ETV Bharat / state

Sem Mukhem Temple: सेम मुखेम मंदिर में दूर होता है कालसर्प दोष, उंगली से हिल जाती है विशाल शिला

अगर हम आपसे कहें कि एक विशाल शिला जिसे पूरी ताकत लगाकर नहीं हिलाया जा सकता है, वो सिर्फ उंगली के जोर से हिल जाती है, तो आप जरूर चौंक जाएंगे. ऐसी शिला टिहरी में है. टिहरी के सेम मुखेम मंदिर आप जाएंगे तो वहीं आपको एक शिलाखंड मिलेगा. सेम मुखेम मंदिर में तमाम तरह के दोष निवारण भी होते हैं.

Sem Mukhem Temple
टिहरी सेम मुखेम मंदिर
author img

By

Published : Feb 8, 2023, 12:05 PM IST

Updated : Feb 8, 2023, 1:18 PM IST

टिहरी: उत्तराखंड के टिहरी जिले का प्रसिद्ध श्री कृष्ण भगवान नागराजा मंदिर देश विदेश में प्रसिद्ध है. यहां पर हर समय मंदिर में आने जाने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रहती है. मंदिर समिति ने उत्तराखंड सरकार से मांग की है कि इस मंदिर का भी चारधाम की तर्ज पर विकास किया जाये. मंदिर तक आने जाने के लिए रोप वे और कैंची दार रास्ता बनाकर उसके ऊपर टिन की छत लगाई जाए.

Sem Mukhem Temple
टिहरी में है सेम मुखेम नागराजा मंदिर

एक उंगली से हिल जाती है विशाल शिला: अयोध्या में भगवान राम की मूर्ति बनाने के लिए नेपाल की गंडकी नदी से शालिग्राम शिलाखंड (पत्थर) लाकर पूजा अर्चना की जा रही है. जिस (शिला) पत्थर से मूर्ति बनाई जाएगी. ऐसा ही एक अद्भुत पत्थर (शिला) टिहरी जिले के प्रताप नगर विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत सेम मुखेम में स्थित है. यहां पर भगवान श्री कृष्ण नागराजा का मंदिर है. इसी के समीप अद्भुत शिला है, जो ताकत लगाने से भी नहीं हिलती है. आश्चर्य की बात है कि एक ही उंगली से ये शिला हिलने लग जाती है. इस अद्भुत शिला की पूजा अर्चना करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रहती है.

Sem Mukhem Temple
सेम मुखेम मंदिर की है बड़ी प्रसिद्धि

चमत्कार के आगे विज्ञान भी नतमस्तक!: देवभूमि उत्तराखंड के टिहरी जनपद के सेम मुखेम मंदिर के पास एक ऐस ही विशालकाय शिला (पत्थर) है, जिसके आगे विज्ञान भी नतमस्तक है. वहीं इस चमत्कार को लोग आस्था से जोड़कर देखते हैं. आज हम ऐसे विशालकाय पत्थर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे देखकर आप भी दांतों तले उंगलियां दबाने को मजबूर हो जाएंगे.

Sem Mukhem Temple
सेम मुखेम मंदिर में अनेक दोषों का निवारण होता है

टिहरी जिले में सेम मुखेम नागराजा मंदिर: टिहरी प्रतापनगर के अंतर्गत ऊंची पहड़ियों पर स्थित भगवान श्री कृष्ण तपोस्थली सेम मुखेम के समीप ढुगढुगी धार है. 7 हजार फीट की ऊंचाई पर सेम मुखेम में भगवान श्री कृष्ण नागराज के स्वरूप में विराजमान हैं. मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 6 किमी की खड़ी चढ़ाई पार चढ़नी पड़ती है.

Sem Mukhem Temple
सेम मुखेम मंदिर को उत्तर की द्वारिका कहा जाता है

ऐसे पहुंचें अद्भुत शिला तक: श्रीकृष्ण मंदिर पहुंचने के बाद भी इस चमत्कारी शिला (पत्थर) को देखने के लिए लोगों को एक किमी की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है. जहां पहुंचकर हर श्रद्धालु इस चमत्कारी पत्थर का दीदार करना चाहता हैं. साथ ही पत्थर पर जोर-आजमाइश करना नहीं भूलते. ढुगढुगी धार में स्थित इस पत्थर की खासियत ये है कि इस पर कितना भी जोर लगाने के बाद भी नहीं हिलता. लेकिन जैसे ही आप अंगुली से जोर लगाते हैं तो ये विशालकाय पत्थर हिलने लगता है. इसे लोग आस्था की नजर से देखते हैं. स्थानीय लोग इसे भीम का पत्थर भी मानते हैं. सेम मुखेम मंदिर में हमेशा भक्तों का तांता लगा रहता है. जिसका उल्लेख धार्मिक ग्रन्थों में भी मिलता है.

Sem Mukhem Temple
नागराजा मंदिर को उत्तराखंड का पांचवां धाम भी कहा जाता है

सेमु मुखेम मंदिर में दूर होते हैं अनेक दोष: भक्त प्रमोद उनियाल ने कहा कि वास्तव में यहां पर भगवान कृष्ण का वास है. चारों तरफ हरियाली ही हरियाली है. पूरी पर्वत श्रृंखला यहां पर हैं. आश्चर्य की बात है कि यहां पर एक ऐसी शिला है जिसे हम ताकत लगाकर नहीं हिला सकते. उसे हम सिर्फ एक उंगली से हिला सकते हैं. यह भी इस देवभूमि में आश्चर्य की बात है. यह कृष्ण भगवान की धरती है. ऐसी मान्यता है कि जिनकी कुंडलियों में कालसर्प दोष होता है, वह यहां पर अपनी पूजा करा कर कालसर्प के दोष से मुक्ति पाते हैं.

Sem Mukhem Temple
दूर दूर से लोग सेम मुखेम नागराजा मंदिर के दर्शन करने आते हैं.

उत्तर द्वारिका के नाम से प्रसिद्ध है सेम मुखेम मंदिर: मंदिर के पुजारी ने कहा कि यह उत्तर द्वारिका के नाम से प्रसिद्ध है. यहां पर भगवान नागराजा का प्रसिद्ध सिद्धपीठ स्थान है. यहां पर जो शिला प्रकट हुई है, उसका भक्त लोग दर्शन करते हैं. इसका केदारखंड के अध्याय 6 में वर्णन है. द्वापर युग से इसकी मान्यता है. यहां पर जो भी भक्तजन आते हैं, जैसे चर्म रोग हो, किसी प्रकार के दोष हैं, कालसर्प दोष है उसकी पूजा करके दोष समाप्त होता है. यहां पर पितृदोष कालसर्प योग दोष का निवारण भी होता है.
ये भी पढ़ें: द्वारिका डूबने के बाद देवभूमि के इस स्थान पर अवतरित हुए थे भगवान श्रीकृष्ण

मंदिर समिति की है ये मांग: मंदिर समिति के अध्यक्ष गोविंद रावत ने कहा कि यहां पर देश विदेशों के भक्त दर्शन करने आते हैं और पूजा पाठ करते हैं. हमारी सरकार से मांग है कि मंदिर तक पहुंचने के लिए रोपवे का निर्माण किया जाये. जिससे बुजुर्ग पर्यटकों को चढ़ाई न चढ़नी पड़े.

टिहरी: उत्तराखंड के टिहरी जिले का प्रसिद्ध श्री कृष्ण भगवान नागराजा मंदिर देश विदेश में प्रसिद्ध है. यहां पर हर समय मंदिर में आने जाने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रहती है. मंदिर समिति ने उत्तराखंड सरकार से मांग की है कि इस मंदिर का भी चारधाम की तर्ज पर विकास किया जाये. मंदिर तक आने जाने के लिए रोप वे और कैंची दार रास्ता बनाकर उसके ऊपर टिन की छत लगाई जाए.

Sem Mukhem Temple
टिहरी में है सेम मुखेम नागराजा मंदिर

एक उंगली से हिल जाती है विशाल शिला: अयोध्या में भगवान राम की मूर्ति बनाने के लिए नेपाल की गंडकी नदी से शालिग्राम शिलाखंड (पत्थर) लाकर पूजा अर्चना की जा रही है. जिस (शिला) पत्थर से मूर्ति बनाई जाएगी. ऐसा ही एक अद्भुत पत्थर (शिला) टिहरी जिले के प्रताप नगर विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत सेम मुखेम में स्थित है. यहां पर भगवान श्री कृष्ण नागराजा का मंदिर है. इसी के समीप अद्भुत शिला है, जो ताकत लगाने से भी नहीं हिलती है. आश्चर्य की बात है कि एक ही उंगली से ये शिला हिलने लग जाती है. इस अद्भुत शिला की पूजा अर्चना करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रहती है.

Sem Mukhem Temple
सेम मुखेम मंदिर की है बड़ी प्रसिद्धि

चमत्कार के आगे विज्ञान भी नतमस्तक!: देवभूमि उत्तराखंड के टिहरी जनपद के सेम मुखेम मंदिर के पास एक ऐस ही विशालकाय शिला (पत्थर) है, जिसके आगे विज्ञान भी नतमस्तक है. वहीं इस चमत्कार को लोग आस्था से जोड़कर देखते हैं. आज हम ऐसे विशालकाय पत्थर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे देखकर आप भी दांतों तले उंगलियां दबाने को मजबूर हो जाएंगे.

Sem Mukhem Temple
सेम मुखेम मंदिर में अनेक दोषों का निवारण होता है

टिहरी जिले में सेम मुखेम नागराजा मंदिर: टिहरी प्रतापनगर के अंतर्गत ऊंची पहड़ियों पर स्थित भगवान श्री कृष्ण तपोस्थली सेम मुखेम के समीप ढुगढुगी धार है. 7 हजार फीट की ऊंचाई पर सेम मुखेम में भगवान श्री कृष्ण नागराज के स्वरूप में विराजमान हैं. मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 6 किमी की खड़ी चढ़ाई पार चढ़नी पड़ती है.

Sem Mukhem Temple
सेम मुखेम मंदिर को उत्तर की द्वारिका कहा जाता है

ऐसे पहुंचें अद्भुत शिला तक: श्रीकृष्ण मंदिर पहुंचने के बाद भी इस चमत्कारी शिला (पत्थर) को देखने के लिए लोगों को एक किमी की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है. जहां पहुंचकर हर श्रद्धालु इस चमत्कारी पत्थर का दीदार करना चाहता हैं. साथ ही पत्थर पर जोर-आजमाइश करना नहीं भूलते. ढुगढुगी धार में स्थित इस पत्थर की खासियत ये है कि इस पर कितना भी जोर लगाने के बाद भी नहीं हिलता. लेकिन जैसे ही आप अंगुली से जोर लगाते हैं तो ये विशालकाय पत्थर हिलने लगता है. इसे लोग आस्था की नजर से देखते हैं. स्थानीय लोग इसे भीम का पत्थर भी मानते हैं. सेम मुखेम मंदिर में हमेशा भक्तों का तांता लगा रहता है. जिसका उल्लेख धार्मिक ग्रन्थों में भी मिलता है.

Sem Mukhem Temple
नागराजा मंदिर को उत्तराखंड का पांचवां धाम भी कहा जाता है

सेमु मुखेम मंदिर में दूर होते हैं अनेक दोष: भक्त प्रमोद उनियाल ने कहा कि वास्तव में यहां पर भगवान कृष्ण का वास है. चारों तरफ हरियाली ही हरियाली है. पूरी पर्वत श्रृंखला यहां पर हैं. आश्चर्य की बात है कि यहां पर एक ऐसी शिला है जिसे हम ताकत लगाकर नहीं हिला सकते. उसे हम सिर्फ एक उंगली से हिला सकते हैं. यह भी इस देवभूमि में आश्चर्य की बात है. यह कृष्ण भगवान की धरती है. ऐसी मान्यता है कि जिनकी कुंडलियों में कालसर्प दोष होता है, वह यहां पर अपनी पूजा करा कर कालसर्प के दोष से मुक्ति पाते हैं.

Sem Mukhem Temple
दूर दूर से लोग सेम मुखेम नागराजा मंदिर के दर्शन करने आते हैं.

उत्तर द्वारिका के नाम से प्रसिद्ध है सेम मुखेम मंदिर: मंदिर के पुजारी ने कहा कि यह उत्तर द्वारिका के नाम से प्रसिद्ध है. यहां पर भगवान नागराजा का प्रसिद्ध सिद्धपीठ स्थान है. यहां पर जो शिला प्रकट हुई है, उसका भक्त लोग दर्शन करते हैं. इसका केदारखंड के अध्याय 6 में वर्णन है. द्वापर युग से इसकी मान्यता है. यहां पर जो भी भक्तजन आते हैं, जैसे चर्म रोग हो, किसी प्रकार के दोष हैं, कालसर्प दोष है उसकी पूजा करके दोष समाप्त होता है. यहां पर पितृदोष कालसर्प योग दोष का निवारण भी होता है.
ये भी पढ़ें: द्वारिका डूबने के बाद देवभूमि के इस स्थान पर अवतरित हुए थे भगवान श्रीकृष्ण

मंदिर समिति की है ये मांग: मंदिर समिति के अध्यक्ष गोविंद रावत ने कहा कि यहां पर देश विदेशों के भक्त दर्शन करने आते हैं और पूजा पाठ करते हैं. हमारी सरकार से मांग है कि मंदिर तक पहुंचने के लिए रोपवे का निर्माण किया जाये. जिससे बुजुर्ग पर्यटकों को चढ़ाई न चढ़नी पड़े.

Last Updated : Feb 8, 2023, 1:18 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.