उत्तरकाशी: जिले में उत्पादित लाल चावल के नाम एक और उपलब्धि जुड़ गई है. लाल चावल को भारत सरकार की एक जिला, एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना में चुन लिया गया है. जिससे लाल चावल को देशभर में अलग पहचान मिलेगी. हाल में यहां उत्पादित लाल चावल को भौगोलिक संकेतांक (जीआई टैग) भी मिला है.
जनपद में कृषि विभाग ने भारत सरकार की एक जिला, एक उत्पाद योजना के लिए लाल धान का नामांकन किया था. नामांकन के बाद केंद्र सरकार की टीम ने भी जनपद का दौरा कर लाल के उत्पादन संबंधी आंकड़े जुटाए थे. जिसके बाद हाल ही भारत सरकार ने लाल धान को योजना में चयनित कर उत्तरकाशी जनपद को पुरस्कार के लिए चुना. यहां लाल धान या चरधान का उत्पादन यमुनाघाटी के विकासखंड पुरोला के रामा व कमल सिराईं में होता है. जहां प्रतिवर्ष करीब 19800 क्विंटल लाल धान का उत्पादन किया जाता है. पुरोला के लाल धान की देश-प्रदेश में अच्छी मांग है.
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हाल ही में यहां उत्पादित लाल धान के साथ उत्तराखंड राज्य के 18 उत्पादों को भौगोलिक संकेतांक भी प्रदान किया गया है. जिससे इसे अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिली है. अब भारत सरकार की एक जिला एक उत्पाद योजना में लाल धान के चयन से इसके नाम एक और उपलब्धि जुड़ गई है. जिससे इसके जैविक प्रमाणीकरण के साथ ब्रांडिंग के लिए भी मदद मिलेगी.
इस साल गंगा घाटी में भी शुरू हुआ उत्पादन: जिले में अब तक लाल धान का उत्पादन यमुनाघाटी के पुरोला तक सीमित था, लेकिन इस साल पहली बार कृषि विभाग ने गंगा घाटी के भटवाड़ी, डुंडा व चिन्यालीसौड़ ब्लाक के करीब 40 गांवों में कुल 200 हेक्टेयर क्षेत्र में 60 क्विंटल लाल धान के बीच बांटे. जिनसे अधिकांश गावों में औसतन प्रति हेक्टेयर करीब 20 से 22 कुंतल उत्पादन हुआ है.
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आयरन, प्रोटीन और फाइबर से होता है भरपूर: लाल धान में आयन, प्रोटीन, पौटेशियम, फाइबर के साथ एंटी ऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होता है. यह दिल के साथ हड्डी, मोटापे और अस्थमा आदि बीमारियों से बचाता है. सामान्य धान की तुलना में इसकी बाजार कीमत भी 120 से 150 रुपए प्रति किलो तक होती है.
डीएम व सीईओ ने ग्रहण किया पुरस्कार: जनपद से लाल धान के चयन पर उत्तरकाशी जनपद को पुरस्कार के लिए भी चुना गया. बुधवार को नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में यह पुरस्कार जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला व मुख्य कृषि अधिकारी जेपी तिवारी ने ग्रहण किया.