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टिहरी के गांवों में भी जोशीमठ जैसे हालात, बांध प्रभावितों को ऐसे उलझा रहे अफसर - भू धंसाव

एक तरफ जोशीमठ भू धंसाव से कराह रहा है. वहीं टिहरी में भी लोग भू धंसाव की समस्या से परेशान हैं. बाध प्रभावित लोगों का कहना है कि प्रशासन के स्तर से उन्हें आश्वासन तो दिया जाता है, लेकिन जमीन पर कार्य नहीं होता है. जिससे उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

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Published : Jan 9, 2023, 12:21 PM IST

टिहरी: जहां एक ओर पूरे देश की नजर जोशीमठ भू धंसाव (joshimath landslide) पर है, वहीं दूसरी ओर टिहरी की आपदा की आहट से भी लोग भयभीत हैं. टिहरी बांध प्रभावित गांवों में भू-धंसाव से ग्रामीण परेशान हैं. प्रभावित गांवों की स्थिति जोशीमठ से कम भयावह नहीं है. लेकिन शासन-प्रशासन द्वारा लोगों को विस्थापित करने की दिशा में कार्य रफ्तार से नहीं चल रहा है.

टिहरी आपदा प्रभावित (tehri dam affected) क्षेत्र के 9 गांवों के 440 परिवारों को विस्थापित कराने को जिला प्रशासन के स्तर से कार्रवाई गतिमान है. प्रभावित परिवारों को गांव के आसपास ही सुरक्षित स्थान पर भवन निर्माण को धनराशि दी जा रही है. टिहरी जिले के त्यालनी गांव के 20 परिवारों को जिला प्रशासन ने भवन निर्माण के लिए प्रति परिवार सवा 4 लाख रुपये की धनराशि मुहैया करवा दी है. जिन्होंने भवन निर्माण कर दिए हैं. वहीं भेलुंता ग्राम पंचायत की छेरदानू तोक के 26, इंद्रौला के 220, अगुंडा के 99, कोट के 34, पनेथ के 21, डौंर के 11, भैतांण गांव के 4 और हलेथ के 5 परिवारों को भवन निर्माण के लिए प्रथम किश्त के रूप में डेढ़-डेढ़ लाख रुपए की धनराशि निर्गत कर दी है.
पढ़ें-जोशीमठ के बाद अब नरेंद्रनगर के अटाली गांव में भी पड़ने लगी दरारें! दहशत में ग्रामीण

वहीं बात टिहरी झील की करें तो टिहरी झील के समीप बसे गांवों में कई ऐसे परिवार हैं जिनके मकानों में दरारें पड़ चुकी हैं. लेकिन उनके विस्थापन की कार्रवाई नहीं हो पाई. जब गांव के लोग विस्थापन की मांग करते हैं तो शासन-प्रशासन नियमों में उलझा कर ग्रामीणों को अपने हाल पर छोड़ छोड़ देता है. जबकि उन परिवारों की जमीन पूरी तरह से टिहरी बांध की झील में डूब चुकी है. लेकिन उनका विस्थापन नहीं हो पाया है, जिसको लेकर टिहरी झील के आसपास के ग्रामीणों ने कई बार आंदोलन भी किया. लेकिन आश्वासन पर आश्वासन मिलने के बाद गांव के लोग ठगे से रह गए.
पढ़ें-आदि गुरु शंकराचार्य के ज्योतिर्मठ पर संकट, 2500 साल पुराना कल्प वृक्ष-मंदिर खतरे की जद में

अपर जिलाधिकारी रामजी शरण शर्मा ने बताया कि जिले के आपदा से प्रभावित 9 गांवों के चिन्हित परिवारों को सवा 4 चार लाख रुपये प्रति परिवार दिए जा रहे हैं. यह धनराशि तीन किश्तों में दी जा रही है. बताया कि जैसे-जैसे संबंधित परिवार भवन निर्माण कराएंगे वैसे-वैसे उनके खातों में धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी. इसके अलावा टिहरी बांध प्रभावित उठड़, नंदगांव, पिपोला, भटकंडा, मदन नेगी, खोला, जलवालगांव, सांदणा, रालौकोट, भल्डियाना, सिल्ला, तल्ला उप्पू आदि गांवों में टिहरी बांध की झील के कारण जबरदस्त भू धंसाव हो रहा है. हालांकि इनके विस्थापन की प्रक्रिया इन दिनों चल रही है.

बावजूद इसके इन गांवों में जीवन यापन करना किसी चुनौती से कम नहीं है. इस बाबत वरिष्ठ अधिवक्ता व सुप्रीम कोर्ट में बांध प्रभावितों की पैरवी करने वाले शांति प्रसाद भट्ट का कहना है कि टिहरी बांध प्रभावित गांवों में सरकार को तत्काल विशेषज्ञ समिति को भेजकर भू धंसाव का आकलन करना चाहिए. इसके बाद इन गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए.

टिहरी: जहां एक ओर पूरे देश की नजर जोशीमठ भू धंसाव (joshimath landslide) पर है, वहीं दूसरी ओर टिहरी की आपदा की आहट से भी लोग भयभीत हैं. टिहरी बांध प्रभावित गांवों में भू-धंसाव से ग्रामीण परेशान हैं. प्रभावित गांवों की स्थिति जोशीमठ से कम भयावह नहीं है. लेकिन शासन-प्रशासन द्वारा लोगों को विस्थापित करने की दिशा में कार्य रफ्तार से नहीं चल रहा है.

टिहरी आपदा प्रभावित (tehri dam affected) क्षेत्र के 9 गांवों के 440 परिवारों को विस्थापित कराने को जिला प्रशासन के स्तर से कार्रवाई गतिमान है. प्रभावित परिवारों को गांव के आसपास ही सुरक्षित स्थान पर भवन निर्माण को धनराशि दी जा रही है. टिहरी जिले के त्यालनी गांव के 20 परिवारों को जिला प्रशासन ने भवन निर्माण के लिए प्रति परिवार सवा 4 लाख रुपये की धनराशि मुहैया करवा दी है. जिन्होंने भवन निर्माण कर दिए हैं. वहीं भेलुंता ग्राम पंचायत की छेरदानू तोक के 26, इंद्रौला के 220, अगुंडा के 99, कोट के 34, पनेथ के 21, डौंर के 11, भैतांण गांव के 4 और हलेथ के 5 परिवारों को भवन निर्माण के लिए प्रथम किश्त के रूप में डेढ़-डेढ़ लाख रुपए की धनराशि निर्गत कर दी है.
पढ़ें-जोशीमठ के बाद अब नरेंद्रनगर के अटाली गांव में भी पड़ने लगी दरारें! दहशत में ग्रामीण

वहीं बात टिहरी झील की करें तो टिहरी झील के समीप बसे गांवों में कई ऐसे परिवार हैं जिनके मकानों में दरारें पड़ चुकी हैं. लेकिन उनके विस्थापन की कार्रवाई नहीं हो पाई. जब गांव के लोग विस्थापन की मांग करते हैं तो शासन-प्रशासन नियमों में उलझा कर ग्रामीणों को अपने हाल पर छोड़ छोड़ देता है. जबकि उन परिवारों की जमीन पूरी तरह से टिहरी बांध की झील में डूब चुकी है. लेकिन उनका विस्थापन नहीं हो पाया है, जिसको लेकर टिहरी झील के आसपास के ग्रामीणों ने कई बार आंदोलन भी किया. लेकिन आश्वासन पर आश्वासन मिलने के बाद गांव के लोग ठगे से रह गए.
पढ़ें-आदि गुरु शंकराचार्य के ज्योतिर्मठ पर संकट, 2500 साल पुराना कल्प वृक्ष-मंदिर खतरे की जद में

अपर जिलाधिकारी रामजी शरण शर्मा ने बताया कि जिले के आपदा से प्रभावित 9 गांवों के चिन्हित परिवारों को सवा 4 चार लाख रुपये प्रति परिवार दिए जा रहे हैं. यह धनराशि तीन किश्तों में दी जा रही है. बताया कि जैसे-जैसे संबंधित परिवार भवन निर्माण कराएंगे वैसे-वैसे उनके खातों में धनराशि उपलब्ध कराई जाएगी. इसके अलावा टिहरी बांध प्रभावित उठड़, नंदगांव, पिपोला, भटकंडा, मदन नेगी, खोला, जलवालगांव, सांदणा, रालौकोट, भल्डियाना, सिल्ला, तल्ला उप्पू आदि गांवों में टिहरी बांध की झील के कारण जबरदस्त भू धंसाव हो रहा है. हालांकि इनके विस्थापन की प्रक्रिया इन दिनों चल रही है.

बावजूद इसके इन गांवों में जीवन यापन करना किसी चुनौती से कम नहीं है. इस बाबत वरिष्ठ अधिवक्ता व सुप्रीम कोर्ट में बांध प्रभावितों की पैरवी करने वाले शांति प्रसाद भट्ट का कहना है कि टिहरी बांध प्रभावित गांवों में सरकार को तत्काल विशेषज्ञ समिति को भेजकर भू धंसाव का आकलन करना चाहिए. इसके बाद इन गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए.

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