रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी के कई ऐसे प्रत्याशी हैं, जिन्होंने या तो अपने क्षेत्र में काम नहीं किया है, या फिर उनके नाम और पहचान से जनता बिल्कुल अनभिज्ञ है. ऐसे में चुनाव जीतने के लिए बीजेपी के पास एकमात्र मोदी नाम का सहारा बचता है.
देश में धर्म और राजनीति का बेहद ही गहरा संबंध रहा है. राजनेताओं ने धर्म को हथियार बनाकर राजनीति में जीत हासिल की है. इस बार भी रुद्रप्रयाग और केदारनाथ विधानसभा में ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है. भाजपा कार्यकर्ता जहां एक ओर पीएम मोदी को भगवान केदारनाथ का स्वरूप बता रहे हैं. वहीं, मोदी को चेहरा बताकर वोट करने की अपील कर रहे हैं.
आलम ये है कि रुद्रप्रयाग विधानसभा में प्रत्याशी के कामकाजों की कोई बात नहीं की जा रही है. केदारनाथ विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी शैलारानी रावत केदारनाथ में हुए काम-काजों के साथ ही सिंपैथी वोट मिलने की बात कह रही है. वे कैंसर को मात देकर लौटी हैं और इस बार उन्हें लगता है कि जनता उन पर जरूर भरोसा जतायेगी.
14 फरवरी को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होने जा रहा है. चुनाव को लेकर भाजपा, कांग्रेस, आप और यूकेडी अलावा अन्य दलों के प्रत्याशी जोर-आजमाइश में लगे हैं. चुनाव में जीत किसकी होगी, यह तो 10 मार्च को ही पता चलेगा, लेकिन जिस तरह से रुद्रप्रयाग और केदारनाथ विधानसभा में भाजपा कार्यकर्ता राजनीति कर रहे हैं, उससे लगता है कि प्रत्याशियों की जनता के बीच कोई अस्तित्व नहीं है.
रुद्रप्रयाग विधानसभा में भाजपा कार्यकर्ता गांव और शहरों में पीएम मोदी के कार्यों को लेकर जनता को भ्रमित करने में लगे हैं. लोगों से कहा जा रहा है कि उन्हें पीएम मोदी को वोट देना है. जबकि रुद्रप्रयाग विधानसभा में वर्तमान विधायक भाजपा से हैं और लगता है कि इन पांच सालों में विधायक के कार्यों से जनता शायद खुश नहीं है. जिस वजह से कार्यकर्ता मोदी नाम का सहारा ले रहे हैं.
वहीं, विधायक की माने तो उन्होंने क्षेत्र में शिक्षा, सड़क, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं पर काम किया है. अगर उन्होंने काम किया है तो जनता की जुबान पर उनका नाम क्यों नहीं आ रहा है, यह भी सवाल बन गया है. ऐसे में बीजेपी कार्यकर्ता पीएम मोदी को हथियार बनाकर वोट मांगने में जुटे हैं. लोगों से कहा जा रहा है कि वे मोदी को वोट करें. पीएम मोदी अपने आप में साक्षात भगवान केदारनाथ हैं. उन्होंने केदारनाथ धाम में बहुत से विकास किये हैं.
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वहीं, केदारनाथ विधानसभा की बात की जाए तो यहां कार्यकर्ता जनता के बीच जाकर पीएम मोदी को केदारनाथ का स्वरूप बता रहे हैं. वैसे भाजपा नेताओं का यह बयान सोशल मीडिया पर भी जमकर ट्रोल हो रहा है, जिसके बाद लोग कमेंटस के जरिये इस बयान पर आपत्तिजनक टिप्पणी भी कर रहे हैं. ऐसे में केदारनाथ से भाजपा प्रत्याशी शैला रानी रावत ने इमोशनल कार्ड खेलने की कोशिश कर रही हैं. उन्होंने यह कहना शुरू कर दिया है कि केदारनाथ आपदा के बाद से वे क्षेत्र में काम कर रही हैं और इस दौरान उन्हें कैंसर जैसी बीमारी से भी जूझना पड़ा. जनता के आशीर्वाद से वे ठीक होकर लौटी हैं और इस बार उन्हें यह सहानुभूति जनता की ओर से मिलेगी.
वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत ने कहा भाजपा कार्यकर्ताओं ने अपनी रीति एवं नीति में पीएम मोदी के नाम पर वोट मांगना भी शामिल कर दिया है. कोई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यो के नाम पर वोट मांग रहा है तो, कोई पीएम मोदी को ही केदारनाथ का स्वरूप बता रहा है.
केदारनाथ विधानसभा से पिछली चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे निर्दलीय प्रत्याशी कुलदीप रावत ने कहा राजनीति में जात, पात, क्षेत्रवाद और धर्म बीच में नहीं आना चाहिए. ये चीजें समाज को बांटने का काम करती हैं. क्षेत्र का विकास रूक जाता है. भाजपा कार्यकर्ता इन दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हैं. प्रत्याशी को अपनी काबिलियत को जनता के सामने रखना चाहिए. सभी को मालूम है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सराहनीय कार्य कर रहे है, जो प्रशंसा के योग्य है. लेकिन केदारनाथ विधानसभा के बावई, चिलौंड, तोषी जैसे पिछड़े गांवों से मोदी का क्या मतलब है. इनकी समस्या को स्थानीय प्रतिनिधि ही समझ सकता है.