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भारत को अगले दो दशक में बुनियादी ढांचे पर निवेश बढ़ाने की जरूरत: आर्थिक सर्वेक्षण - ECONOMIC SURVEY 2025

समीक्षा के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में आम चुनावों और मानसून के कारण बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर खर्च प्रभावित हुआ.

ECONOMIC SURVEY 2025
प्रतीकात्मक तस्वीर (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 31, 2025, 5:15 PM IST

नई दिल्ली: संसद में शुक्रवार को पेश की गई आर्थिक समीक्षा 2024-25 में भारत की विकास दर को बनाए रखने के लिए बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश को अगले दो दशकों में लगातार बढ़ाने पर जोर दिया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में आम चुनावों, नई स्वीकृतियों और व्यय पर बाधाओं और कई क्षेत्रों में भारी मानसून के कारण बुनियादी ढांचे पर खर्च की गति धीमी रही. हालांकि, इसके बाद जुलाई और नवंबर के बीच पूंजीगत व्यय में तेजी आई.

सदन में पेश दस्तावेज के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के लिए केंद्र का पूंजीगत व्यय वित्त वर्ष 20 के पूंजीगत व्यय का लगभग 3.3 गुना निर्धारित किया गया है. यह दर्शाता है कि सरकार बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित कर रही है.

बुनियादी ढांचे पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता
सर्वेक्षण में आपदा-रोधी शहरीकरण, सार्वजनिक परिवहन, विरासत स्थलों, स्मारकों और पर्यटन स्थलों के संरक्षण और रखरखाव पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता बताई गई है. रिपोर्ट में कनेक्टिविटी सहित ग्रामीण सार्वजनिक बुनियादी ढांचे पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला गया है.

इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट में कहा गया है, "हमारी शुद्ध शून्य प्रतिबद्धताओं के कारण, नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता सृजन पर अतिरिक्त जोर दिया जा रहा है." यह सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

निजी भागीदारी में तेजी लाने की आवश्यकता
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, सरकार के विभिन्न स्तरों पर बजट संबंधी बाध्यताएं हैं. इसलिए, कार्यक्रम और परियोजना नियोजन, वित्तपोषण, निर्माण, रखरखाव, मुद्रीकरण और प्रभाव आकलन जैसे कई महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में निजी भागीदारी में तेजी लाने की आवश्यकता है.

पीपीपी मॉडल के तहत बुनियादी ढांचे का विकास
सर्वेक्षण में कहा गया है, "हमारा बुनियादी ढांचा कार्यक्रम विभिन्न प्रकार के पीपीपी (सार्वजनिक निजी भागीदारी) मॉडल का समर्थन करता है." राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन, राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन और पीएम-गति शक्ति जैसे सुविधा तंत्र स्थापित किए गए हैं, जिनसे प्रगति हुई है. वित्तीय बाजार नियामकों ने निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए सुधार किए हैं.

हालांकि, अभी भी कई प्रमुख क्षेत्रों में निजी उद्यम की भागीदारी सीमित है. निजी भागीदारी को बढ़ाने की रणनीति के लिए सभी हितधारकों, जैसे विभिन्न स्तरों पर सरकारें, वित्तीय बाजार के खिलाड़ी, परियोजना प्रबंधन विशेषज्ञ, योजनाकार और निजी क्षेत्र की समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता है.

यह भी पढ़ें- GDP बढ़ोतरी 6.3-6.8% रहने का अनुमान, आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 की मुख्य बातें

नई दिल्ली: संसद में शुक्रवार को पेश की गई आर्थिक समीक्षा 2024-25 में भारत की विकास दर को बनाए रखने के लिए बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश को अगले दो दशकों में लगातार बढ़ाने पर जोर दिया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में आम चुनावों, नई स्वीकृतियों और व्यय पर बाधाओं और कई क्षेत्रों में भारी मानसून के कारण बुनियादी ढांचे पर खर्च की गति धीमी रही. हालांकि, इसके बाद जुलाई और नवंबर के बीच पूंजीगत व्यय में तेजी आई.

सदन में पेश दस्तावेज के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के लिए केंद्र का पूंजीगत व्यय वित्त वर्ष 20 के पूंजीगत व्यय का लगभग 3.3 गुना निर्धारित किया गया है. यह दर्शाता है कि सरकार बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित कर रही है.

बुनियादी ढांचे पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता
सर्वेक्षण में आपदा-रोधी शहरीकरण, सार्वजनिक परिवहन, विरासत स्थलों, स्मारकों और पर्यटन स्थलों के संरक्षण और रखरखाव पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता बताई गई है. रिपोर्ट में कनेक्टिविटी सहित ग्रामीण सार्वजनिक बुनियादी ढांचे पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला गया है.

इसके अतिरिक्त, रिपोर्ट में कहा गया है, "हमारी शुद्ध शून्य प्रतिबद्धताओं के कारण, नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता सृजन पर अतिरिक्त जोर दिया जा रहा है." यह सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

निजी भागीदारी में तेजी लाने की आवश्यकता
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, सरकार के विभिन्न स्तरों पर बजट संबंधी बाध्यताएं हैं. इसलिए, कार्यक्रम और परियोजना नियोजन, वित्तपोषण, निर्माण, रखरखाव, मुद्रीकरण और प्रभाव आकलन जैसे कई महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में निजी भागीदारी में तेजी लाने की आवश्यकता है.

पीपीपी मॉडल के तहत बुनियादी ढांचे का विकास
सर्वेक्षण में कहा गया है, "हमारा बुनियादी ढांचा कार्यक्रम विभिन्न प्रकार के पीपीपी (सार्वजनिक निजी भागीदारी) मॉडल का समर्थन करता है." राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन, राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन और पीएम-गति शक्ति जैसे सुविधा तंत्र स्थापित किए गए हैं, जिनसे प्रगति हुई है. वित्तीय बाजार नियामकों ने निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए सुधार किए हैं.

हालांकि, अभी भी कई प्रमुख क्षेत्रों में निजी उद्यम की भागीदारी सीमित है. निजी भागीदारी को बढ़ाने की रणनीति के लिए सभी हितधारकों, जैसे विभिन्न स्तरों पर सरकारें, वित्तीय बाजार के खिलाड़ी, परियोजना प्रबंधन विशेषज्ञ, योजनाकार और निजी क्षेत्र की समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता है.

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