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झील का जलस्तर घटने से दिखने लगा राजमहल, पुरानी टिहरी देख लोगों के छलके आंसू

टिहरी झील का जलस्तर कम होने से पुरानी टिहरी की ऐतिहासिक इमारतें दिखने लगी हैं, जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ जुटने लगी है.

झील का जलस्तर घटने से दिखने लगा राजमहल
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Published : May 26, 2019, 12:08 PM IST

Updated : May 26, 2019, 3:38 PM IST

टिहरी: पुरानी टिहरी यानी टिहरी झील का जलस्तर कम होने से पुरानी टिहरी का राजमहल दिखने लगा है, जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ने लगी है. राजमहल को देखकर लोगों की यादें फिर से ताजा हो गई हैं. बता दें, पुरानी टिहरी की स्थापना 28 दिसंबर 1815 को राजा सुदर्शन शाह ने की थी.

झील का जलस्तर घटने से दिखने लगा राजमहल

कभी इस विशालकाय झील के नीचे एक सुंदर पुरानी टिहरी शहर हुआ करता था. आज भी लोगों का पुरानी टिहरी के प्रति लगाव है. जब भी टिहरी झील का जल स्तर कम होता है तो डूबे हुए खंडहरों के अवशेषों को देखने के लिए लोग दूर-दराज से यहां आते हैं. इन अवशेषों को देखकर लोग भाव-विभोर हो जाते हैं.

पढ़ें- बदरीनाथ में अब नहीं होंगे वीआईपी दर्शन, इस वजह से मंदिर समिति ने किया गेट बंद

लोगों का कहना है कि पुरानी टिहरी स्वर्ग जैसी थी. टिहरी का उल्लेख केदारखंड में मिलता है. टिहरी को कभी त्रिहरी के नाम से जाना जाता था क्योंकि टिहरी के तीन तरफ गंगा बहती थी. यहां पर ही भागीरथी, भिलंगना और घृत गंगा का संगम होता था. शात्रों की मांने यहां पर ब्रह्मा विष्णु महेश नहाने आते थे.

पुरानी टिहरी के बाशिंदों का कहना है कि पर्यटन विभाग और सरकार को राजमहल तक आने-जाने के लिए नाव लगानी चाहिए. जिससे लोग राजमहल को करीब से देख सकें. इससे न सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि सरकार को इस राजमहल को संरक्षण करने के लिए प्लानिंग भी करनी चाहिए.

पढ़ें- तीन तलाक मामला: न्यायालय के आदेश पर ससुरालियों से पुलिस करेगी रिकवरी

बता दें, टिहरी बांध परियोजना की प्राथमिक जांच का काम 1961 में पूर्ण हो गया. इसके बाद इसके रूपरेखा तय करने का काम साल 1972 में किया गया. इसके बाद निर्माण इसका निर्माण कार्य 1978 में शुरू किया, लेकिन किन्हीं कारणों की वजह से इसके काम में देरी हुई. टिहरी डैम का काम साल 2006 में पूरा हो गया.

टिहरी: पुरानी टिहरी यानी टिहरी झील का जलस्तर कम होने से पुरानी टिहरी का राजमहल दिखने लगा है, जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ने लगी है. राजमहल को देखकर लोगों की यादें फिर से ताजा हो गई हैं. बता दें, पुरानी टिहरी की स्थापना 28 दिसंबर 1815 को राजा सुदर्शन शाह ने की थी.

झील का जलस्तर घटने से दिखने लगा राजमहल

कभी इस विशालकाय झील के नीचे एक सुंदर पुरानी टिहरी शहर हुआ करता था. आज भी लोगों का पुरानी टिहरी के प्रति लगाव है. जब भी टिहरी झील का जल स्तर कम होता है तो डूबे हुए खंडहरों के अवशेषों को देखने के लिए लोग दूर-दराज से यहां आते हैं. इन अवशेषों को देखकर लोग भाव-विभोर हो जाते हैं.

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लोगों का कहना है कि पुरानी टिहरी स्वर्ग जैसी थी. टिहरी का उल्लेख केदारखंड में मिलता है. टिहरी को कभी त्रिहरी के नाम से जाना जाता था क्योंकि टिहरी के तीन तरफ गंगा बहती थी. यहां पर ही भागीरथी, भिलंगना और घृत गंगा का संगम होता था. शात्रों की मांने यहां पर ब्रह्मा विष्णु महेश नहाने आते थे.

पुरानी टिहरी के बाशिंदों का कहना है कि पर्यटन विभाग और सरकार को राजमहल तक आने-जाने के लिए नाव लगानी चाहिए. जिससे लोग राजमहल को करीब से देख सकें. इससे न सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि सरकार को इस राजमहल को संरक्षण करने के लिए प्लानिंग भी करनी चाहिए.

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बता दें, टिहरी बांध परियोजना की प्राथमिक जांच का काम 1961 में पूर्ण हो गया. इसके बाद इसके रूपरेखा तय करने का काम साल 1972 में किया गया. इसके बाद निर्माण इसका निर्माण कार्य 1978 में शुरू किया, लेकिन किन्हीं कारणों की वजह से इसके काम में देरी हुई. टिहरी डैम का काम साल 2006 में पूरा हो गया.

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स्पेशल न्यूज़

टिहरी बांध का जल स्तर कम होने से दिखने लगा डूबे पुरानी टिहरी के अवशेष,जिसे देखकर लोगो के दिलो में ताजा हो गई पुरानी टिहरी की यादें


Body:पुरानी टिहरी की स्थापना 28 दिसंबर 1815 को राजा सुदर्शन शाह ने की थी और उसके बाद,

टिहरी बांध का जलस्तर कम होने से दिखने लगा है टिहरी बांध के जल से में डूबे पुरानी टिहरी के खंडहर राजमहल जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ जुटने गई जिससे पुरानी टिहरी की यादें लोगों के दिलों में ताजा हो गई आज की झील के आसपास लोगों की काफी भीड़ थी और बच्चों से लेकर बूढ़े व्यक्ति झील में डूबे पुरानी टिहरी के डूबे हुए अवशेष जिनमें राज महल सेवायोजन कार्यालय आदि के कुछ हिस्से दिखने लगे हैं

अब पुरानी टिहरी की यादें सिर्फ इतिहास के पन्नों में ही सिमट के रह गई है कि कभी इस विशालकाय झील के नीचे एक सुंदर पुरानी टिहरी शहर हुआ करता था आज भी लोगों का पुरानी टिहरी के प्रति इतना लगाव है कि जब भी टिहरी झील का जल स्तर कम होता है तो डूबे हुए खंडरो के अवशेषों को देखने के लिए लोग दूर-दराज से यहां आते हैं इन अवशेषों को देखकर लोग भाव विभोर हो जाते हैं साथ ही इनके आंखों में आंसू आ जाते हैं

और कहते हैं कि पुरानी टिहरी स्वर्ग जैसी थी जो देश में किसी भी हिस्से में नहीं नहीं क्योंकि यहां पर तीनो तरफ से गंगा बहती थी जो गंगा का केंद्र था जिसे त्रिहरी के नाम से जाना जाता था इसका उल्लेख केदारखण्ड में मिलता है क्योंकि यहां पर ब्रह्मा विष्णु महेश नहाने आते थे साथ ही यहां पर तीन नदियों का संगम हुआ करता था जिसमें भागीरथी और भिलंगना घृत गंगा बहती थी

पुरानी शहर को देश हित केलिए अपना बलिदान देना पड़ा इसको लेकर पुरानी टिहरी में रह रहे लोग जो अब दूसरी जगह चले गए हैं उनका कहना है कि पर्यटन विभाग और सरकार को राजमहल तक आने जाने के लिए नाव लगानी चाहिए जिससे लोग राजमहल तक आ जा सके जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और इस धरोहर को कवर्ड किया जाय ताकि लोग देझ सके,

2005 से यह टिहरी झील में डूबने लगा है और हर साल जैसे जल स्तर,कम होता है तो यह दिखने लगता है,


Conclusion:पुरानी टिहरी निवासी मस्त नेगी ने कहा कि आज हम नई टिहरी में रहते है ओर जैसे ही जलस्तर कम होता है तो राजमहल आदि दिखने से हमारी पुरानी टिहरी की यदि ताजा हो जाती है कि हम कैसे यह खेले पढ़े रहे जिससे मन मे पीड़ा होती है

सरकार ही इस राजमहल को सरंक्षण करने के लिए कुछ प्लानिग करनी चाहिए,

बाइट मस्ता नेगी पुराणी टिहरी निवासी
पीटीसी अरविंद नौटियाल

इसके विसुअल लाइव यु से भेजी है स्लग के नाम से
Last Updated : May 26, 2019, 3:38 PM IST
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