'मरोज पर्व' संजोये हुए है सांस्कृतिक विरासत, जौनसार में जश्न का माहौल
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उत्तराखंड को यूं ही देवभूमि नहीं कहा जाता है, यहां कोने-कोने में देवी-देवताओं का वास है. यहां पर विराजमान आस्था के केंद्र, संस्कृति, लोक पर्व और परंपराएं इस पावन धरा को अलग पहचान दिलाते हैं. इसी कड़ी में जनजातीय क्षेत्र के जौनसार बावर का मरोज पर्व भी शामिल है, जो माघ महीने में धूमधाम से मनाया जाता है. यह त्योहार मेहमान नवाजी, आपसी भाईचारा, मेल मिलाप और मोहब्बत का प्रतीक है. जिसके तहत प्रवासी लोग यानी गांव से बाहर गए लोग अपने गांव आते हैं. जहां पर सभी लोग रात को एक साथ मिलकर मरोज पर्व का जश्न मनाते हैं.