ETV Bharat / state

खास है लक्षिका का घराट मॉडल, कम पानी में अनाज पीसेगा, बिजली भी पैदा करेगा, राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव में चयन

Lakshika Bisht Made Modern Gharat Model उत्तराखंड में भले ही घराट अब देखने को कम ही मिलते हों, लेकिन अगर इन घराटों से अनाज पीसने के साथ बिजली भी पैदा किया जाए तो बात ही क्या. जी हां, बेरीनाग की लक्षिका बिष्ट ने ऐसा ही एक घराट का मॉडल बनाया है. जिसकी वजह से उसका चयन राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के लिए हुआ है. जहां वो उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व करेगी. जानिए कैसा है लक्षिका का घराट...

Child scientist Laksika Bisht
बाल वैज्ञानिक लक्षिका बिष्ट
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 15, 2023, 10:56 PM IST

Updated : Dec 15, 2023, 11:05 PM IST

खास है लक्षिका का घराट मॉडल

बेरीनाग: उत्तराखंड में घराट यानी पानी से चलने वाले यंत्र से अनाजों को पीसा जाता है, लेकिन आधुनिकता की मार की वजह से घराट अब लुप्त होने की कगार पर हैं. घराट अनाज को पीसने का पारंपरिक तरीका है, लेकिन पिथौरागढ़ की एक छात्रा ने घराट से जुड़ा एक मॉडल तैयार किया है. जो काफी मॉर्डन और बेहतर है. यही वजह है कि छात्रा के मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर जगह मिली है.

Child scientist Lakshika Bisht
अपने घराट के मॉडल के साथ लक्षिका बिष्ट

लक्षिका का घराट है खास: दरअसल, हिमालया इंटर कॉलेज चौकोड़ी की कक्षा 12 वीं बाल वैज्ञानिक लक्षिका बिष्ट ने पारंपरिक घराट पर शोध करते हुए एक मॉडर्न घराट बनाया है, जो कि कम पानी होने पर भी आसानी से चल सकता है. इतना ही नहीं पारंपरिक घराट की तुलना में काफी तेजी से अनाज को भी पीस सकता है. इसके अलावा जो पानी नीचे की ओर बहता है, उससे बिजली उत्पादन भी किया जा सकता है.

लक्षिका बिष्ट के घराट के मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर जगह मिली है. लक्षिका के मॉडल का राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के लिए हुआ है. लक्षिका के घराट का मॉडल आगामी 26 दिसंबर से 31 दिसंबर तक शिव छत्रपति खेल परिसर बालेवाड़ी पुणे (महाराष्ट्र) में होने वाले राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी में प्रदर्शित होगा.
ये भी पढ़ेंः पर्वतीय अंचलों में कभी घराट थे शान, अब 'विरासत' पर मंडरा रहा खतरा

राज्य बाल विज्ञान समन्वयक डॉ. देवराज राणा ने बताया कि 50वीं राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी के लिए चयनित हिमालया कॉलेज चौकोड़ी की छात्रा लक्षिका बिष्ट अपने मॉडल को प्रदर्शित करेगी. इस साल राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी का मुख्य विषय 'सूचना एवं प्रौद्योगिकी' रखा गया है, जिसका उप विषय भी रखा गया है. लक्षिका के इस प्रोजेक्ट के निर्माण में विद्यालय के संरक्षक चंद्र सिंह कार्की, शिक्षक ध्रुव पंत समेत अन्य लोगों ने मदद की.

Child scientist Lakshika Bisht
लक्षिका बिष्ट

विलुप्त होते घराटों को देखकर कुछ करने की जागी ललक: लक्षिका बिष्ट शैक्षिक भ्रमण के तहत एक बार बेरीनाग के दूरस्थ क्षेत्र बरसात गांव पहुंची थी. जहां लक्षिका ने जीर्ण क्षीर्ण हालत में एक घराट देखा. जिसके बाद उसने अपने शिक्षकों से इसके बारे में जानकारी जुटाई और नए रूप में इसे विकसित करने की ठानी. यही वजह है कि आज लक्षिका ने ऐसा घराट तैयार किया है. जिसे अब राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने वाली है.

घराट में पीसे अनाजों का आटा माना जाता है पौष्टिक: पानी से चलने वाले घराटों में पीसा आटा काफी पौष्टिक माना जाता है. इलेक्ट्रॉनिक चक्की और मशीनों से तैयार आटा में उतनी पौष्टिकता नहीं होती है, जितनी घराट में पीसी आटे में होती है. पहले लोग अपने गेहूं, मडुंआ, मक्की, चौलाई, फाफर आदि अनाजों को पीसते थे, लेकिन अब घराट ही गायब होने लगे हैं.

Child scientist Lakshika Bisht
बाल वैज्ञानिक लक्षिका बिष्ट घराट को दिलाई राष्ट्रीय पहचान

क्या लक्षिका के मॉडल को मंच दे पाएगी सरकार? आज के चकाचौंध में घराट विलुप्त हो गए हैं. लक्षिका की ओर से तैयार किया गया घराट आज जहां पर्यावरण की दृष्टि से मिल का पत्थर साबित होने के साथ बिजली उत्पादन और स्वरोजगार के क्षेत्र में भी बड़ा आयाम साबित हो सकता है, लेकिन दरकार है कि सरकार लक्षिका के मॉडल को सराहे और धरातल पर उतारे.
ये भी पढ़ेंः जौनसार बावर में घराट को जिंदा रखे हुए हैं शशकु, पारंपरिक 'विरासत' से मुंह मोड़ रहे लोग

खास है लक्षिका का घराट मॉडल

बेरीनाग: उत्तराखंड में घराट यानी पानी से चलने वाले यंत्र से अनाजों को पीसा जाता है, लेकिन आधुनिकता की मार की वजह से घराट अब लुप्त होने की कगार पर हैं. घराट अनाज को पीसने का पारंपरिक तरीका है, लेकिन पिथौरागढ़ की एक छात्रा ने घराट से जुड़ा एक मॉडल तैयार किया है. जो काफी मॉर्डन और बेहतर है. यही वजह है कि छात्रा के मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर जगह मिली है.

Child scientist Lakshika Bisht
अपने घराट के मॉडल के साथ लक्षिका बिष्ट

लक्षिका का घराट है खास: दरअसल, हिमालया इंटर कॉलेज चौकोड़ी की कक्षा 12 वीं बाल वैज्ञानिक लक्षिका बिष्ट ने पारंपरिक घराट पर शोध करते हुए एक मॉडर्न घराट बनाया है, जो कि कम पानी होने पर भी आसानी से चल सकता है. इतना ही नहीं पारंपरिक घराट की तुलना में काफी तेजी से अनाज को भी पीस सकता है. इसके अलावा जो पानी नीचे की ओर बहता है, उससे बिजली उत्पादन भी किया जा सकता है.

लक्षिका बिष्ट के घराट के मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर जगह मिली है. लक्षिका के मॉडल का राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के लिए हुआ है. लक्षिका के घराट का मॉडल आगामी 26 दिसंबर से 31 दिसंबर तक शिव छत्रपति खेल परिसर बालेवाड़ी पुणे (महाराष्ट्र) में होने वाले राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी में प्रदर्शित होगा.
ये भी पढ़ेंः पर्वतीय अंचलों में कभी घराट थे शान, अब 'विरासत' पर मंडरा रहा खतरा

राज्य बाल विज्ञान समन्वयक डॉ. देवराज राणा ने बताया कि 50वीं राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी के लिए चयनित हिमालया कॉलेज चौकोड़ी की छात्रा लक्षिका बिष्ट अपने मॉडल को प्रदर्शित करेगी. इस साल राष्ट्रीय बाल वैज्ञानिक प्रदर्शनी का मुख्य विषय 'सूचना एवं प्रौद्योगिकी' रखा गया है, जिसका उप विषय भी रखा गया है. लक्षिका के इस प्रोजेक्ट के निर्माण में विद्यालय के संरक्षक चंद्र सिंह कार्की, शिक्षक ध्रुव पंत समेत अन्य लोगों ने मदद की.

Child scientist Lakshika Bisht
लक्षिका बिष्ट

विलुप्त होते घराटों को देखकर कुछ करने की जागी ललक: लक्षिका बिष्ट शैक्षिक भ्रमण के तहत एक बार बेरीनाग के दूरस्थ क्षेत्र बरसात गांव पहुंची थी. जहां लक्षिका ने जीर्ण क्षीर्ण हालत में एक घराट देखा. जिसके बाद उसने अपने शिक्षकों से इसके बारे में जानकारी जुटाई और नए रूप में इसे विकसित करने की ठानी. यही वजह है कि आज लक्षिका ने ऐसा घराट तैयार किया है. जिसे अब राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलने वाली है.

घराट में पीसे अनाजों का आटा माना जाता है पौष्टिक: पानी से चलने वाले घराटों में पीसा आटा काफी पौष्टिक माना जाता है. इलेक्ट्रॉनिक चक्की और मशीनों से तैयार आटा में उतनी पौष्टिकता नहीं होती है, जितनी घराट में पीसी आटे में होती है. पहले लोग अपने गेहूं, मडुंआ, मक्की, चौलाई, फाफर आदि अनाजों को पीसते थे, लेकिन अब घराट ही गायब होने लगे हैं.

Child scientist Lakshika Bisht
बाल वैज्ञानिक लक्षिका बिष्ट घराट को दिलाई राष्ट्रीय पहचान

क्या लक्षिका के मॉडल को मंच दे पाएगी सरकार? आज के चकाचौंध में घराट विलुप्त हो गए हैं. लक्षिका की ओर से तैयार किया गया घराट आज जहां पर्यावरण की दृष्टि से मिल का पत्थर साबित होने के साथ बिजली उत्पादन और स्वरोजगार के क्षेत्र में भी बड़ा आयाम साबित हो सकता है, लेकिन दरकार है कि सरकार लक्षिका के मॉडल को सराहे और धरातल पर उतारे.
ये भी पढ़ेंः जौनसार बावर में घराट को जिंदा रखे हुए हैं शशकु, पारंपरिक 'विरासत' से मुंह मोड़ रहे लोग

Last Updated : Dec 15, 2023, 11:05 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.