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कोटद्वार निगम में सैनिटाइजर मामले में हुआ ये खुलासा, बुरे फंसे पार्षद

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Published : May 9, 2020, 7:05 PM IST

Updated : May 10, 2020, 12:19 AM IST

कोटद्वार नगर निगम में सैनिटाइजर की खरीद पर पार्षदों के आरोप बेबुनियाद पाए गए हैं. बता दें, जांच रिपोर्ट में पाया गया कि जो सैनिटाइजर से भरे ड्रम खरीदे गए थे, जिसमें पानी बताया जा रहा था, उनमें सोडियम हाइपोक्लोराइट ही था.

Kotdwar
सैनिटाइजर की खरीद पर पार्षदों के आरोप बेबुनियाद

कोटद्वार: कोरोना वायरस महामारी के दौरान सार्वजनिक स्थानों पर छिड़काव के लिए अप्रैल महीने में कोटद्वार नगर निगम ने सैनिटाइजर खरीदा था. जिस पर पार्षदों ने आरोप लगाया गया था कि ड्रम में सैनिटाइजर नहीं पानी है. इस पर नगर आयुक्त ने जांच समिति गठित कर जांच करवाई थी, जांच में पाया गया कि पार्षदों पर लगाए गए सारे आरोप निराधार हैं और सैनिटाइजर असली है.

कोटद्वार निगम में सैनिटाइजर मामले में हुआ ये खुलासा

वहीं, जांच रिपोर्ट को मीडिया के समक्ष रखते हुए नगर आयुक्त योगेश मेहरा का कहना था कि कोटद्वार निगम में सैनिटाइजर को लेकर जो आपत्तियां लगातार दर्ज कराई गई थीं, उसको देखते हुए जिलाधिकारी के निर्देशों पर उपजिलाधिकारी सहित पांच सदस्य समिति नामित की गई थी. मामला नगर निगम से जुड़ा हुआ था तो नगर निगम से इतर भी जांच समिति में डिपार्टमेंटों को रखा गया था, उसमें नगर निगम के दोनों सहायक नगर आयुक्त के साथ-साथ पुलिस विभाग, राजस्व विभाग और जल संस्थान विभाग को भी जांच समिति में रखा गया था.

पढ़े- रुद्रपुर: दो युवतियों ने की आत्महत्या, जांच में जुटी पुलिस

आपको बता दें, चारों विभागों की संयुक्त रिपोर्ट जो आई है, उसमें पाया गया कि नगर निगम में सैनिटाइजर को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे थे वे सभी गलत हैं, क्योंकि जो सैनिटाइजर से भरे ड्रम थे, जिसमें पानी बताया जा रहा था, उनमें सोडियम हाइपोक्लोराइट ही था, जांच रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि इस घटना के होने पर नगर निगम के कर्मचारी ने अपने फोन से स्थानीय पार्षद और कुछ पत्रकारों को मौके पर बुलाया था, जबकि इनकी जिम्मेदारी बनती थी कि अगर इस तरह की कोई घटना नगर निगम के अंदर घटती है तो अपने निकटतम उच्च अधिकारी को घटना की सूचना देनी चाहिए थी.

पढ़े- महिला कांग्रेस ने की शराब की दुकान बंद करने की मांग

कहीं ना कहीं इनके द्वारा इस घटना को अनावश्यक रूप से मीडिया में प्रकाशित करवाया गया और भ्रम की स्थिति पैदा करवाई गई, जिसके लिए इनको नगर निगम से हटाया जाता है और प्राधिकारी जिला युवा कल्याण अधिकारी को भी इस संबंध में पत्र लिखा जा रहा है.

कोटद्वार: कोरोना वायरस महामारी के दौरान सार्वजनिक स्थानों पर छिड़काव के लिए अप्रैल महीने में कोटद्वार नगर निगम ने सैनिटाइजर खरीदा था. जिस पर पार्षदों ने आरोप लगाया गया था कि ड्रम में सैनिटाइजर नहीं पानी है. इस पर नगर आयुक्त ने जांच समिति गठित कर जांच करवाई थी, जांच में पाया गया कि पार्षदों पर लगाए गए सारे आरोप निराधार हैं और सैनिटाइजर असली है.

कोटद्वार निगम में सैनिटाइजर मामले में हुआ ये खुलासा

वहीं, जांच रिपोर्ट को मीडिया के समक्ष रखते हुए नगर आयुक्त योगेश मेहरा का कहना था कि कोटद्वार निगम में सैनिटाइजर को लेकर जो आपत्तियां लगातार दर्ज कराई गई थीं, उसको देखते हुए जिलाधिकारी के निर्देशों पर उपजिलाधिकारी सहित पांच सदस्य समिति नामित की गई थी. मामला नगर निगम से जुड़ा हुआ था तो नगर निगम से इतर भी जांच समिति में डिपार्टमेंटों को रखा गया था, उसमें नगर निगम के दोनों सहायक नगर आयुक्त के साथ-साथ पुलिस विभाग, राजस्व विभाग और जल संस्थान विभाग को भी जांच समिति में रखा गया था.

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आपको बता दें, चारों विभागों की संयुक्त रिपोर्ट जो आई है, उसमें पाया गया कि नगर निगम में सैनिटाइजर को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे थे वे सभी गलत हैं, क्योंकि जो सैनिटाइजर से भरे ड्रम थे, जिसमें पानी बताया जा रहा था, उनमें सोडियम हाइपोक्लोराइट ही था, जांच रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि इस घटना के होने पर नगर निगम के कर्मचारी ने अपने फोन से स्थानीय पार्षद और कुछ पत्रकारों को मौके पर बुलाया था, जबकि इनकी जिम्मेदारी बनती थी कि अगर इस तरह की कोई घटना नगर निगम के अंदर घटती है तो अपने निकटतम उच्च अधिकारी को घटना की सूचना देनी चाहिए थी.

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कहीं ना कहीं इनके द्वारा इस घटना को अनावश्यक रूप से मीडिया में प्रकाशित करवाया गया और भ्रम की स्थिति पैदा करवाई गई, जिसके लिए इनको नगर निगम से हटाया जाता है और प्राधिकारी जिला युवा कल्याण अधिकारी को भी इस संबंध में पत्र लिखा जा रहा है.

Last Updated : May 10, 2020, 12:19 AM IST
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