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నోబెల్​ శాంతి పురస్కారానికి 'గ్రెటా థన్​బర్గ్​' పేరు - 2020 నోబెల్ శాంతి​

పర్యావరణ పరిరక్షణకై అవిశ్రాంత పోరాటం చేస్తున్న స్వీడన్​ దేశస్థురాలు గ్రెటా థన్​బర్గ్​ను '2020 నోబెల్ శాంతి​' పురస్కారానికి నామినేట్​ చేశారు ఇద్దరు స్వీడన్​ ఎంపీలు. ఈ మేరకు నార్వే నోబెల్​ కమిటీకి లేఖ రాశారు.

Greta Thunberg nominated for Nobel Peace Prize by Swedish MPs
నోబెల్​ శాంతి పురస్కారానికి థన్​బర్గ్​ పేరు ప్రతిపాదన
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Published : Jan 31, 2020, 10:14 AM IST

Updated : Feb 28, 2020, 3:22 PM IST

యువ పర్యావరణవేత్త గ్రెటా థన్‌బర్గ్‌కు '2020 నోబెల్​ శాంతి పురస్కారం' అందించాలని స్వీడన్ చట్టసభ సభ్యులు కోరారు. ఈ మేరకు ఆమె పేరును ప్రతిపాదిస్తూ.. నార్వే నోబెల్​ కమిటీకి ఇద్దరు స్వీడన్ ఎంపీలు లేఖ రాశారు. పర్యావరణంపై ప్రపంచ నేతల కళ్లు తెరిపించేందుకు థన్​బర్గ్ వయసుకు మించి విశేషకృషి చేసిందని లేఖలో పేర్కొన్నారు. అందుకే నోబెల్​ శాంతి పురస్కారానికి ఆమె అన్నివిధాల అర్హురాలని తెలిపారు.

పర్యావరణ పరిరక్షణకై థన్​బర్గ్ చేసిన కృషికి 2019లోనే ఈమెకు నోబెల్ శాంతి బహుమతి వస్తుందని భావించారు. కానీ, సరిహద్దు దేశం ఎరిట్రియాతో దశాబ్దాలుగా ఉన్న వివాదాలను శాంతియుతంగా పరిష్కారం చూపినుందుకు ఇథియోపియా ప్రధాని అబీ అహ్మద్​ను వరించింది.

యువ పర్యావరణవేత్త గ్రెటా థన్‌బర్గ్‌కు '2020 నోబెల్​ శాంతి పురస్కారం' అందించాలని స్వీడన్ చట్టసభ సభ్యులు కోరారు. ఈ మేరకు ఆమె పేరును ప్రతిపాదిస్తూ.. నార్వే నోబెల్​ కమిటీకి ఇద్దరు స్వీడన్ ఎంపీలు లేఖ రాశారు. పర్యావరణంపై ప్రపంచ నేతల కళ్లు తెరిపించేందుకు థన్​బర్గ్ వయసుకు మించి విశేషకృషి చేసిందని లేఖలో పేర్కొన్నారు. అందుకే నోబెల్​ శాంతి పురస్కారానికి ఆమె అన్నివిధాల అర్హురాలని తెలిపారు.

పర్యావరణ పరిరక్షణకై థన్​బర్గ్ చేసిన కృషికి 2019లోనే ఈమెకు నోబెల్ శాంతి బహుమతి వస్తుందని భావించారు. కానీ, సరిహద్దు దేశం ఎరిట్రియాతో దశాబ్దాలుగా ఉన్న వివాదాలను శాంతియుతంగా పరిష్కారం చూపినుందుకు ఇథియోపియా ప్రధాని అబీ అహ్మద్​ను వరించింది.

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Intro:exclusive and special story

अजमेर। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान मध्य भारत में अजमेर क्रांतिकारियों की शरण स्थली रहा है। ब्यावर और उसके आसपास के क्षेत्रों में गरम दल से जुड़े क्रांतिकारियों ने समय-समय पर शरण ली। वही नरम दल के क्रांतिकारियों ने भी अजमेर में कई बार पनाह ली। उस दौर में महात्मा गांधी भी तीन बार ब्यावर और अजमेर आए।

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राजस्थान में एक मात्र स्थान अजमेर ही था जहां रिसासत नही थी। बल्कि अंग्रेजी हुकूमत थी। यही वजह थी कि क्रांतिकारियों के लिए अजमेर में शरण लेना और अपनी योजनाओं को बनाजर यही से क्रियान्वयन करना आसान था। इस दौरान स्थानीय लोगों से भी क्रांतिकारियों को आसानी से मदद मिल जाती थी। उस दौर में महात्मा गांधी तीन बार ब्यावर और अजमेर आए थे। इनमें एक बार महात्मा गांधी की यात्रा गोपनीय थी। जबकि दो बार उनका दौरा छुआछूत की भावना को मिटाने के उद्देश्य से रहा। अजमेर में महात्मा गांधी ने हरिजन सहित सभी दलित बस्तियों को देखा। जहां पेयजल की समस्या को देखते हुए तत्कालीन मुंसिपल कमेटी से कहकर छोटी जाति कहीं जाने वाली दलित वर्ग के लोगों के लिए तालाब खुलवाया। इस दौरान महात्मा गांधी ने अजमेर के जादूगर मोहल्ले में एक पाठशाला भी खुलवाई। शुरुआत में एक झोपड़ी में यह पाठशाला खोली गई जिसमें छह हरिजन बच्चों को शिक्षा से जोड़ा गया। यह पाठशाला महात्मा गांधी की प्रेरणा से स्वतंत्रता सेनानी पन्नालाल माहेश्वरी ने खोली थी। जिसमें उस क्षेत्र के दलित वर्ग के बच्चों को शिक्षा दी जाती थी। यह पहली प्राइवेट पाठशाला थी जिसकी शुरुआत झोपड़ी से हुई थी। हालांकि बाद में पन्नालाल माहेश्वरी ने धीरे-धीरे वहां स्कूल के लिए पक्के कमरे बनवाए और हैप्पी स्कूल के नाम से वर्षों तक यह स्कूल संचालित रहा। 5 वर्ष पहले तक स्कूल की इमारत मौजूद थी लेकिन जर्जर होने की वजह से उसे ढहा दिया गया है। आज भी उस स्थान को हैप्पी स्कूल के नाम से जाना जाता है। स्वतंत्रता सेनानी पन्नालाल माहेश्वरी के पुत्र शशि महेश्वरी ने ईटीवी भारत को बताया कि बाबू जी ( पन्ना लाल माहेश्वरी ) ने उन्हें पाठशाला खोलने एवं महात्मा गांधी के स्वयं यहां आने के बारे में बताया था ....
बाइट- शशि माहेश्वरी - पुत्र स्वतंत्रा सेनानी पन्नालाल माहेश्वरी


छुआछूत को मिटाकर गांधीजी सभी जातियों को एक करना चाहते थे ताकि स्वतंत्रता की लड़ाई में सभी एकजुट हो सके। वही गांधीजी का प्रयास था कि गरम दल से जुड़े क्रांतिकारी भी अहिंसा का मार्ग अपना ले यही वजह थी कि गरम दल के नेताओ से समन्वय स्थापित करने के लिए महात्मा गांधी ब्यावर आए। यहां कृष्णा मिल के मालिक मुकुंद लाल राठी और करुणानन्द से भी मिले। बताया जाता है कि मुकुंद राठी क्रांतिकारियों को आर्थिक मदद किया करते थे। यही वजह थी कि चंद्र शेखर आज़ाद भी ब्यावर और अजमेर आ चुके है ...
बाइट- श्रीगोपाल बाहेती- पूर्व विधायक एवं जिला संयोजक 150 वी महात्मा गांधी जन्म जयंती समिति

महात्मा गांधी ने स्वतंत्र सेनानी रामजी लाल बंधु, मिश्री लाल, अर्जुन लाल सेठी, हरिभाऊ उपाध्याय से मिले। साथ ही अहिंसात्मक तरीके से सभी धर्म जाति वर्ग के लोगों को आज़ादी की लड़ाई में एक साथ शामिल करने की रूप रेखा बनाई। उसके बाद से ही अजमेर में महात्मा गांधी को अनुसरण कर रहे क्रांतिकारी नेताओ ने दलित उत्थान एवं सामाजिक एकता के लिए कार्य शुरू हुए ...
बाइट- श्रीगोपाल बाहेती- पूर्व विधायक एवं जिला संयोजक 150 वी महात्मा गांधी जन्म जयंती समिति

बाहेती ने बताया कि राजस्थान में अजमेर ही एक मात्र साथ है जहां महात्मा गांधी तीन बार अजमेर आए। लेकिन इसके कोई प्रमाण प्रशासन के पास नही है। जबकि उस वक़्त मध्य भारत में स्वतंत्रता आंदोलन की रूपरेखा और नेतृत्व अजमेर से होता रहा है। अजमेर के केसरगंज गोल चक्र से क्रांतिकारी गतिविधियां संचालित होती रही है। बाहेती ने कहा कि यह अफसोस की बात है कि स्वतंत्रता आंदोलन में अजमेर का जो महत्व रहा है उसके बारे में यहां प्रशासन के पास कोई प्रमाण नहीं है। बाहेती ने ईटीवी भारत के माध्यम से मांग की है कि अजमेर केंद्रीय कारागार जेल जहां कभी क्रांतिकारियों को बंदी बनाकर रखा जाता था उसके एक हिस्से में महात्मा गांधी से जुड़ी अजमेर की यादों को लेकर एक संग्रहालय बनाया जाए। साथी 150 ने महात्मा गांधी की जन्म जयंती का समापन अजमेर में हो ....
बाइट- श्रीगोपाल बाहेती- पूर्व विधायक एवं जिला संयोजक 150 वी महात्मा गांधी जन्म जयंती समिति










Body:प्रियांक शर्मा
अजमेर


Conclusion:
Last Updated : Feb 28, 2020, 3:22 PM IST
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