتھ نے کہا کہ کرشن کا نام رادھا کے بغیر نامکمل ہے۔ جس طرح سیتا کے ساتھ رام کی جوڑی ، شیو کے ساتھ پاروتی اور وشنو کے ساتھ لکشمی کا جوڑا جاتا ہے اسی طرح کرشن کے بغیر رادھا کا نام نہیں لیا جاتا۔ ان کا کہنا ہے کہ رکمنی سری کرشن کی ملکہ تھیں لیکن ان کا نام رادھا کے ساتھ لیا جاتا ہے۔ شاید یہی وجہ ہے کہ آج بھی جب محبت کی بات آتی ہے تو ، رادھا کرشن کی جوڑی سب سے پہلے جوڑی جاتی ہے۔

شری کرشنا نے گیتا میں جو درس دیا تھا وہ ہمیں زندگی کے ہر راستے کی تعلیم دیتا ہے۔ خوشی اور غم کا سلیقہ سکھاتا ہے۔ کرم پر بھروسہ کرنا ، دوسروں کو بھلائی کرنا سکھاتا ہے۔ انہوں نے گیتا میں نہ صرف تبلیغ بلکہ فلسفہ حیات پیش کیا ہے۔

Intro:मथुरा।भगवान श्री कृष्ण को कैसे और किस रूप में जाने

वृंदावन के प्रसिद्ध भागवताचार्य आचार्य बद्रीश नाथ ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण का जो स्वरूप है कई रूपों में देखा जाता है। भगवान को भिन्न-भिन्न रूपों में महसूस कर सकते हैं ।चाहे वह कोई भी अवतार लेकर आए, जैसा व्यक्ति उनके संपर्क में आता है उनकी शरण में आता है भगवान मानते हैं यही मेरा असली भक्त हैं । व्यक्ति भगवान की शरण में जाता है भगवान उसी प्रकार कृपा करते हैं। भगवान के पास दुर्योधन भी आता था, भगवान के पास कण भी आता था ,भगवान के पास अर्जुन भी आते थे, भगवान के पास युधिष्ठिर भी आते थे, भगवान के पास द्रोपती भी आती थी ,भगवान के पास ब्रजवासी भी आते थे। भगवान श्री कृष्ण ने अलग-अलग रूपों में सब को दर्शन दिए चाहे वह माता-पिता हो या अन्य लोग।


Body:बालकृष्ण में क्या रस था
प्रसिद्ध भागवताचार्य आचार्य बद्रीनाथ ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण को एक रूप में बांधना मुश्किल है। भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों के संग रास किया भगवान को 9 वर्ष की अवस्था से ज्यादा बताना उचित नहीं होगा कल्पना नहीं करनी चाहिए। भगवान श्री कृष्ण ने सभी रस एकत्रित होकर रस कहलाए भगवान का अवतार हुआ। बाद में भगवान श्रीकृष्ण ने अलग-अलग रूपों में रस बरसाना शुरू किया बाल काल में माता-पिता को बाल रस में दर्शन दिए उसी प्रकार जीवन काल में अलग-अलग देशों में भगवान ने दर्शन दिए गाय और ग्वाल वालों से अधिक प्रेम करते थे तो उनको प्रेम रस प्रदान किया।

युवा कृष्ण भगवान बाल और शाखा के रूप में कृष्ण कैसे थे

प्रसिद्ध आचार्य बद्रीश नाथ ने बताया कि कृष्ण का अर्थ मन मोह, मदनमोहन ,मन को मोह लेना कामधेनु की तरह से प्रसन्न रहना। सारे संसार को त्रिलोक को मोहित करना। गोपि ब्रज वासियों के साथ बालक के रूप में कृष्ण भगवान रासलीला करते नजर आते। कृष्ण भगवान अगर ग्वाल वालों के संग कोई खेल खेलते तो शर्त हुआ करती थी जो हारेगा जो दल जीतेगा उसे घोड़े की पीठ पर बैठकर सवारी करनी पड़ेगी ग्वाल बालों के साथ मिलकर भगवान खेल खेलते थे ग्वाल वालों के साथ मिलकर जब गेंद खेलते थे कृष्ण ने गेंद जोर से मारी तो यमुना नदी में चली गई। ग्वाल कहते थे आपने गेंद इतनी तेज क्यों मारी, कृष्ण कहते थे जो क्षमता से आप ने गेंद मारी वैसे ही मैंने मारी है ग्वाल वाले कहते थे अब गेंद लेकर आओ तब कृष्ण भगवान बाल रूप में यमुना में गेंद ढूंढने के लिए गए तो शेषनाग ने जो यमुना नदी को विषैला कर दिया था कृष्ण भगवान ने शेषनाग का फन कुचलकर वापस यमुना को शुद्ध किया शेषनाग के फन पर बैठकर अपना असली रूप दिखाया।


Conclusion:प्रेमी कृष्ण राधा के साथ दास में उनकी लीला
आचार्य बद्रीश नाथ ने बताया जहां भी भगवान का नाम के साथ जोड़ी आती है सीता के साथ राम की जोड़ी, शिव के साथ पार्वती की जोड़ी, पंतु भगवान श्री कृष्ण की बात आती है तो जोड़ी में दर्शन रुक्मणी के नहीं होते राधा के होते हैं, इसी प्रकार स्मरण में नाम होना चाहिए रुक्मणी का, लेकिन कृष्ण के साथ राधा का नाम आता है। क्या कारण है प्रेम हरि का नाम और प्रेम स्नेह राधा कृष्ण का जो प्रेम था प्रेम के प्रति केवल राधा कृष्ण का नाम आता है या अटूट प्रेम और दूर-दूर तक भावना और वासना नहीं थी। क्योंकि प्रेम भगवान के रूप में है जहां प्रेम पर वासना आ जाती है वहां प्रेम नहीं होता, प्रेम एक अशब्द बन जाता है ।भगवान श्री कृष्ण राधा के नजदीक देखा गया। यही परिणाम है राधा ने अपने प्रियतम किसने से अटूट प्रेम किया।

समाज सुधारक कृष्ण के बारे में

आचार्य बद्रीनाथ ने बताया की भगवान श्री कृष्ण का जन्म कठिन परिस्थितियों में हुआ उस समय मथुरा नरेश कंस का साम्राज्य और कुशासन था। समाज की विचारधाराओं को दबा कर रख रखा था।कृष्ण के माता-पिता को कैद कर दिया, कृष्ण पैदा होने के बाद वंश ग्वाल वालों के पास भेज दिया ग्राम वासियों के साथ उनकी परवरिश हुई। समाज सुधारक के तौर पर कृष्ण को देखा जा सकता है एक ऐसा समाज को शिक्षित किया जहां समान विचारधारा हो। कंस की विशाल सेना सशक्त सेना थी उन सब को रोकने के लिए ,ब्रज वासियों को प्रशिक्षण किया वह बिना हथियार के दूसरे किसी प्रबल शत्रु से कैसे मुकाबला करें उन्हें ग्वाल वालों को प्रशिक्षित किया ब्रज वासियों को प्रशिक्षित किया गोपियों को प्रशिक्षित किया हम अपनी क्षमता से दुश्मन को कैसे हरा सकते हैं यह कृष्ण करके दिखाया।


वाइट आचार्य बद्रीनाथ प्रसिद्ध भागवताचार्य



mathura reporter
praveen sharma
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Last Updated : Sep 28, 2019, 12:13 AM IST
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