टिहरी: पुरानी टिहरी यानी टिहरी झील का जलस्तर कम होने से पुरानी टिहरी का राजमहल दिखने लगा है, जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ने लगी है. राजमहल को देखकर लोगों की यादें फिर से ताजा हो गई हैं. बता दें, पुरानी टिहरी की स्थापना 28 दिसंबर 1815 को राजा सुदर्शन शाह ने की थी.
कभी इस विशालकाय झील के नीचे एक सुंदर पुरानी टिहरी शहर हुआ करता था. आज भी लोगों का पुरानी टिहरी के प्रति लगाव है. जब भी टिहरी झील का जल स्तर कम होता है तो डूबे हुए खंडहरों के अवशेषों को देखने के लिए लोग दूर-दराज से यहां आते हैं. इन अवशेषों को देखकर लोग भाव-विभोर हो जाते हैं.
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लोगों का कहना है कि पुरानी टिहरी स्वर्ग जैसी थी. टिहरी का उल्लेख केदारखंड में मिलता है. टिहरी को कभी त्रिहरी के नाम से जाना जाता था क्योंकि टिहरी के तीन तरफ गंगा बहती थी. यहां पर ही भागीरथी, भिलंगना और घृत गंगा का संगम होता था. शात्रों की मांने यहां पर ब्रह्मा विष्णु महेश नहाने आते थे.
पुरानी टिहरी के बाशिंदों का कहना है कि पर्यटन विभाग और सरकार को राजमहल तक आने-जाने के लिए नाव लगानी चाहिए. जिससे लोग राजमहल को करीब से देख सकें. इससे न सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि सरकार को इस राजमहल को संरक्षण करने के लिए प्लानिंग भी करनी चाहिए.
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बता दें, टिहरी बांध परियोजना की प्राथमिक जांच का काम 1961 में पूर्ण हो गया. इसके बाद इसके रूपरेखा तय करने का काम साल 1972 में किया गया. इसके बाद निर्माण इसका निर्माण कार्य 1978 में शुरू किया, लेकिन किन्हीं कारणों की वजह से इसके काम में देरी हुई. टिहरी डैम का काम साल 2006 में पूरा हो गया.