उत्तरकाशीः सामरिक दृष्टि से अहम चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे के विस्तारीकरण की योजना कागजों में सिमट कर रह गई है. पिछले साल शासन के निर्देश पर लोनिवि चिन्यालीसौड़ ने हवाई अड्डे के विस्तारीकरण के लिए 19.5 करोड़ लागत की डीपीआर (विस्तृत कार्य योजना) तैयार की थी, लेकिन बावजूद इसके अब तक डीपीआर पर कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं हो पाई है.
उत्तरकाशी जिले के चीन सीमा से लगा होने की वजह से चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे को भारतीय सेना और वायुसेना इसे अपने एडवांस लैंडिंग ग्राउंड के रूप में विकसित करना चाहती है. दिसंबर 2017 में सेना ने अपनी जरूरतों को देखते हुए राज्य सरकार से रनवे के 150 मीटर विस्तार समेत अन्य सुरक्षा इंतजाम करने की सिफारिश की थी. जिस पर करीब 5 साल बाद यानी बीते साल प्रशासन ने कुछ अमल करते हुए इसके लिए लोक निर्माण विभाग चिन्यालीसौड़ के माध्यम से डीपीआर तैयार करवाई थी. जिसमें रनवे के विस्तारीकरण के साथ मकानों और निजी भूमि के मुआवजा राशि के लिए भी 8 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था.
ऐसे कैसे उतर पाएंगे लड़ाकू विमानः भारतीय वायु सेना चिन्यालीसौड़ एयरपोर्ट पर अब तक अपने कई विमान उतार चुकी है. इनमें भारी मालवाहक विमान एएन 32, डोर्नियर, हरक्यूलिस, चिनूक हेलीकॉप्टर, एमआई 17 और अपाचे आदि शामिल हैं, लेकिन यहां अभी लड़ाकू विमान नहीं उतर पाए हैं. लड़ाकू विमानों के लिए भी रनवे का विस्तार जरूरी था, लेकिन रनवे का विस्तार न होने से यहां लड़ाकू विमानों के उतरने पर भी संशय बना हुआ है.
सेना के हेलीकॉप्टरों ने किया हवाई सर्वेः बुधवार को भी भारतीय सेना के दो एएलएच हेलीकॉप्टरों ने चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे का हवाई सर्वेक्षण किया. सुबह करीब सवा 9 बजे हल्द्वानी से आए दो एएलएच हेलीकॉप्टर रनवे के ऊपर आए, लेकिन उतरे बिना ही यहां से कुछ देर में हर्षिल की ओर रवाना हुए. हालांकि, इसे सेना का रूटीन अभ्यास बताया जा रहा है.
चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे के विस्तारीकरण के लिए 19.5 करोड़ की डीपीआर तैयार कर राज्य सरकार के नागरिक उड्डयन विभाग को भेजी गई थी, लेकिन इस पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है. - मनोज दास, ईई, लोनिवि चिन्यालीसौड़