बेरीनाग: तहसील मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूर काली विनायक के पास सुबह एक गुलदार के दहाड़ने की आवाज सुनाई देने लगी. जिस पर आस पास के ग्रामीण मौके पर पहुंचे. ग्रामीणों ने देखा गुलदार कांटे के तारों में फंसा हुआ है. जिसके बाद घटना की जानकारी वन विभाग को दी गई. सूचना मिलते ही वन क्षेत्राधिकारी चंदा मेहरा के नेतृत्व में वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची. गुलदार की स्थिति को देखते हुए पिंजरा और जाल लगाया गया. गुलदार को तार से निकलने की कोशिश की गई. इस दौरान गुलदार घायल हो गया था.
गुलदार को पकड़ने के लिए पिथौरागढ़ रेंज से ट्रेंकुलाइजर टीम को बुलाया. शाम तीन बजे पिथौरागढ़ से टीम पहुंची. ट्रेंकुलाइजर गन के माध्यम से गुलदार को बेहोश किया गया. पशु चिकित्साधिकारी डॉ प्रणव अग्रवाल ने बताया कि काटीले तार में फंसा गुलदार नर है, जिसकी उम्र लगभग 10 वर्ष है. उसकी दाई आंख पहले से पूरी तरह खराब थी. जिस कारण वह तार को नहीं देख पाया.
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तार में फंसने के कारण गर्दन, पेट और छाती में चोट आई हैं. जिसका प्राथमिक उपचार कर दिया है. साथ ही गुलदार को उपचार के लिए रेस्क्यू सेंटर अल्मोड़ा भेजा जा रहा है. वन क्षेत्राधिकारी चंदा महरा ने बताया गुलदार पूरी तरह से सुरक्षित है. उधर गुलदार को देखने के लिए बेरीनाग सहित आसपास के ग्रामीण बड़ी संख्या में मौके पर पहुंचे.
बेरीनाग में ट्रेंकुलाइजर गन नहीं होने से हुई देरी: वन विभाग के बेरीनाग रेंज में ट्रेंकुलाइजर गन नहीं होने के कारण वन कर्मियों को आए दिन परेशानी का सामना करना पड़ता है. रविवार को ट्रेंकुलाइजर गन नहीं होने के कारण पिथौरागढ़ से गन आने में घंटों का इंतजार करना पड़ा. पिछले वर्षों में भी गुलदार को रेस्क्यू करने के लिए अल्मोड़ा से टीम को बुलाना पड़ा था. वन विभाग को यहां पर एक स्थाई ट्रेंकुलाइजर गन रखनी चाहिए, जिससे समय पर रेस्क्यू किया जा सके.