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रुद्रप्रयाग: शीतलहर की चपेट में केदारघाटी, लगातार बारिश से लोग घरों में कैद

रुद्रप्रयाग जनपद में हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी और निचले क्षेत्रों में लगातार बारिश होने से केदारघाटी शीतलहर की चपेट में आ गयी है. लगातार बारिश होने से लोग घरों में कैद हैं.

Kedarghati in the grip of cold wave
Kedarghati in the grip of cold wave
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Published : Apr 23, 2021, 9:14 PM IST

रुद्रप्रयाग: केदारघाटी के हिमालयी क्षेत्रों में विगत कई दिनों से हो रही बर्फबारी व निचले क्षेत्रों में लगातार बारिश होने से केदारघाटी शीतलहर की चपेट में आ गयी है. निचले क्षेत्रों में लगातार बारिश होने से लोगों के घरों में कैद रहने से मुख्य बाजारों में सन्नाटा पसरा है. साथ ही सीमांत गांवों में मवेशियों के लिए चारा का संकट बना हुआ है.

केदारघाटी में लगातार हो रही बारिश.

बीते कुछ दिनों से हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी व निचले क्षेत्रों में बारिश होने से पर्यावरणविद् से लेकर काश्तकारों के चेहरों पर मुस्कान तो लौटी है, मगर लगातार बारिश होने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. काश्तकारों की माने तो अगर मार्च महीने में बारिश होती तो गेहूं की फसल के उत्पादन में वृद्धि हो सकती थी.

बता दें, केदारघाटी सहित अन्य क्षेत्रों के हिमालयी भूभाग में विगत कई दिनों से बर्फबारी होने के कारण पवालीकांठा, केदारनाथ, वासुकी ताल, खाम, मनणी, मद्महेश्वर, पाण्डवसेरा, नन्दीकुण्ड, विसुणीताल व तुंगनाथ धाम बर्फबारी से लकदक हो गये हैं. आने वाले दिनों में अगर मौसम का मिजाज इसी प्रकार रहा तो तोषी, त्रियुगीनारायण, गौरीकुण्ड, चैमासी, गौंडार, गडगू, राकसीडांडा, मोहनखाल, कार्तिक स्वामी सहित सीमान्त व ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी हो सकती है.

पढ़ें- भारत-चीन सीमा पर टूटा ग्लेशियर, BRO कमांडर ने की पुष्टि

केदारनाथ धाम में निरंतर बर्फबारी होने से पुर्ननिर्माण कार्य बाधित हो रहे हैं, जबकि रुद्रप्रयाग-गौरीकुण्ड नेशनल हाईवे पर चल रहे निर्माण कार्यो में भी बाधा उत्पन्न हो रही है. निचले क्षेत्रों में विगत कई दिनों से बारिश होने से काश्तकारों व आपदा पीड़ितों की चिंताएं बढ़ती जा रहीं हैं.

रुद्रप्रयाग: केदारघाटी के हिमालयी क्षेत्रों में विगत कई दिनों से हो रही बर्फबारी व निचले क्षेत्रों में लगातार बारिश होने से केदारघाटी शीतलहर की चपेट में आ गयी है. निचले क्षेत्रों में लगातार बारिश होने से लोगों के घरों में कैद रहने से मुख्य बाजारों में सन्नाटा पसरा है. साथ ही सीमांत गांवों में मवेशियों के लिए चारा का संकट बना हुआ है.

केदारघाटी में लगातार हो रही बारिश.

बीते कुछ दिनों से हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी व निचले क्षेत्रों में बारिश होने से पर्यावरणविद् से लेकर काश्तकारों के चेहरों पर मुस्कान तो लौटी है, मगर लगातार बारिश होने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. काश्तकारों की माने तो अगर मार्च महीने में बारिश होती तो गेहूं की फसल के उत्पादन में वृद्धि हो सकती थी.

बता दें, केदारघाटी सहित अन्य क्षेत्रों के हिमालयी भूभाग में विगत कई दिनों से बर्फबारी होने के कारण पवालीकांठा, केदारनाथ, वासुकी ताल, खाम, मनणी, मद्महेश्वर, पाण्डवसेरा, नन्दीकुण्ड, विसुणीताल व तुंगनाथ धाम बर्फबारी से लकदक हो गये हैं. आने वाले दिनों में अगर मौसम का मिजाज इसी प्रकार रहा तो तोषी, त्रियुगीनारायण, गौरीकुण्ड, चैमासी, गौंडार, गडगू, राकसीडांडा, मोहनखाल, कार्तिक स्वामी सहित सीमान्त व ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी हो सकती है.

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केदारनाथ धाम में निरंतर बर्फबारी होने से पुर्ननिर्माण कार्य बाधित हो रहे हैं, जबकि रुद्रप्रयाग-गौरीकुण्ड नेशनल हाईवे पर चल रहे निर्माण कार्यो में भी बाधा उत्पन्न हो रही है. निचले क्षेत्रों में विगत कई दिनों से बारिश होने से काश्तकारों व आपदा पीड़ितों की चिंताएं बढ़ती जा रहीं हैं.

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